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अब तक 30 देशों में फैल चुका Lambda Coronavirus Variant, एक्सपर्ट्स को डर, Delta से ज्यादा खतरनाक

पेरू में मिला कोरोना वायरस का Lambda वेरियंट दुनिया के अलग-अलग देशों में फैल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह ब्रिटेन समेत कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। एक्सपर्ट्स को डर है कि यह भारत में मिले डेल्टा वेरियंट से भी ज्यादा घातक हो सकता है। हालांकि, फिलहाल डेटा के आधार पर ऐसी कोई पुष्टि नहीं की जा सकी है।
डेल्टा वेरियंट ने अभी भी भारत समेत दुनिया के कई देशों में आतंक मचा रखा है। चिंताजनक बात यह है कि वैक्सीन के इस पर असर को लेकर अलग-अलग तरह की रिपोर्ट्स लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि Pfizer वैक्सीन का असर इजराइल में घटकर 64% हो गया है। यह गिरावट इजराइल में डेल्टा वेरिएंट के प्रसार के साथ देखी गई है।
वैक्सीन के असर पर चिंता : समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने मंत्रालय के हवाले से कहा कि नया आंकड़ा 6 जून से 3 जुलाई के बीच का है। 2 मई से 5 जून के बीच इसी वैक्सीन का असर 94.3% देखा गया था। इसी बीच Lambda Variant के आने से चिंताएं और बढ़ गई हैं। खासकर इसलिए क्योंकि इस कोरोना वेरिएंट में ‘असामान्‍य तरीके का’ म्‍यूटेशन है।
WHO के अनुसार, एक वायरस खुद की नकल करता है उसकी कॉपियां बनाता है, जो एकदम सामान्य बात है। वायरस में होने वाले इन बदलावों को म्यूटेशन कहते हैं। एक या एक से ज्यादा नए म्यूटेशन वाले वायरस को ऑरिजनल वायरस के वैरिएंट के रूप में जाना जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि जब कोविड-19 वायरस की बात हो, तो यह कई स्ट्रेन में बदल गया है, जिनमें से डेल्टा वैरिएंट B.1.617.2 को अब तक का सबसे खतरनाक वैरिएंट माना जा रहा है।
जब किसी विशेष वायरस के संकेतों की बात आती है तो इसके लिए कई लोगों के पर्याप्त डाटा एकत्रित करने की जरूरत होती है। चूंकि डेल्टा वेरिएंट मूल स्ट्रेन का बदला हुआ रूप है, इसलिए कहा जाता है कि म्यूटेशन के दौरान लक्षण भी बदल जाते हैं।
एक मोबाइल ऐप के जरिए एक सेल्फ रिपोर्ट करने वाली प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन में जारी हुए डेटा बताते हैं कि कोविड के आम लक्षणों में बदलाव आ गया है, जिन्हें हम ऑरिजनल वायरस से जोड़कर देखते हैं।
बुखार, खांसी, सिरदर्द और गले में खराश कोविड -10 के आम लक्षण हैं। लेकिन नाक बहना जैसा लक्षण पहले कभी नहीं देख गया । सूंघने की क्षमता कम हो जाना या चली जाना भी बेहद आम था, लेकिन अब नौवां सबसे आम लक्षण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लक्षणों में बदलाव टीकाकरण अभियान का परिणाम हो सकता है। इसके अलावा लक्षणों में बदलाव के पीछे वायरस का विकास भी एक कारण हो सकता है। डेल्टा वैरिएंट की विभिन्न विशेषताओं को देखते हुए लक्षण बदलना स्वभाविक है। लेकिन लक्षण आखिर क्यों बदल रहे हैं, इस सवाल का जवाब निर्धारित करना मुश्किल है।
डेल्टा वेरिएंट के विकसित होने के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या कोविड वैक्सीन नए डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ लड़ने में सक्षम होगी। अध्ययनों ने दावा किया है कि कुछ कोविड वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकते हैं। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड और रूस निर्मित वैक्सीन स्पुतनिक- वी सभी को डेल्टा वेरिएंट के लिए प्रभावी बताया गया है। इसके अलावा यूके के एक अध्ययन के अनुसार, फाइजर बायोएनटेक वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने के जोखिम को कम करने में अच्छा प्रभाव दिखाती है।
हर दिन उभरते आंकड़े बताते हैं कि हमें अभी भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए और डेल्टा वैरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाहिए। इसके लक्ष्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि जिसे हम मामूली सर्दी-जकुाम समझ रहे हैं, कहीं न कहीं ये कोविड-19 का ही लक्षण हैं।
