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ऑक्सफर्ड की Coronavirus Vaccine ने दी अच्छी खबर, ज्यादा उम्र के लोगों पर भी असरदार


ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वायरस वैक्सीन ने 56-69 साल और 70 साल से ज्यादा की उम्र के स्वस्थ लोगों में इम्यून रिस्पॉन्स पैदा किया है। The Lancet ने गुरुवार को 560 स्वस्थ लोगों पर की गई स्टडी का डेटा पब्लिश किया है। इसमें ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन को सुरक्षित बताया गया है। इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स भी नहीं हुए हैं।
ज्यादा उम्र के लोगों को खतरा : रिसर्चर्स का कहना है कि ये नतीजे उत्साहजनक हैं क्योंकि ज्यादा उम्र के लोगों को COVID-19 संबंधी जोखिम अधिक होता है। इसलिए कोई ऐसी वैक्सीन होनी चाहिए जो ज्यादा उम्र के लोगों के लिए कारगर हो। ऑक्सफर्ड वैक्सीन ग्रुप से जुड़े डॉक्टर महेशी रामासामी ने अधिक आयु समूह के लोगों में वैक्सीन के अच्छे परिणामों पर खुशी जाहिर की है। ब्रिटेन ऑक्सफर्ड की इस वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक का पहले ही ऑर्डर दे चुका है।
अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी फाइजर ने दावा किया है कि उसकी वैक्सीन 95 फीसदी तक असरदार है। फाइजर की mRNA आधारित वैक्सीन BNT162b2 के क्लिनिकल ट्रायल के फाइनल अनैलेसिस के डेटा में यह सफलता मिली है। अमेरिकी कंपनी और पार्टनर BioNTech SE ने कहा है कि उनकी वैक्सीन से सभी उम्र और समुदाय के लोगों को सुरक्षा मिली है। इसकी सुरक्षा को लेकर भी कोई गंभीर समस्या सामने नहीं आई है।
फाइजर ने साथ ही अमेरिका के FDA (फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन) से इमर्जेंसी में इस्तेमाल की इजाजत (EUA) हासिल करने के लिए मानक को पार कर लिया गया है। हालांकि कंपनी ने कहा कि वह अब जल्द ही FDA से इजाजत की प्रक्रिया शुरू करेगी।
भारत सरकार ने भी कोरोना वैक्सीन के लिए बड़ी तैयारी की है। नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने अलग-अलग कंपनियों से वैक्सीन की डील की है। केंद्र ने Novavax से 1 अरब डोज की डील। ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca Vaccine) से 500 मिलियन की डील, रूस की गेमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (Gamaleya Research Institute) से 100 मिलियन वैक्सीन की डील हो चुकी है।
फाइजर की सफलता भारत के लिए अच्छी खबर है। हालांकि भारत ने अभी फाइजर के साथ कोई करार नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इस दिशा में बात आगे बढ़ सकती है। फाइजर-बायोटेक की वैक्सीन को -70°C में रखने की जरूरत होगी। फाइजर की वैक्सीन रेफ्रिजेरेटर के तापमान में 5 दिन तक रखा जा सकता है। कोरोना से लड़ने के लिए फाइजर की दो खुराक काफी होगी पर इसके लिए तीन सप्ताह का अंतर रखना होगा।

फाइजर ने कोविड-19 वायरस की जगह सिंथेटिक जेनेटिक मटीरियल का प्रयोग किया है। इसे मैंसेजर RNA या ‘mRNA’ कहा जाता है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधक वायरस से लड़ने के लिए ट्रेंड करती है। रोगप्रतिरोधक विकसित होने के बाद शरीर की सेल्स कोरोनावायरस को बढ़ाने वाली प्रोटीन की Copies बना लेती है जो प्रतिरोधक क्षमता को कोरोनावायरस प्रोटीन पर हमला करने का संकेत देती है। कई तरह की ऐसी ही वैक्सीन अन्य बीमारियों को लिए बनाई जा रही है लेकिन कोई भी अभी अप्रूव नहीं हो पाई है।

जल्दी आ सकते हैं नतीजे : रिसर्चर्स की टीम यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि क्या तीसरे चरण के व्यापक परीक्षण में यह वैक्सीन लोगों में COVID-19 को विकसित होने से रोकती है। इस महत्वपूर्ण चरण के शुरुआती परिणाम अगले कुछ सप्ताह में आने की उम्मीद है। डॉक्टर रामासामी ने कहा, ‘हम यह देखकर प्रसन्न हैं कि हमारा टीका न सिर्फ अधिक आयु के वयस्कों के लिए अच्छी तरह कारगर है, बल्कि इसने युवा वॉलंटिअर्स में भी समान रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया उत्पन्न की।’
विपरीत परिणाम नहीं आया : टीके का विनिर्माण दवा कंपनी ‘AstraZeneca’ द्वारा किया जा रहा है। ऑक्सफर्ड की टीका परीक्षण टीम के प्रमुख एंड्रू पोलार्ड ने कहा कि नवीनतम परिणाम ‘अत्यंत प्रसन्नता वाला है।’ यह भी पाया गया कि इस चरण के परीक्षण में टीके का कोई अप्रत्याशित विपरीत परिणाम सामने नहीं आया। टीके के दूसरे चरण के परीक्षण के बारे में बृहस्पतिवार को आई रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षण में शामिल 18-55, 56-79 आयु समूह तथा 70 साल से अधिक उम्र के स्वयंसेवियों में वायरस को खत्म करने वाली समान एंटीबॉडीज और टी कोशिकाएं दिखीं।