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TIME मैगजीन के कवर पर दिखा ‘भारत में संकट’, ‘काबू से बाहर Coronavirus की महामारी’


भारत में कोरोना वायरस की दूसरी वेव ने ऐसे हाहाकार मचाया कि सारी दुनिया सदमे में है। अभी तक कई देशों को मदद पहुंचा चुके भारत में अब लोग अपनों के लिए भटक रहे हैं। जाहिर है कि पूरी दुनिया की निगाहें हालात पर हैं। इसी कड़ी में अमेरिका की प्रतिष्ठित ‘टाइम’ मैगजीन ने अपने कवर पेज पर भारत की त्रासदी को दिखाया है। ‘संकट में भारत’ हेडिंग के साथ श्मशान घाट की तस्वीर इस दर्दनाक माहौल की कहानी सुना रही है।
क्या आप मैथ एक्सपर्ट हैं ? क्विज खेलिए और जीतें : मैगजीन के लिए नैना बजेकल ने कवर स्टोरी में लिखा है, ‘भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने की कगार पर है। देश के अस्पतालों में ऑक्सिजन, वेंटिलेटर और बेड्स की कमी है। भारतीय रेडेसिविर के लिए भाग रहे हैं जिससे कीमतें बढ़ गई हैं जबकि लैब बढ़ते कोविड-19 टेस्ट निपटाने की कोशिश कर रही हैं।’ यह मानवीय आपदा सिर्फ भारत के 1.4 अरब लोगों के लिए नहीं, पूरी दुनिया के लिए भयावह होगी।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में पिछले 24 घंटे में एक दिन में कोविड-19 के सर्वाधिक तीन लाख 79 हजार 257 मामले आए और 3645 लोगों की मौत हुई। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले कुछ हफ्तों के दौरान भारत को अतिरिक्त पांच लाख आईसीयू बिस्तरों, दो लाख नर्सों और डेढ़ लाख डॉक्टरों की जरूरत पड़ेगी।
डॉ. शेट्टी ने कहा, ‘भारत में 75 से 90 हजार आईसीयू बेड हैं, जो महामारी की दूसरी लहर के चरम पर पहुंचने से पहले ही भर चुके हैं। रोज 3.5 लाख नए मामले आ रहे हैं। एक्सर्ट्स का कहना है कि यह संख्या पांच लाख तक जा सकती है।’ डॉ. शेट्टी ने कहा, हर संक्रमित मरीज के साथ पांच से 10 लोग ऐसे हैं, जिनकी जांच नहीं हो रही है। भारत में अब रोज 15 से 20 लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं।’
कोविड के साथ डायबिटीज के कनेक्शन को लेकर तमाम साइंटिफिक डेटा भी सामने आए हैं जिनमें अलग-अलग विचार हैं। आंकड़ों के अनुसार, जो लोगटाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह की चपेट में हैं उन्हें कोविड के गंभीर लक्षण हो रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, कोविड के लिए टाइप-2 डायबिटीज एक बड़ा फैक्टर हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना के 7337 मरीजों पर एक स्टडी की है जिसमें 952 मरीज पहले से ही टाइप 2 डायबिटीज की चपेट में थे। शोध में पता चला कि टाइप-2 डायबिटीज वाले कोरोना मरीजों को ज्यादा मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है और उनमें मृत्यु दर भी ज्यादा होती है।
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अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी अस्पताल (University of Maryland Hospital) में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ फहीम यूनुस (Dr. Faheem Younus) ने हाल ही में कोविड और डायबिटीज को लेकर एक ट्वीट किया है। इस पोस्ट में डॉ. फहीम यूनुस ने एक स्टडी का जिक्र करते हुए बताया कि डायबिटीज के स्तर को अगर कंट्रोल रखा जाए तो कोविड मृत्यु दर (COVID Mortality Rate) को 10 गुना तक कम किया जा सकता है।
