Thursday , December 25 2025 4:31 AM
Home / News / मंगल की सर्द रात भी झेल गया NASA का Ingenuity हेलिकॉप्टर, इतिहास रचा लेकिन असली जंग बाकी

मंगल की सर्द रात भी झेल गया NASA का Ingenuity हेलिकॉप्टर, इतिहास रचा लेकिन असली जंग बाकी


अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Perseverance रोवर के साथ गए हेलिकॉप्टर Ingenuity ने एक ऐतिहासिक जीत हासिल की है। यह किसी दूसरे ग्रह पर भेजा गया पहला रोटरक्राफ्ट है और अब इसने सफलता से मंगल पर एक रात अकेले दम पर बिता ली है। मंगल पर पहुंचने के बाद से यह रोवर से जुड़ा था और शनिवार को यह रोवर से बाहर आया और बाद में लाल ग्रह की जमीन पर कदम रखा। यह एक बड़ी सफलता इसलिए है क्योंकि रात के वक्त यहां तापमान -90 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है।
फ्लाइट की तैयारी : अब अगला चरण इसकी उड़ान टेस्ट करना है। NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी में हेलिकॉप्टर की प्रॉजेक्ट मैनेजर मीमी ऑन्ग ने बताया, ‘पहली बार Ingenuity अकेले मंगल पर रहा है लेकिन हमें पता है कि इसे सही सुरक्षा, सही हीटर और ठंडी रातों में रहने के लिए पर्याप्त बैटरी है, यह टीम के लिए बड़ी जीत है। हम इसके फ्लाइट टेस्ट की तैयारी के लिए उत्साहित हैं।’
तो मिशन 90% सफल : इसके रोटर ब्लेड्स को अनलॉक किया जाएगा और इसके मोटर और सेंसर टेस्ट किए जाएंगे। इसके बाद एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट के दौरान हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी।
यह आगे चलकर सौर ऊर्जा से भी चार्ज होगा जो मंगल पर धरती की तुलना में कम है लेकिन इसमें हाई-टेक सोलर पैनल लगे हैं जो यह काम आसान कर देंगे। हालांकि, बाद में इसका तापमान कम रखा जाएगा ताकि बैटरी ज्यादा खर्च न हो। मंगल पर रात को 130 डिग्री F तक तापमान गिर सकता है और पहली रात इसे झेलने के बाद अगले दिन टीम देखेगी कि Ingenuity का प्रदर्शन कैसा रहा। न सिर्फ यह देखा जाएगा कि क्या हेलिकॉप्टर चल रहा है, बल्कि इसके सोलर पैनल, बैटरी की हालत और चार्ज चेक करेगी और अगले कुछ दिन तक इन पैमानों को ही टेस्ट किया जाएगा।
इस कदम को पूरा करने के बाद इसके रोटर ब्लेड्स को अनलॉक किया जाएगा और इसके मोटर और सेंसर टेस्ट किए जाएंगे। मंगल के 30 दिन (धरती के 31 दिन) बाद इसकी एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट की कोशिश होगी। NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी। यह पहली बार किया जा रहा टेस्ट है इसलिए वैज्ञानिक इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं और हर पल कुछ नया सीखने की उम्मीद में हैं।
मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।
क्यों चाहिए हेलिकॉप्टर? : मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके।