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इमरान खान पर ‘शनि संकट’, पाकिस्तानी संसद तय करेगी बड़बोले प्रधानमंत्री का राजनीतिक भविष्य


पाकिस्तान में शनिवार को इमरान खान सरकार के राजनीतिक भविष्य का फैसला होने वाला है। पाकिस्तानी संसद में सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर कल वोटिंग संभव है। इमरान खान को सीनेट उपचुनाव के दौरान करारी शिकस्त देने के बाद पाकिस्तानी विपक्षी दल शनिवार को होने वाले विश्वासमत प्रस्ताव को गिराने की तैयारियों में जुट गए हैं। वहीं, इमरान खान ने भी अपने सहयोगी दलों और पार्टी के सांसदों की आपात बैठक बुलाई है। अगले 24 घंटे में यह फैसला हो जाएगा कि पाकिस्तान में ‘गो नियाजी गो’ का नारा लगाने वाली अवाम की जीत होती है या फिर इमरान खान अपने मंसूबों में फिर से कामयाब हो जाते हैं।
इमरान सरकार के खिलाफ क्यों आया अविश्वास प्रस्ताव : दरअसल पिछले बुधवार कोपाकिस्तानी सीनेट ते उपचुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के उम्मीदवार और वित्तमंत्री अब्दुल हाफिज शेख को करीबी मुकाबले में हरा दिया था। इसी के बाद से विपक्षी दल इमरान खान के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। इमरान के इनकार के बाद विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। पाकिस्तानी संविधान की मजबूरियों के तहत इमरान को यह चुनौती पार करना ही होगा।
क्या है पाकिस्तानी सीनेट का गणित : इमरान खान को जीत के लिए नेशनल एसेंबली में 171 सांसदों का समर्थन चाहिए। क्योंकि, पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में कुल 342 सदस्यों में अभी 340 सदस्य हैं, जबकि दो सीटें खाली हैं। इमरान के बड़बोले मंत्री फवाद चौधरी ने दावा किया कि उनकी सरकार आसानी से विश्वासमत हासिल कर लेगी क्योंकि सीनेट के लिए पीटीआई की महिला उम्मीदवार फौजिया अरशद को बुधवार को 174 वोट मिले थे और वह जीत गईं थीं। वहीं वित्तमंत्री अब्दुल हाफिज शेख को 164 वोट मिले और वह हार गए।
पानी पीकर एमक्यूएम को कोसने वाले इमरान खान करेंगे समझौता : इमरान खान संसद में विश्वासमत के दौरान जीत हासिल करने के लिए मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) के साथ समझौता करने जा रहे हैं। बता दें कि यह वही पार्टी है जिसे इमरान खान राजनीति में आने के दिन से पानी पी पीकर कोसते रहे हैं। इतना ही नहीं, वे एमक्यूएम के सभी नेताओं को भारत का एजेंट तक बता चुके हैं। अब सरकार को बचाने के लिए इमरान खान मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग कायदे आजम (पीएमएल-क्यू) और ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस (जीडीए) के सांसदों के साथ चर्चा करने वाले हैं।
दगाबाजी से बचने के लिए प्रत्यक्ष वोटिंग के पक्ष में इमरान : सीनेट चुनाव में अपनी ही पार्टी के सांसदों की दगाबाजी से मात खाए इमरान खान अब विश्वासमत की कार्यवाही को प्रत्यक्ष तौर पर कराने के पक्ष में हैं। उन्होंने दावा किया था कि उनकी पार्टी के कई सांसदों ने पैसा लेकर विपक्ष के उम्मीदाव को वोट दिया था। ऐसे में रिस्क न लेते हुए इमरान के खास और शिक्षा मंत्री शफाकत महमूद ने कहा कि विश्वास मत की कार्यवाही प्रत्यक्ष तौर पर होगी जिसका मतलब है कि पीटीआई का कोई भी सांसद प्रधानमंत्री के खिलाफ मतदान नहीं कर सकेगा।
विपक्ष ने विश्वासमत को बताया अपनी जीत : बहरहाल, विपक्ष के नेताओं ने इसे एक जीत बताते हुए कहा कि खान को विश्वास मत के लिए मजबूर होना पड़ा और हार के बाद उन्हें पद से हटना पड़ेगा। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है और विश्वास मत जीतने का कोई मतलब नहीं रह गया है।