Thursday , December 25 2025 6:26 AM
Home / News / Crescent Mars: चीन के Tianwen-1 ने भेजीं मंगल ग्रह की दिलकश तस्वीरें, दिखा लाल चांद-सा

Crescent Mars: चीन के Tianwen-1 ने भेजीं मंगल ग्रह की दिलकश तस्वीरें, दिखा लाल चांद-सा


चीन के तियानवेन-1 स्पेसक्राफ्ट ने मंगल ग्रह की एक शानदार तस्वीर भेजी है। यह क्राफ्ट मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। इसने जो तस्वीर भेजी है, उसमें सूरज की रोशनी में मंगल घटते चांद सा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है। इसी साल 24 फरवरी को तियानवेन-1 मंगल के पास पहुंचा है और जून में यह लाल ग्रह की सतह पर लैंड होगा जहां 18 फरवरी को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का Perseverance रोवर भी लैंड कर चुका है।
11 हजार किमी दूर से ली तस्वीर : चीन की नैशनल स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) ने दो नई तस्वीरें रिलीज की हैं जिनमें मंगल का क्रिसेंट आकार दिख रहा है और सतह की बनावट साफ है। CNSA इस साल का अकेला ऐसा मिशन है जिसमें चांद का ऑर्बिटर और रोवर दोनों शामिल हैं। ये तस्वीरें तब ली गई थीं जब प्रोब मंगल से 11 हजार किमी दूर था। इन तस्वीरों में लाल ग्रह के अलग-अलग रंग देखे जा सकते हैं और धूल भरा पतला वायुमंडल भी।
तैयार किया जाएगा मैप : तियानवेन-1 पिछले साल 23 जुलाई को लॉन्च किया गया था और यह चीन का पहला स्वतंत्र मिशन है जो किसी ग्रह पर भेजा गया है। यह 202 दिन के सफर के बाद 29.5 करोड़ मील की दूरी तय करके मंगल तक पहुंचा है। इसमें एक ऑर्बिटर और एक रोवर है। माना जा रहा है कि मंगल की सतह पर लैंडिंग की कोशिश मई या जून में की जाएगी। तब तक लैंडिंग साइट Utopia Planitia की तस्वीरें ली जाएंगी और मैप तैयार किया जाएगा।
एक और रंगीन तस्वीर में मंगल का उत्तरी ध्रुव दिख रहा है। इनमें बादलों की तरह बर्फ की चोटियां दिख रही हैं जो रेत के टीले पर जमा हैं। तियानवेन-1 का रोवर मई या जून में सतह पर पहुंचेगा। अभी तक इसे कई नाम नहीं दिया गया है लेकिन यह सतह पर टचडाउन के बाद 90 दिन तक ऑपरेट करेगा। Tianwen-1 के मिशन में मंगल की बनावट और भूगोलिक संरचना को स्टडी करना शामिल है। इसके अलावा इसका चुंबकीय क्षेत्र, आइओनोस्फीयर और वायुमंडल भी स्टडी किया जाएगा।
तियानवेन के अलावा संयुक्त अरब अमीरात का ऑर्बिटर होप भी मंगल का चक्कर काट रहा है। इसका लक्ष्य है मंगल का पहला ग्लोबल वेदर मैप भी तैयार करना। ये मिशन इसलिए खास है क्योंकि इससे पहले के रोवर मंगल के चक्कर ऐसे काटते थे कि वह दिन के सीमित वक्त में ही उसके हर हिस्से को मॉनिटर कर पाते थे। इससे अलग होप का ऑर्बिट अंडाकार है जिसे पूरा करने में इस रोवर को 55 घंटे लगेंगे। इसकी वजह से यह मंगल के हिस्सों पर दिन और रात में ज्यादा समय के लिए नजर रख सकेगा। मंगल के एक साल में यह हर हिस्से पर पूरे दिन नजर रखेगा।
वहीं, अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA का रोवर Perseverance मंगल की सतह पर उतर चुका है और इसने अपना काम भी शुरू कर दिया है। लैंड होने के बाद रोवर ने अपने उपकरणों की जांच की। इसके अलावा इसके रोबॉटिक आर्म को भी हिला-डुलाकर देखा गया। जल्द ही यह सतह पर खोज का काम शुरू करेगा। इसके साथ गए हेलिकॉप्टर Ingenuity ने भी पहला संदेश धरती पर भेज दिया है। यह रोवर Jezero Crater पर जीवन के निशान ढूंढेगा जिसे मंगल पर प्राचीन जीवन का स्टोर कहा जाता है। माना जाता है कि यहां चट्टानों में जीवन के निशान कैद मिल सकते हैं।
सिर्फ अमेरिका है मंगल पर : अभी तक अमेरिका ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने मंगल पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारा है और उसने यह कमाल आठ बार किया। नासा के दो लैंडर वहां संचालित हो रहे हैं, इनसाइट और क्यूरियोसिटी। छह अन्य अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा से लाल ग्रह की तस्वीरें ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका से तीन, यूरोपीय देशों से दो और भारत से एक है। मंगल ग्रह के लिए चीन ने अंतिम प्रयास रूस के सहयोग से किया था, जो 2011 में नाकाम रहा था।