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Shuvuuia Dinosaur: रेगिस्‍तान में रहता था यह मुर्गे जैसा अनोखा डायनासोर, घुप अंधेरे में भी करता था शिकार

डायनासोर का नाम लेते ही हमारे जेहन में एक दैत्‍याकार जीव का ख्‍याल आता है। हालांकि सभी डायनासोर विशालकाय हों, यह जरूरी नहीं है। मंगोलिया के रेगिस्‍तान में आज से करीब 6.5 करोड़ साल पहले शुवूइया प्रजाति के डायनासोर पाए जाते थे। मुर्गे के आकार के ये डायनासोर देखने में बहुत छोटे होते थे लेकिन एक ताकत उन्‍हें दूसरे डायनासोर से जुदा करती थी। शुवूइया डायनासोर के अंदर रात में भी देखने और उल्‍लू की तरह से सुनने की ‘असाधारण’ क्षमता थी जिससे वे आसानी से अंधेरे में भी शिकार करते थे।
शुवूइया डायनासोर के जीवाश्‍म को लेकर हुए ताजा शोध में पता चला है कि मुर्गे के आकार वाला इस डायनासोर तुलनात्‍मक रूप से अन्‍य डायनासोर में सबसे बड़ी थी। विशेषज्ञों ने बताया कि शुवूइया डायनासोर दो पैरों पर चलने वाला (Theropod) डायनासोर था। इसी श्रेणी में बेहद खतरनाक समझे जाने वाले टिरैनसॉरस रेक्‍स भी आते थे। शुवूइया की खोज आज से 20 साल पहले हुई थी लेकिन तब से लेकर अभी तक यह दो फुट का डायनासोर वैज्ञानिकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
नई स्टडी में यहां करीब 20 लाख साल पहले के इंसानों के बनाए औजार मिलने की पुष्टि की गई है। इसके साथ ही गुफा में रहने का यह दुनिया का सबसे पुराना सबूत माना जा रहा है। यहां आग का इस्तेमाल करने के सबूत भी मिले हैं। स्टडी के लीड रिसर्चर प्रफेसर रॉन शार ने बताया, ‘वंडरवर्क प्राचीन ओल्डोवन साइट्स में अनोखा है।’ यहां टीम ने गुफाओं की परतों में खोज की और ओल्डोवन औजारों से आगे उन्हें हाथ से बनी कुल्हाड़ियां मिलीं।
यहां उन्हें 10 लाख साल पहले आग का इस्तेमाल करने के सबूत मिले। यहां जली हुईं हड्डियां, तलछट और औजारों की राख मिली है। टीम ने 8 फीट मोटी सेडिमेंटरी लेयर का अनैलेसिस किया जिसमें पत्थर से बने औजार, जानवरों के अवशेष और आग से जुड़ा सामान मिला। इनके मैग्नेटिक सिग्नल को स्टडी किया गया है। मैग्नेटाइजेशन तब होता है जब गीली मिट्टी के पार्टिकल, जो बाहर से गुफा में आए हों और प्राचीन जमीन पर रह गए हों और इससे उस वक्त धरती की जो मैग्नेटिक फील्ड थी, उसकी दिशा पता चलती है। (फोटो: Michael Chazan)
लैब अनैलेसिस में पता चला है कि कुछ सैंपल दक्षिण की तरफ मैग्नेटाइज्ड थे जो आज की मैग्नेटिक फील्ड है। शार ने बताया है कि धरती के चुबंकीय ध्रुवों के पलटने का समय विश्वस्तर पर माना गया है। इससे गुफाओं के अंदर परतों के क्रम से काफी अहम सबूत मिलते हैं। प्रफेसर अरी मैटमन ने सेकंडरी डेटिंग मेथड की मदद से पुष्टि की है यहां सबसे प्राचीन आदिमानव रहे होंगे। उन्होंने बताया कि रेत में क्वॉर्ट्ज पार्टिकल्स ने एक जियोलॉजिकल घड़ी बनाते हैं जो गुफा के अंदर जाने पर जैसे चल पड़ती हो। अलग-अलग आइसोटोप्स की मदद से इन्हें पहचाना जा सकता है।

वैज्ञानिकों के लिए आश्‍चर्य का विषय बना शुवूइया : चिड़‍िया की तरह से खोपड़ी, भूरी भुजाएं और हर हाथ में एक नाखून वाले शुवूइया की हड्ड‍ियां सभी डायनासोर में सबसे अनोखी हैं। इसकी इसी विशेषता की वजह से वर्ष 1998 से लेकर अब तक यह वैज्ञानिकों के लिए आश्‍चर्य का विषय बना हुआ है। इस शोध के लेखकों का मानना है कि शुवूइया डायनासोर रात में शिकार करने निकलते थे। वे अपने कानों और आंखों का इस्‍तेमाल करके छोटे जीवों और कीड़ों का शिकार करते थे।
SETI इंस्टिट्यूट में उल्कापिंड खगोलविद पीटर जेनिस्केंस ने बताया है कि यह दूसरी बार है जब धरती पर टकराने से पहले अंतरिक्ष में किसी ऐस्टरॉइड को देखा गया। इससे पहले 2008 में सूडान में ऐस्टरॉइड देखा गया था। वहीं, 2018 LA दो देखने के कुछ घंटे बाद ही यह बोत्सवाना में आग का गोला बनकर आ गिरा। ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी (ANU) के SkyMapper टेलिस्कोप ने धरती के वायुमंडल में इसके दाखिल होने से कुछ ही पल पहले इसे कैमरे में कैद किया। सीसीटीवी फुटेज में इसके आखिरी पल साफ दिख रहे हैं।
इसके आइसोटोप्स को स्टडी किया गया। इनसे ऐस्टरॉइड की केमिकल बनावट और आकार का पता चला जब वह वायुमंडल में आकर फटा नहीं था। 2018 LA 5 फीट का रहा होगा और धरती पर गिरने से पहले इसने 2.2-2.3 करोड़ साल तक अंतरिक्ष में सफर किया होगा। धरती के वायुमंडल में दाखिल होने से पहले इसकी गति 60 हजार किमी प्रतिघंटा रही होगी। अनैलेसिस में इसकी समानता 2015 में तुर्की में गिरे उल्कापिंड Sariçiçek से पाई गई। इन दोनों को Vesta से निकला पाया गया है।
यह कुछ उसी तरह से है जैसे आधुनिक समय में रेगिस्‍तान में पशु करते हैं। यह डायनासोर अपनी लंबी टांगों का इस्‍तेमाल तेजी से दौड़ने के लिए करता था। इस शोध के लेखक दक्षिण अफ्रीका के प्रफेसर जोनाह चोइनिअरे ने कहा कि रात में श‍िकार पर निकलना, खुदाई की क्षमता आदि आधुनिक समय में रेगिस्‍तान में पाए जाने वाले जीवों की विशेषता है। आश्‍चर्य की बात यह है कि ये सभी गुण उस समय केवल एक डायनासोर प्रजाति में पाए जाते थे। यह प्रजाति आज से करीब 6.5 साल पहले पाई जाती थी। बता दें कि आज के समय उल्‍लू जैसे कुछ ही जीव रात में शिकार करने में सक्षम हैं।