
कोरोना वायरस के प्रसार में चीन की गड़बड़ियों को छिपाने के आरोपों से घिरे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बार फिर से ड्रैगन के सुर में सुर मिलाया है। वुहान पहुंचे WHO के जांच दल ने कहा कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी से इस विषाणु के फैलने की संभावना नहीं है। उन्होंने चीन के उस दावे का भी समर्थन किया कि कोरोना वायरस चीन के बाहर से फैला था और ऑस्ट्रेलिया से आयातित फ्रोजेन बीफ वुहान में कोरोना के प्रसार की वजह हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ के 14 वैज्ञानिकों के जांच दल ने करीब एक महीने की चीन की अपनी यात्रा को यह कहकर समाप्त किया कि वुहान में कोल्ड चेन प्रॉडक्ट जैसे ऑस्ट्रेलियाई बीफ कोरोना वायरस के प्रसार का कारण हो सकता है। डब्ल्यूएचओ का यह बयान चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के उस बयान से मेल खाता है जिसमें उसने दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन के बाहर फैला और वहां से वुहान पहुंचा।
‘प्रयोगशाला से कोरोना वायरस के फैलने की संभावना नहीं’ : डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ पीटर इमब्रेक ने कहा कि इस बारे में और ज्यादा जांच की जरूरत है कि क्या यह वायरस किसी दूसरे देश से आया था या नहीं। पीटर ने मंगलवार को कहा कि चीन की एक प्रयोगशाला से कोरोना वायरस के फैलने की संभावना नहीं है और संभवत: इसने किसी रोगाणु वाहक प्रजाति (जीव) के जरिए मानव शरीर में प्रवेश किया होगा। डब्ल्यूएचओ के खाद्य सुरक्षा एवं जंतु रोग विशेषज्ञ पीटर बेन एम्बारेक ने मध्य चीन के शहर वुहान में कोरोना वायरस के संभावित तौर पर उत्पन्न होने के विषय की डब्ल्यूएचओ की टीम की जांच के एक आकलन में मंगलवार को यह दावा किया।
गौरतलब है कि विश्व में वुहान में ही दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामना आया था। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी ने वायरस के व्यापक स्तर पर नमूने एकत्र किये थे, जिसके चलते ये अप्रामाणित आरोप लगाये गये थे कि वायरस वहीं से आसपास के वातावरण में फैला होगा। हालांकि, चीन ने इस संभावना को सिरे से खारिज कर दिया था और इन सिद्धांतों का प्रचार किया था कि वायरस कहीं और उत्पन्न हुआ होगा।
माइक पोम्पियो ने एक बार फिर से डब्ल्यूएचओ पर तीखा हमला बोला : डब्ल्यूएचओ की टीम ने संस्थान के अलावा अस्पतालों, अनुसंधान संस्थानों, महामारी के प्रसार से संबद्ध एक पारंपरिक बाजार और अन्य स्थानों का दौरा किया। टीम में 10 देशों के विशेषज्ञ शामिल हैं। इस विषय की एक स्वतंत्र जांच की अपील को चीन द्वारा निरंतर खारिज किये जाने के बीच डब्ल्यूएचओ की टीम ने यह दौरा किया है। उधर, डब्ल्यूएचओ के इस बयान की तीखी आलोचना भी शुरू हो गई है।
चीनी वैज्ञानिकों का दावा, भारत से दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस महामारी : चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा कि कोरोना वायरस संभवत: भारत में वर्ष 2019 की गर्मियों में पैदा हुआ। इस चीनी दल ने दावा किया कि कोरोना वायरस पशुओं से दूषित जल के माध्यम से इंसान में प्रवेश कर गया। इसके बाद यह वुहान पहुंच गया जहां से कोरोना वायरस की पहली बार पहचान हुई। अपने पेपर में चीनी दल ने फिलोजेनेटिक विश्लेषण (कोरोना वायरस के म्यूटेट होने के तरीके का अध्ययन) का सहारा लिया ताकि कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाया जा सके। अन्य सभी कोशिकाओं की तरह ही वायरस भी म्यूटेट होता है और फिर पैदा होता है। इस दौरान उनके डीएनए में मामूली सा बदलाव आ जाता है। चीनी वैज्ञानिकों ने दलील दी कि जिन वायरस का बहुत कम म्युटेशन हुआ है, उनका पता लगाकर कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाया जा सकता है।
