
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के इतिहास में आज का दिन बेहद अहम है। मंगल ग्रह पर भेजा गया नासा का हेलिकॉप्टर Ingenuity आज पहली उड़ान का प्रयास करेगा। करीब 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद बनाए गए इस हेलिकॉप्टर की लाल ग्रह पर होने वाली पहली उड़ान को लेकर पूरी दुनिया में उत्सुकता का माहौल है। नासा हेलिकॉप्टर की उड़ान का लाइव प्रसारण करेगा।
वजन में बेहद हल्का नासा का यह हेलिकॉप्टर सोमवार को अपनी पहली उड़ान का प्रयास करेगा। नासा का यह प्रयास अगर सफल हो जाता है तो यह किसी दूसरे ग्रह पर उड़ान भरने में पहली सफलता होगी। नासा इस पूरे उड़ान का सीधा प्रयास करेगा। भारतीय समयानुसार शाम करीब 3:45 मिनट पर यह लाइव प्रसारण शुरू होगा। लाइव प्रसारण देखने के लिए यहां क्लिक करें-
नासा के वैज्ञानिकों को एक बड़ी चिंता खाए जा रही : नासा टीवी पर भी इसका लाइव प्रसारण देखा जा सकता है। इस बीच हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने से ठीक पहले नासा के वैज्ञानिकों को एक बड़ी चिंता खाए जा रही है। हेलिकॉप्टर की प्रॉजेक्ट मैनेजर मिमि आंग ने कहा कि हमारी टीम सोमवार को मंगल ग्रह पर उड़ान भरने का प्रयास करेगी लेकिन हम यह भी जानते हैं कि हमें फिर से मेहनत करते हुए दोबारा प्रयास करना पड़ सकता है।
आंग ने कहा कि इंजिनियरिंग की दुनिया में हमेशा अनिश्चितता बनी रहती है लेकिन यह अत्याधुनिक तकनीक पर काम करने को रोमांचक और प्रतिफल देने वाला बनाता है। हेलिकॉप्टर की इस उड़ान को पहले 11 अप्रैल को अंजाम दिया जाना था लेकिन कमांड के क्रम में दिक्कतों का खुलासा होने के बाद इसे टाल दिया गया था। हेलिकॉप्टर को देख रही टीम ने उसके सॉफ्टवेयर को भी अपडेट किया है।
हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो 90% सफल : गत 16 अप्रैल को मिले ताजा डेटा के मुताबिक हेलिकॉप्टर ने रैपिड स्पिन टेस्ट को पास कर लिया है। अब इस हेलिकॉप्टर को खुद से ही बिना पृथ्वी से मदद के मंगल ग्रह के वातावरण में उड़ान भरनी होगी। Ingenuity की हालत एकदम सही है और इसकी ऊर्जा-संचार प्रणाली सही से काम कर रही हैं। NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी। यह पहली बार किया जा रहा टेस्ट है इसलिए वैज्ञानिक इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं और हर पल कुछ नया सीखने की उम्मीद में हैं।
मंगल ग्रह के टेम्पे मेन्सा इलाके में बसने वाले शहर की राजधानी नूवा (Nüwa) होगी। इस तरह के 5 शहर मंगल ग्रह पर बसाए जाने हैं। इस शहर को एक खड़ी चट्टान के किनारों पर समानांतर की बजाय लंबवत (Vertically) बसाया जाएगा। इससे वायुमंडल का दबाव और रेडियशन का खतरा खत्म हो जाएगा। अगर कोई छाया नहीं है तो रेडिएशन से इंसान की जान जा सकती है। अच्छी बात यह है कि कार्बन डॉय ऑक्सॉइड और पानी मंगल ग्रह की सतह पर मिल जाएगा। इसके जरिए ABIBOO की योजना है कि मंगल ग्रह पर स्टील बनाया जाए और ऐसी सामग्री बनाई जाए जिससे वहां पर लंबे समय तक रहने के लिए शहर को बसाया जा सके। मंगल ग्रह पर बसाए जाने वाले इस अत्याधुनिक शहर में वह हर सुविधा होगी जो धरती पर बनाए गए शहर में होती है। इसमें घर, ऑफिस और ग्रीन स्पेस शामिल है। मंगल ग्रह पर बसाए जाने वाले इस शहर के डिजाइन को द मार्स सोसायटी तथा सोनेट नेटवर्क के वैज्ञानिक शोध के आधार पर तैयार किया गया है।
ABIBOO के संस्थापक अल्फ्रेडो मुनोज ने यूरो न्यूज को बताया कि हमने कंम्प्यूटर पर काफी विश्लेषण किया है और वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि मंगल ग्रह पर हम किन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। मास्टर प्लान आने के बाद जो लोग अब मंगल ग्रह पर रहने का सपना देख रहे हैं, उन्हें इसे अपने बच्चों और नाती पोतों को दे देना चाहिए क्योंकि इस शहर का निर्माण वर्ष 2054 के पहले शुरू नहीं होने जा रहा है। कंपनी के मुताबिक वर्ष 2100 से पहले इस शहर में रहना संभव नहीं होगा। प्रस्तावित शहर में करीब ढाई लाख लोग रहेंगे। इस शहर का नाम Nüwa चीनी देवी के नाम पर रखा गया है जो इंसान की रक्षक हैं। खड़ी चट्टान के अंदर ज्यादातर निर्माण कार्य होगा और कुछ छोटी-छोटी इमारतों को चट्टान के अंदर भी बनाया जाएगा।