अमेरिकी मधुमेह एसोसिएशन (American Diabetes Association) के अनुसार, सामान्य तौर पर भी शुगर जैसी बीमारियों के मरीज फ्लू जैसे वायरल संक्रमण से निपटने के दौरान ही कई तरह समस्याओं का जोखिम उठाते हैं तो कोविड-19 भी उनके लिए घातक साबित हो सकता है। जानकारों के अनुसार, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को सबसे अधिक खतरा तब होता है जब यह इन्फ्लूएंजा (फ्लू), निमोनिया हो और अब COVID-19 भी खतरा है।
यह जोखिम तब और बढ जाता है जबग्लूकोज के लेवल में उतार-चढ़ाव होता हैं, इस बीच यदि ग्लूकोज का स्तर ज्यादा होता है, तो हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है लिहाजा हम जल्द बीमार हो जाते हैं और संक्रमण से लड़ने की क्षमता खो देते है। आसान शब्दों में कहें तो ग्लूकोज का स्तर कम होने पर ही डायबिटीज वाले कोविड संक्रमित मरीजों को अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता हैं। इसलिए ऐसी बीमारी वालों को अपने ग्लूकोज के स्तर की जांच करते रहना चाहिए।
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महामारी के बीच विश्व भर के वैज्ञानिक इस पर स्टडी कर रहे हैं आखिर डायबिटीज के नए मामलों में अचानक इतने आकंड़े कैसे बढ़ गए हैं। हाल ही में हुए शोध में पाया गया है कि कुछ लोगों में कोविड का संक्रमण होने के बाद डायबिटीज के लक्षण दिखने लगे हैं।
साइंटिफिक अमेरिकन की रिपोर्ट के अनुसार, Covid-19 के कई मरीज जिनमें डायबिटीज के कोई सिम्टम्स नहीं थे उनमें भी अचानक मधुमेह के लक्षण दिखने लगे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी ने एक CoviDiab रजिस्ट्री बनाई जिसमें डॉक्टरों को ऐसे मरीजों की जानकारी देनी थी जिनमें Covid-19 होने के बाद डायबिटीज के सिम्टम्स नजर आए।
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शोध में डॉक्टर्स ने पाया कि तमाम लोगों में टाइप 1 और टाइप 2 (Type 1 and Type 2 Diabetes) दोनों तरह के डायबिटीज के सिम्टम्स देखने को मिले। ये शोध Covid-19 के रिकवर हो चुके 3700 मरीजों को लेकर किया गया था जिसमें यह बात सामने आयी कि करीब 14 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिन्हें पहले से शुगर की बीमारी नहीं थी लेकिन बाद में डायबिटीज का शिकार हो गए हैं।
वहीं यूके में 47 हजार मरीजों पर की गई स्टडी में देखने को मिला कि करीब 5 प्रतिशत मरीजों में डायबिटीज से ग्रसित हो चुके हैं। कुछ जानकारों के अनुसार, कोरोना वायरस शुगर मेटाबॉलिज्म खराबी पैदा करने की क्षमता रखता है और इसीलिए संक्रमित लोग अब शुगर का शिकार हो रहे हैं।
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ऐसे हालात में दुनियाभर से मदद भारत आ रही है। भारतीय वायुसेना ने गुरुवार को बैंकॉक, सिंगापुर और दुबई से 12 खाली क्रायोजेनिक ऑक्सिजन कंटेनर भारत लाए। भारत कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है और कई राज्यों के अस्पतालों में चिकित्सीय ऑक्सीजन और बिस्तरों की कमी है।
एक आधिकारिक बयान में बताया गया, ‘भारतीय वायुसेना फिलहाल खाली क्रायोजेनिक कंटेनर तीन स्थानों से ला रही है। तीन कंटेनर बैंकॉक से, तीन सिंगापुर से और छह कंटेनर दुबई से लाए गए हैं।’ भारतीय वायुसेना शुक्रवार से खाली ऑक्सिजन टैंकर और कंटेनर देश के विभिन्न फिलिंग स्टेशनों पर पहुंचा रही है ताकि कोविड-19 रोगियों को मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके।