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‘तक्षशिला विश्‍वविद्यालय प्राचीन पाकिस्‍तान का हिस्‍सा, पाकिस्‍तान के बेटे थे चाणक्‍य-पाणिनी’


भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने में लगा पाकिस्‍तान अब झूठी सूचनाओं के जरिए भारतीय उपमहाद्वीप के प्रचीन इतिहास को बदलने में जुट गया है। खुद को वियतनाम में पाकिस्‍तान का राजदूत बताने वाले कमर अब्‍बास खोखर ने प्राचीन भारत की शान रहे तक्षशिला विश्‍वविद्यालय को सोशल मीडिया पर ‘प्राचीन पाकिस्‍तान’ बता दिया। पाकिस्‍तान की एक और नापाक चाल का उसे करारा जवाब मिला है।

खोखर ने तक्षशिला विश्‍वविद्यालय की तस्‍वीर को ट्वीट करके कहा, ‘तक्षशिला विश्‍वविद्यालय की यह हवाई तस्‍वीर है जो फिर से बनाई गई है। यह यूनिवर्सिटी प्राचीन पाकिस्‍तान में आज से 2700 साल पहले इस्‍लामाबाद के पास मौजूद थी। इस विश्‍वविद्यालय में दुनिया के 16 देशों के छात्र 64 विभिन्‍न विषयों में उच्‍चशिक्षा ग्रहण करते थे जिन्‍हें पाणिनी जैसे विद्वान पढ़ाते थे।’
‘पाणिनि और चाणक्‍य दोनों ही प्राचीन पाकिस्‍तान के बेटे’ : तक्षशिला विश्‍वविद्यालय को ‘प्राचीन पाकिस्‍तान’ का हिस्‍सा बताए जाने पर सोशल मीडिया पर माहौल गरम हो गया। बता दें कि पाकिस्‍तान का अस्तित्‍व ही 14-15 अगस्‍त 1947 को आया था। इससे पहले कोई पाकिस्‍तान था ही नहीं। यही नहीं तक्षशिला विश्‍वविद्यालय में पाणिनी और चाणक्‍य जैसे विद्वान पढ़ाते थे। चाणक्‍य भारतीय उपमहाद्वीप के राजा चंद्रगुप्‍त मौर्य के मंत्री थे और उनके साम्राज्‍य की राजधानी पाटलिपुत्र (पटना) थी।
पाकिस्‍तानी राजनयिक इतिहास पर झूठ को फैलाने पर यहीं नहीं रूके। उन्‍होंने कहा, ‘दुनिया के पहले भाषाविद पाणिनि और दुनियाभर में बहुचर्चित राजनीतिक दार्शनिक चाणक्‍य दोनों ही प्राचीन पाकिस्‍तान के बेटे थे।’ बता दें कि पाकिस्‍तान में हमेशा से ही भारतीय उपमहाद्वीप का झूठा इतिहास स्‍कूलों में पढ़ाया जाता रहा है। पाकिस्तान में इतिहास की किताबों में एक बहुत बड़ा झूठ पढ़ाया जा रहा है। छात्रों को बताया जा रहा है कि हिंदू-मुसलमान के मूल मान्यताओं में बड़ा विरोध है जिसकी वजह से भारत-पाक का बंटवारा हुआ। वहीं इस तरह के कोई साक्ष्य इतिहास में नहीं पाए जाते।

सत्ता वर्ग को खुश करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों के सा‌थ छेड़छाड़ : पाकिस्‍तान में इतिहास लिखने में की गई सबसे बड़ी गलतियों में से एक है सत्ता वर्ग को खुश करने के लिए ऐतिहासिक तथ्यों के सा‌थ हुई छेड़-छाड़। ये काम पाकिस्तान में लगातार जारी रहा चाहे वहां सैनिक शासन हो या सिविल। इस तरह की गलती उन स्‍थानीय स्कूल बोर्ड के द्वारा की गई जो बच्चों के लिए सेलेबेस निर्माण करने का काम करते हैं। हालांकि बच्चों के टेक्स्ट बुक में इस तरह का खिलवाड़ दोनों की देशों में किया गया है। इस गलती को सुधारने के लिए पाकिस्तान के पहले शिक्षा मंत्री ने 1948 में ही प्रयास किया। उन्होंने कोशिश की इतिहास को प्रामाणिक तथ्यों के आधार पर लिखा जाए लेकिन उनके इस प्रयास को आगे नही बढ़ाया गया।