
पूरी दुनिया को कोरोनावारस महामारी की मुसीबत में फंसाने वाला चीन अपनी महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। चीन अब कोरोना वैक्सीन को लेकर नई घिनौनी योजना बना रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में घोषणा की है कि चीन द्वारा विकसित की जा रही COVID-19 वैक्सीन ‘वैश्विक सार्वजनिक वस्तु ’ यानि सारी दुनिया को आसानी से मिलने वाली चीज बन जाएगी ।
जाकारी के अनुसार चीनी अधिकारियों ने अपनी संभावित वैक्सीन का उपयोग राजनीतिक उपकरण के रूप में करना शुरू कर दिया है और वे एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दुनिया के अन्य गरीब और विकासशील देशों के लिए वैक्सीन शीघ्र पहुंचाने का वादा कर रहे हैं। चीन के वैक्सीन परीक्षणों में भाग लेने वाले देशों ने भी वैक्सीन की खुराक की खरीद के लिए समझौतों पर काम किया है। इंडोनेशिया पहले ही 50 मिलियन खुराक पर हस्ताक्षर कर चुका है, जबकि तुर्की 20 मिलियन खुराक खरीदने के लिए तैयार है। कम लागत पर गरीब देशों के COVID-19 टीकों का वादा कर चीन अपने टीके के लिए एक बड़ा बाजार हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
चीन ने पहले से ही लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को वैक्सीन एक्सेस के लिए 1 बिलियन डॉलर का ऋण दिया है। विशेषज्ञों ने इन ऋणों की तुलना चीन की उस साजिश से की जिसके तहत वह उन्हें कर्ज में फंसाकर उनको अपने पर निर्भर बनाने की कोशिश कर ता है। वर्तमान में चीन जिस वैक्सीन कूटनीति का इस्तेमाल कर रहा है वह बीजिंग के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है। टीके को एक राजनीतिक उपकरण के रूप में उपयोग करने के प्रयास में चीन खुद को अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
चीन की इस घोषणा से चीन की कोरोनोवायरस की उत्पत्ति और उसको नियंत्रित करने के पीछे की मंशा स्पष्ट हो गई है कि बीजिंग दुनिया पर एकाधिकार के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। पिछले साल दिसंबर के अंत में चीनी शहर वुहान में शुरू हुए कोरोना वायरस को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई देशों के प्रमुख ‘चीन वायरस’ करार दे चुके हैं । चीन पर आरोप है कि उसने जानबूझ कर कोरोना का सच छुपाया।
अगर चीन समय पर इस महामारी के बारे में बता देता तो दुनिया के अन्य हिस्सों में वायरस न फैलता और न विश्व को जान-माल की क्षति उठानी पड़ती । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार सार्वजनिक रूप से इस महामारी के प्रकोप के लिए चीन को जिम्मेदार मान चुके हैं । उनका आरोप है कि जिनपिंग ने विश्व स्वास्थय संगठन से सांठगाठ करके वायरस का सच छुपाया जिस कारण दुनिया में खास कर अमेरिका में सबसे अधिक तबाही हुई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार ने सबसे पहले कोरोना के नए क्लस्टर का राज खोलने की कोशिश वाले डॉक्टर ली वेनलियानग का भी मुंह बंद करवा दिया । चीनी अधिकारियों द्वारा डॉ. ली के साथ की गई बदसलूकी ने उन्हें लोगों के लिए हीरो बना दिया।
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