
बांग्लादेश में साल 1971 में किए गए नरसंहार पर पाकिस्तान ने आजतक माफी नहीं मांगी है। 50 साल बीतने के बाद बांग्लादेश सरकार के विदेश राज्य मंत्री शहरियार आलम ने एक बार फिर पाकिस्तान से आधिकारिक माफी मांगने की मांग की है। उन्होंने बांग्लादेश में नवनियुक्त पाकिस्तानी राजदूत इमरान अहमद सिद्दीकी के साथ मुलाकात के दौरान यह मांग उठाई है। बताया जाता है कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना ने लगभग 30 लाख निर्दोष बांग्लादेशियों की हत्या कर दी थी।
बांग्लादेशी मंत्री ने पाकिस्तान से आधिकारिक माफी मांगने को कहा : बांग्लादेशी मंत्री शहरियार आलम ने पाकिस्तानी राजदूत इमरान अहमद सिद्दीकी से बांग्लादेश में फंसे पाकिस्तानियों की वापसी को पूरा करने और संपत्ति के बंटवारे के मुद्दे को हल करने के अलावा पाकिस्तान से बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 1971 में हुए नरसंहार के लिए आधिकारिक माफी मांगने की मांग की। उन्होंने व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए पाकिस्तान में अधिक बांग्लादेशी उत्पादों के पहुंच प्रदान करने का आग्रह किया। वर्तमान में दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन पाकिस्तान के लिए ज्यादा लाभकारी है।
याहया खान के निर्देश पर पाक सेना ने मचाया कत्लेआम : बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में जनरल याहया खान की सेना के नरसंहार का कड़वा सच दुनिया के सामने पेश किया था। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि याहया खान की सेना ने वर्ष 1971 में जघन्य सैन्य अभियान शुरू किया जिससे मुक्ति संग्राम के दौरान हुए नरसंहार में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने उस समय पूर्वी पाकिस्तान रहे बांग्लादेश पर 25 मार्च 1971 की आधी रात को अचानक हमला कर दिया था जिसके बाद युद्ध शुरू हुआ और 16 दिसंबर को यह युद्ध समाप्त हुआ। आधिकारिक तौर पर 9 महीने चले युद्ध में 30 लाख लोग मारे गए। हसीना ने कहा, वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में हमने नरसंहार का चरम रूप देखा।
‘बांग्लादेश की 20 हजार महिलाओं के साथ शोषण’ : पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने चले मुक्ति संग्राम में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए और याहया खान की सेना ने 20000 से ज्यादा महिलाओं का शोषण किया। उन्होंने कहा, पाकिस्तानी सेना ने 25 मार्च को जघन्य ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया जो 1971 के नरसंहार की शुरुआत थी। बुद्धिजीवियों की नृशंस तरीके से हत्या की गई। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने बंगबंधु के नेतृत्व में हुए विद्रोह को कुचलने के लिए बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों की हत्या शुरू की। इसके तहत लेखकों, शिक्षकों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों को रात में ही उनके घर से उठा लिया गया और बेहद क्रूर तरीके से उनकी हत्या कर दी गई। दो लाख माताओं और बहनों ने अपने बेटों और भाइयों को खो दिया।
पाकिस्तानी ‘हत्यारे’ याहया खान ने किया था 30 लाख बांग्लादेशियों का ‘नरसंहार’, उठी माफी की मांग : बांग्लादेश में सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने जोरदार प्रदर्शन करके 30 लाख लोगों के नरसंहार के लिए माफी मांगने को कहा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की क्रूरता के लिए इमरान खान नियाजी सरकार तत्काल माफी मांगे। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में पाकिस्तानी दूतावास अभी भी साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अगर माफी नहीं मांगता है तो हम अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाएंगे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान अभी भी सांप्रदायिक कट्टरपंथियों को संरक्षण दे रहा है। बांग्लादेश में साजिशों का दौर चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही पाकिस्तान इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगता है कि तो बांग्लादेश को उसके साथ राजनयिक संबंध को तोड़ लेना चाहिए।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र में दिए अपने भाषण में जनरल याहया खान की सेना के नरसंहार का कड़वा सच दुनिया के सामने पेश किया था। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि याहया खान की सेना ने वर्ष 1971 में जघन्य सैन्य अभियान शुरू किया जिससे मुक्ति संग्राम के दौरान हुए नरसंहार में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए। पाकिस्तानी सेना ने उस समय पूर्वी पाकिस्तान रहे बांग्लादेश पर 25 मार्च 1971 की आधी रात को अचानक हमला कर दिया था जिसके बाद युद्ध शुरू हुआ और 16 दिसंबर को यह युद्ध समाप्त हुआ। आधिकारिक तौर पर 9 महीने चले युद्ध में 30 लाख लोग मारे गए। हसीना ने कहा, वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में हमने नरसंहार का चरम रूप देखा।