मंगल ग्रह पर बसाये जाने वाले इस शहर में हरे गुंबद बनाए जाएंगे जो वहां रह रहे लोगों के लिए या तो पार्क का काम करेंगे या वहां पर प्रयोग के रूप में सब्जियों को पैदा किया जाएगा। इस शहर में खाने का मुख्य स्रोत फसलें होंगी जो वहां पर पैदा की जाएंगी। यह यहां रहे ढाई लाख लोगों के आधा खाना मुहैया कराएंगी। इंसान के खाने में माइक्रो एल्गी सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। मंगल ग्रह पर मनोरंजन के लिए इंसान वह सबकुछ कर सकेगा जो वह पृथ्वी पर करता है। इसमें खेल से लेकर कला आदि शामिल है। इंसान को रहने के लिए पृथ्वी से मंगल ग्रह पर ले जाना बेहद मुश्किल काम होगा लेकिन अंसभव नहीं होगा। पृथ्वी से मंगल के लिए शटल सेवा होगी जो हर 26 महीने पर जाएगी और इस यात्रा में एक से तीन महीने लगेंगे। इस यात्रा में एक तरफ के टिकट की कीमत करीब 3 लाख डॉलर (करीब दो करोड़ रुपये) होगी। इस तरह मंगल ग्रह की यात्रा काफी महंगी रहेगी।
अनंत संभावनाओं से भरे मंगल ग्रह पर आज से अरबों साल पहले पानी के विशाल तालाब, झीलें और समुद्र मौजूद थे लेकिन समय के साथ यह सब गायब हो गए। यह पानी कहां गया, लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए यक्ष प्रश्न बना हुआ था। अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक नए शोध के मुताबिक मंगल ग्रह का 30 से लेकर 99 प्रतिशत तक पानी इस लाल ग्रह पर ही छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पानी मंगल ग्रह की बाहरी पपड़ी के अंदर मौजूद खनिज पदार्थों के अंदर ही विद्यमान है। मंगल ग्रह के ऊपर चक्कर लगा रहे सैटलाइट और रोवर के डेटा का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने एक कंप्यूटर सिमुलेशन तैयार किया है। इसमें बताया है कि कैसे पानी मंगल ग्रह से धीरे-धीरे खत्म होता गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि मंगल ग्रह का चंट्टानी स्वरूप 3 से 4 अरब साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट के बाद हुआ था। पृथ्वी अपनी ऊपरी परत को रिसाइकिल करने और फंसे हुए पानी को निकालने में सक्षम है। वहीं इसके विपरीत मंगल ग्रह की चट्टानें इतनी पुरानी है कि वे बड़ी मात्रा में पानी को जमा कर सकती हैं। इससे पहले 31 जुलाई 2008 को नासा के फोनिक्स मार्स लैंडर ने इस बात की पुष्टि की थी कि मंगल ग्रह के बर्फ के अंदर पानी मौजूद है।
धरती के सबसे रईस अरबपतियों में शामिल स्पेसएक्स कंपनी के मालिक एलन मस्क ने संभावित तीसरे विश्वयुद्ध से पहले मंगल ग्रह पर इंसान की बस्तियां बसाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि मंगल ग्रह पर बसाए जाने वाले इस शहर में सभी चीजें स्वत: संचालित होंगी। एलन मस्क ने मार्स सोसायटी के वर्चुअल सम्मेलन में मंगल ग्रह पर बस्तियां बसाने की योजना का ऐलान किया। इससे पहले मस्क ने कहा था कि उनका लक्ष्य है कि वर्ष 2026 तक मंगल पर इंसान को उतारना है। वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वर्ष 2033 तक इंसान मंगल ग्रह भेजने की योजना बनाई है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर इंसान जल्द से जल्द मंगल ग्रह नहीं गया तो मानवता के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। मस्क ने सम्मेलन में कहा, ‘मैं समझता हूं कि मंगल पर स्वत: संचालित शहर बसाने के लिए एक लक्ष्य का निर्धारण करना काफी मददगार है। हमारा लक्ष्य कुछ लोग या अड्डा नहीं बल्कि एक स्वत: संचालित शहर बसाना होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि यह परीक्षण करना जरूरी है कि क्या अगर पृथ्वी से किसी वजह से सप्लाइ बंद हो जाए या परमाणु विनाश हो जाए तो मंगल ग्रह पर इंसानी बस्ती खत्म हो जाएगी या नहीं।
टेस्ला के संस्थापक मस्क ने कहा कि मानवता इस समय कई संभावनाओं का सामना कर रही है। इसमें एक भीषण युद्ध, महाविनाशक ज्वालामुखी विस्फोट या उल्कापिंड का गिरना या हम खुद ही अपने आपको मार लें। उन्होंने कहा कि अगर स्पष्ट तौर पर कहें तो इंसानी सभ्यता मुझे बहुत ज्यादा शक्तिशाली नहीं लग रही है। हम अभी जर्जर नजर आ रहे हैं। मस्क ने कहा कि मंगल ग्रह हमारे लिए तब तक बचने की जगह नहीं हो सकता है जब तक कि वहां पर एक स्वत: संचालित शहर न बसा लिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह संभवत: उनके जीवन काल में नहीं होने जा रहा है। अरबपति उद्योपति ने कहा, ‘यह अपने आप में निरर्थक है कि आप किसी ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां पर आपको पता है कि आप मर जाएंगे लेकिन आपके पास लाइफबोट नहीं है।’ उन्होंने कहा कि यह मानवता के खत्म होने के खतरे को कम करेगा और वह कई ग्रहों की यात्रा करने वाला बन सकेगा। एलन मस्क (Elon Musk) ने चेतावनी दी थी कि अगर इंसान ने जल्द से जल्द पृथ्वी को नहीं छोड़ा और दूसरे ग्रहों की यात्रा शुरू नहीं की तो मानवता का खत्म होना निश्चित है।
क्यों है हेलिकॉप्टर की जरूरत? : मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके।
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