तेजी से फैल रहा Lambda : ब्रितानी अखबार फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना लांब्‍डा वेरिएंट में असामान्‍य म्‍यूटेशन देखा गया है। इस वेरिएंट को शुरू में C.37 नाम दिया गया था। ब्रिटेन में भी इस वेरिएंट के 6 मामले सामने आ चुके हैं। पेरू के मोलेक्‍यूलर बॉयोलॉजी के डॉक्‍टर पाबलो त्‍सूकयामा ने कहा कि दिसंबर महीने में जब इस वेरिएंट पर सबसे पहले डॉक्‍टरों का ध्‍यान गया था, उस समय यह 200 में से केवल एक नमूना होता था।
कोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा हाल ही में बताया गया है, कि कोरोना का नया स्ट्रेन डेल्टा प्लस अधिक खतरनाक है। पिछले सभी वेरिएंट्स के मुकाबले यह ना केवल तेजी से फैलता है। बल्कि यह इम्यूनिटी को कमजोर करने और फेफड़ों को अधिक नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है। इस वेरिएंट के इन्ही दुष्प्रभावों को देखते हुए सरकार ने सभी राज्यों को कुछ दिशा निर्देश दिए हैं।
सरकार ने राज्यों को कहा है कि यह वायरस कम से कम फैले इसके लिए टेस्टिंग अधिक की जाए और इसके अलावा वैक्सीनेशन प्रक्रिया को भी गति देने की सिफारिश की है। आपको बता दें कि कोरोना का यह नया वेरिएंट अब तक कुल 9 देशों में मिला है। जिसमें भारत भी शामिल है। भारत के अलावा यूएस, यूके, रूस, पुर्तगाल, स्विट्जरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल और चीन जैसे देशों में भी यह वेरिएंट मिल चुका है।
ऐसे में आया नया वेरिएंट की खासियत यह है कि ये एंटीबॉडी को भी चकमा दे सकता है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर कुछ वैक्सीन काम करती हैं। लेकिन डेल्टा प्लस वायरस को लेकर अब तक किसी तरह का ना तो कोई प्रमाण मिलता है और ना ही विशेषज्ञ इसके बारे में कुछ कहते हैं।
कोरोना वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट का मामला राजस्थान के बीकानेर से आया था। डॉक्टर ओ.पी चहर ने बताया कि जो महिला संक्रमित हुई उनकी आयु 65 साल है। साथ ही वह मई के महीने में ही वायरस के पहले वेरिएंट से ठीक हो चुकी हैं और वैक्सीन के दोनो डोज भी ले चुकी हैं।
डॉक्टर का कहना है कि महिला के खून के नमूनों को जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी में 30 मई को भेज दिया गया था। जिसके बाद उनके सैंपल की जांच के बाद पता चला की उनके शरीर में डेल्टा प्लस वेरिएंट मौजूद है। जबकि यह महिला पहले ही कोविड की चपेट में आकर ठीक भी हो चुकी है।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन के दोनो डोज लगने के बाद भी व्यक्ति डेल्टा प्लस वेरिएंट का शिकार हो सकता है। भले ही यह लोग पहले संक्रमित हो भी चुके हो।
हम सभी जानते हैं कि कोरोना को दूसरी लहर हाल ही में कई राज्यों से खत्म हुई है। लेकिन इसका मतलब कतई यह नहीं है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की लापरवाही बरते। ऐसे में इस वायरस से बचे रहने के लिए सरकार द्वारा दिए गए सभी दिशा निर्देशों का पालन करना बहुत जरूरी है।
केवल यही एक तरीका है जिससे इस जानलेवा वायरस से बचा जा सकता है। साथ ही विशेषज्ञ लोगों को वैक्सीनेशन कराने की सलाह भी दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ वैक्सीन इस वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर भी काम करती है। इसलिए सावधान रहें डबल मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इसी से आप कोविड से बचे रह सकते हैं।
भारत में फिलहाल नहीं : पेरू में लांब्‍डा वेरिएंट के इस कहर से पड़ोसी चिली भी बचा नहीं है। वहां पर भी एक तिहाई मामले इसी वेरिएंट के हैं। हालांकि अभी कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं है कि यह वेरिएंट अन्‍य की तुलना में ज्‍यादा आक्रामक है। उन्‍होंने कहा कि इस वेरिएंट के तेजी से प्रसार पर शोध किया जाना चाहिए। भारत में अभी लांब्‍डा वेरिएंट के प्रसार के कोई साक्ष्‍य नहीं हैं। भारत में अभी डेल्‍टा वेरिएंट सबसे प्रभावी कोरोना वेरिएंट है।