
गर्भावस्था का समय बहुत मुश्किल होता है और इन नौ महीनों में आपके शरीर के कई हिस्सों में दर्द महसूस होता है तो कभी हाथ या पैरों में सूजन आ जाती है। कई बार प्रेग्नेंसी में उंगलियों में भी सूजन आ जाती है। यह प्रेग्नेंसी में होने वाली एक आम समस्या है जो किसी भी महिला को हो सकती है।
अगर आप भी प्रेगनेंट हैं और आपको अपनी उंगलियों में सूजन या पफीनेस दिख रही है तो समझ लीजिए कि यह प्रेग्नेंसी का एक आम लक्षण है। इसे लेकर परेशान होने की बजाय आप इसके कारण और घरेलू तरीकों से इसे ठीक करने के बारे में जान लें।
उंगलियों में सूजन क्यों आती है :
गर्भावस्था के दौरान शरीर में लगभग 50 फीसदी ज्यादा खून और अन्य तरल पदार्थ बनते हैं जो कि शिशु के विकास में मददगार होते हैं। इसमें से कुछ एक्स्ट्रा फ्लूइड खासतौर पर हाथ, पैरों, टांगों और एड़ियों के ऊतकों में भी भर जाता है।
इससे शरीर मुलायम हो जाता है और जोड़ एवं ऊतक खुलने लग जाते हैं और डिलीवरी के लिए तैयार होते हैं। आमतौर पर महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने से सूजन दिखनी शुरू होती है और गर्भावस्था की तीसरी तिमाही तक रहती है।
डॉक्टर को कब दिखाएं : डिलीवरी के बाद शरीर में सूजन का कारण बनने वाला एक्स्ट्रा फ्लूइड लगभग तुरंत निकल जाता है जिससे सूजन भी कम होने लगती है।
अगर प्रेग्नेंसी में अचानक से सूजन बढ़ गई है तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए। यह प्रीक्लैंप्सिया का संकेत हो सकता है जो कि हाई ब्लड प्रेशर के साथ पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने का लक्षण होता है।
सूजन कम करने के उपाय :
गर्भावस्था में होने वाली सूजन को कम करने के लिए आप अपने आहार में सोडियम की मात्रा को कम कर दें। सोडियम की वजह से ही शरीर में फ्लूइड रिटेंशन ज्यादा होता है जो कि सूजन का कारण बनता है।
आप अपने आहार में पोटेशियम युक्त चीजों को ज्यादा शामिल करें। पोटेशियम की कमी से सूजन पैदा हो सकती है इसलिए इस पोषक तत्व को जरूर लें। प्रभावित हिस्से की ठंडी सिकाई और खूब पानी पीने से भी इस समस्या से राहत मिल सकती है।
आप अपने आहार में लीन प्रोटीन और विटामिन युक्त फल और सब्जियों को भी शामिल करें लेकिन प्रोसेस्ड फूड्स की मात्रा कम रखें। आप पार्सले, अदरक और सेलेरी भी खा सकती हैं। फ्लूइड रिटेंशन को कम करने के लिए कैफीन का सेवन कम कर दें।
बाईं करवट सोएं : गर्भावस्था में महिलाओं को अक्सर बाईं करवट लेकर सोने की सलाह दी जाती है। पीठ के बल सोने से वेना कावा पर दबाव पड़ता है। शरीर के निचले हिस्से से ह्रदय के दाएं एट्रियम तक डिऑक्सीजनेटिड ब्लड पहुंचाने वाली बड़ी नस है वेना कावा।
इसके अलावा शरीर को हाइड्रेट रखें और पानी की कमी ना होने दें। इससे शरीर से फ्लूइड रिटेंशन को कम करने में मदद मिल सकती है।
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