चीनी वैज्ञानिकों ने इस तरीके का इस्तेमाल करके दावा किया कि वुहान में मिला कोरोना वायरस ‘असली’ वायरस नहीं था। उन्होंने कहा कि जांच में कोरोना वायरस के बांग्लादेश, अमेरिका, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इटली, चेक रिपब्लिक, रूस या सर्बिया में पैदा होने के संकेत मिलते हैं। चीनी शोधकर्ताओं ने दलील दी कि चूंकि भारत और बांग्लादेश में सबसे कम म्यूटेशन वाले नमूने मिले हैं और चीन के पड़ोसी देश हैं, इसलिए यह संभव है कि सबसे पहला संक्रमण वहीं पर हुआ हो। वायरस के म्यूटेशन में लगने वाले समय और इन देशों से लिए गए नमूनों के आधार पर चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोरोना वायरस जुलाई या अगस्त में 2019 में पहली बार फैला होगा।
चीन के वैज्ञानिकों ने कहा, ‘पानी की कमी के कारण जंगली जानवर जैसे बंदर पानी के लिए अक्सर बुरी तरह से लड़ पड़ते हैं और इससे निश्चित रूप से इंसान और जंगली जानवरों के बीच संपर्क का खतरा बढ़ गया होगा। हमारा अनुमान है कि पशुओं से इंसान में कोरोना वायरस के फैलने का संबंध असामान्य गर्मी की वजह से है। चीनी वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया कि भारत के खराब स्वास्थ्य सिस्टम और युवा आबादी की वजह से यह बीमारी कई महीनों तक यूं ही बिना पहचान में आए फैलती रही। उन्होंने दावा किया कि चीन में कोरोना वायरस यूरोप के रास्ते से आया। इसलिए वुहान की महामारी केवल इसका एक हिस्सा भर है। बता दें कि चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था।
इस बीच चीनी वैज्ञानिकों के इस झूठे दावे की अन्य वैज्ञानिकों ने हवा निकाल दी है। ब्रिटेन के ग्लासगो यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ डेविड राबर्ट्सन ने डेली मेल के कहा कि चीनी शोध बहुत दोषपूर्ण है और यह कोरोना वायरस के बारे में हमारी समझ में जरा भी वृद्धि नहीं करता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन ने वुहान की बजाय कोरोना वायरस के लिए अन्य देशों पर उंगली उठाई है। चीन ने बिना सबूतों के ही इटली और अमेरिका पर कोरोना वायरस को फैलाने का आरोप लगाया है। चीनी वैज्ञानिकों ने भारत पर यह आरोप ऐसे समय पर लगाया है जब पूर्वी लद्दाख में मई महीने से भारत और चीन की सेना के बीच में विवाद चल रहा है। उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्तमान समय में कोरोना वायरस के स्रोत का चीन में पता लगाने की कोशिश कर रहा है। डब्ल्यूएचओ के सबूतों से पता चला है कि कोरोना वायरस चीन में पैदा हुआ। डब्ल्यूएचओ ने अपना जांच दल चीन भेजा है।
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक बार फिर से डब्ल्यूएचओ पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इसी वजह से हमने डब्ल्यूचओ को छोड़ दिया था। हमारा मानना था कि यह भ्रष्ट है और इसका राजनीतिकरण हो गया है। यह चीन में महासचिव शी जिनपिंग के चरणों में नतमस्तक हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इसका भरोसा नहीं है कि जांचकर्ताओं को हर वह चीज दी गई होगी जिसकी उन्हें जरूरत थी। उन्होंने आशंका जताई कि चीनी अधिकारियों ने सर्वे को प्रभावित किया होगा।
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