शेख हसीना ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने चले मुक्ति संग्राम में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए और याहया खान की सेना ने 20000 से ज्यादा महिलाओं का शोषण किया। उन्होंने कहा, पाकिस्तानी सेना ने 25 मार्च को जघन्य ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया जो 1971 के नरसंहार की शुरुआत थी। बुद्धिजीवियों की नृशंस तरीके से हत्या की गई। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने बंगबंधु के नेतृत्व में हुए विद्रोह को कुचलने के लिए बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों की हत्या शुरू की। इसके तहत लेखकों, शिक्षकों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों को रात में ही उनके घर से उठा लिया गया और बेहद क्रूर तरीके से उनकी हत्या कर दी गई। दो लाख माताओं और बहनों ने अपने बेटों और भाइयों को खो दिया।
बांग्लादेश के 30 लाख लोगों की हत्या का जिम्मेदार याहया खान शराब और महिलाओं का शौकिन था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक याहया ख़ान को ‘लेडीज़ मैन’ कहा जाता था। याहया खान की कई महिलाओं के साथ दोस्ती थी। पाकिस्तानी तानाशाह की सबसे नज़दीक महिला दोस्त थीं अक्लीम अख़्तर जो ‘जनरल रानी’ के नाम से मशहूर थीं। मलका-ए-तरन्नुम नूरजहां को याहया खान ‘नूरी’ कह कर पुकारता था। नूरजहां भी याहया को ‘सरकार’ कह कर बुलाती थीं। याहया खान एक रंगीला तानाशाह था जो शराब का बहुत शौकिन था। याहया खान रात को 8 बजे से शराब पीना शुरू कर देता था और 10 बजते-बजते पूरी तरह से काबू के बाहर हो जाता था। यही वजह थी कि रात के 10 बजे के बाद दिए गए उसके आदेशों का पालन नहीं किया जाता था।
बांग्लादेश की आजादी की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मंगलवार को लोगों को चेताया कि देश में धार्मिक कट्टरता फिर से पनप सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सामाजिक अशांति फैलाने के लिए ‘राजनीतिक हथियार’ के रूप में धर्म का इस्तेमाल करने की हर कोशिश नाकाम करने को प्रतिबद्ध है। 50वें मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर हसीना ने टीवी पर प्रसारित एक संदेश में कहा, ‘राजनीतिक हथियार के रूप में धर्म का इस्तेमाल ना करें, हम किसी को भी धर्म के नाम पर देश में अराजकता फैलाने या बंटवारा नहीं करने देंगे।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 1971 के मुक्ति संग्राम में हारने वालों का एक धड़ा राजनीति में उतरा है और वह सामान्य मुसलमानों को भ्रामक संदेशों के जरिए बरगला रहा है, ताकि देश में अशांति फैल सके और बांग्लादेश वहीं पहुंच जाए जहां से हम 50 साल पहले निकले थे। उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश के लोग धार्मिक हैं, धर्मांध नहीं, इस देश के लोग प्रगति, विकास और धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने की ओर आगे बढ़ेंगे।’
शराब और महिलाओं का शौकीन था रंगीला याहया खान : बांग्लादेश के 30 लाख लोगों की हत्या का जिम्मेदार याहया खान शराब और महिलाओं का शौकीन था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक याहया खान को ‘लेडीज मैन’ कहा जाता था। याहया खान की कई महिलाओं के साथ दोस्ती थी। पाकिस्तानी तानाशाह की सबसे नजदीक महिला दोस्त थीं अक्लीम अख्तर जो ‘जनरल रानी’ के नाम से मशहूर थीं। मलका-ए-तरन्नुम नूरजहां को याहया खान ‘नूरी’ कह कर पुकारता था। नूरजहां भी याहया को ‘सरकार’ कह कर बुलाती थीं। याहया खान एक रंगीला तानाशाह था जो शराब का बहुत शौकिन था। याहया खान रात को 8 बजे से शराब पीना शुरू कर देता था और 10 बजते-बजते पूरी तरह से काबू के बाहर हो जाता था। यही वजह थी कि रात के 10 बजे के बाद दिए गए उसके आदेशों का पालन नहीं किया जाता था।
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