
करीब दस साल पहले दलाई लामा (14th Dalai Lama) ने ऐलान किया था कि 90 साल का होने पर वह इस बात का फैसला करेंगे कि उनका अगला अवतार होगा या नहीं। बौद्ध धर्म के धर्मगुरु 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो 85 साल के हो गए हैं और अभी स्वस्थ भी हैं। हालांकि, उनके उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हो गई है। इसके साथ ही इस बात की आशंका भी दिखने लगी है कि कहीं उनके निधन से एशिया में धार्मिक संकट न पैदा हो जाए। आखिर वह अब सिर्फ धार्मिक हस्ती नहीं, कम से कम चीन के लिए राजनीतिक मुसीबत बन चुके हैं।
होंगे दो दलाई लामा? : साल 1959 में चीन के खिलाफ तिब्बत में असफल आंदोलन छेड़ने वाले दलाई लामा भारत आ गए थे और यहां धर्मशाला में निर्वासित सरकार बनाई थी। उनके पीछे हजारों तिब्बती लोग भी आए। वह फिर कभी तिब्बत नहीं लौटे। पेइचिंग उन्हें अलगाववादी कहता है और अगले दलाई लामा का चुनाव खुद करना चाहता है। दलाई लामा अगले उत्तराधिकारी के भारतीय होने से लेकर महिला होने तक की संभावनाएं जता चुके हैं। CNN की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले वक्त में दो अलग-अलग दलाई लामा भी देखने को मिल सकते हैं।
‘चीन के सामने नहीं झुकेंगे तिब्बत के लोग’ : धर्मशाला के तिब्बत पॉलिसी इंस्टिट्यूट के रिसर्च फेलो तेनजिन सेतेन का कहना है कि तिब्बत के लोगों और उनकी पहचान और राष्ट्रीयता के लिए दलाई लामा एक अहम प्रतीक हैं। ये लोग चीन के बनाए दलाई लामा को स्वीकार नहीं करेंगे। मौजूदा दलाई लामा के तिब्बत लौटने से पहले अगर उनका निधन होता है, तो क्या होगा, इसे लेकर कोई नियम नहीं है। हालांकि, उन्होंने साल 2011 में कहा था- ‘ऐसा इंसान जिसका दूसरा जन्म होना हो, उसका अधिकार होता है यह तय करना कि वह कब और कहां पैदा होता है।’
14वें दलाई लामा की तैयारी : 14वें दलाई लामा ने कहा था कि अगर वह दूसरा जन्म लेने का फैसला करते हैं, तो 15वें दलाई लामा को ढूंढने की जिम्मेदारी स्विट्जरलैंड के Gaden Phodrang Trust की होगी। इस ट्रस्ट की स्थापना उन्होंने निर्वासन के दौरान की थी ताकि तिब्बती संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके और संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा था कि वह इसे लेकर लिखित में निर्देश छोड़कर जाएंगे। हालांकि, ट्रस्ट को तिब्बत जाने की इजाजत नहीं है। दलाई लामा ने 2011 में अपने बयान में साफ किया था कि राजनीतिक मतलब के लिए चुने गए उम्मीदवार को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
चीन चल चुका अपनी चाल : दूसरी ओर, चीनी सरकार ने साफ किया है कि अगले दलाई लामा तिब्बत से होंगे और पेइचिंग के मुताबिक बनाए जाएंगे। यहां तक कि चीनी सरकार ने एक दस्तावेज जारी कर पुनर्जन्म के प्रबंधन का तरीका तक बता दिया था। इसमें यह लिखा गया था कि तिब्बत की राजनीतिक हस्तियों का पुनर्जन्म चीनी सरकार की मंजूरी पर होगा और जिनका प्रभाव ज्यादा होगा, उन्हें स्टेट काउंसिल से इजाजत लेनी होगी। सेतेन का कहना है कि चीन धार्मिक हस्तियों को खोजने, टेस्ट करने, पहचाने, शिक्षित करने और ट्रेन करने के लिए नियंत्रण रखता है। यहां तक कि उसने कई सीनियर लामा अपने खेमे में कर रखे हैं जो समय आने पर उसका साथ दें। स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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