
फाइजर और एस्ट्राजेनेका के कोविड रोधी टीके की एकल खुराक 65 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों को सार्स-कोव-2 संक्रमण के खिलाफ लगभग 60 प्रतिशत सुरक्षा उपलब्ध कराती है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के अनुसंधानकार्तओं द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट पत्रिका ‘लैंसेट इन्फेक्शस डिज़ीज़’ में प्रकाशित हुई है। अध्ययन में 65 साल और इससे अधिक आयु के लोगों को शामिल किया गया।
यह अध्ययन सार्स-कोव-2 का डेल्टा स्वरूप सामने आने से पहले पूरा हो गया था। ब्रिटेन में इस समय कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप से संबंधित संक्रमण के मामलों ने देश के लिए चिंता पैदा कर दी है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि फाइजर और एस्ट्रोजेनेका के कोविड रोधी टीके की एकल खुराक 65 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों को सार्स-कोव-2 संक्रमण के खिलाफ लगभग 60 प्रतिशत सुरक्षा उपलब्ध कराती है।
दुर्लभ प्रकार का न्यूरोलॉजिकल विकार पैदा हुआ : इस बीच भारत और इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने दो अलग-अलग अध्ययनों में पाया है कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड कोविड-19 टीका लेने वाले 11 लोगों में दुर्लभ प्रकार का न्यूरोलॉजिकल विकार पैदा हुआ जिसे गुलेन-बैरे सिंड्रोम नाम दिया गया है। केरल के एक चिकित्सा केंद्र से सात मामले सामने आए हैं जहां करीब 12 लाख लोगों को एस्ट्राजेनेका टीके दिए गए थे। भारत में इस टीके को कोविशील्ड कहा जाता है। ब्रिटेन के नॉटिंघम, में इस प्रकार के विकार के चार मामले सामने आए हैं जहां करीब सात लाख लोगों को टीके दिए गए थे।
सभी 11 लोगों को को 10-22 दिन पहले कोविड टीके लगाए गए थे। गुलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने तंत्रिका तंत्र के एक हिस्से पर हमला करती है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर स्थित तंत्रिकाओं का नेटवर्क है। दोनों अध्ययन 10 जून को एनल्स ऑफ न्यूरोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। दोनों अध्ययनों के लेखकों ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मामले दर्ज किए गए हैं, वहां से जीबीएस की आवृत्ति अपेक्षा से 10 गुना अधिक होने का अनुमान लगाया गया था।
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