
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है जब लोग कुछ अनुष्ठान करके पूर्वजों का सम्मान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद मास के दौरान पूर्णिमा से अमावस्या तक 16 दिनों तक हमारे मृत पूर्वजों की आत्माएं ऊर्जा के रूप में पृथ्वी पर आती हैं। ऐसे में इस दौरान श्राद्ध, अनुष्ठान ब्राह्मण भोजन किया जाता है। साथ ही गाय, कुत्ते और कौवे जैसे जानवरों को खिलाया जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन दिनों में तर्पण-श्राद्ध व ब्राह्मण भोज नहीं करवाया उन्हें स्वर्ग में भी भूखा रहना पड़ता है। यहां तक कि दानवीर कर्ण को भी इसके कारण स्वर्ग में भूखा रहना पड़ा।
दानवीर कर्ण को भी इस वजह से रहना पड़ा स्वर्ग में भूखा : ब्राह्मणों को भोजन कराने के पीछे एक प्रसिद्ध कहानी है। कहा जाता है कि कुंतीपुत्र कर्ण ने अपने जीवनकाल में गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान के रूप में बहुत सारी संपत्ति दे दी लेकिन उन्होंने कभी भोजन दान में नहीं दिया। मृत्यु के बाद कर्ण को स्वर्ग में कई विलासी और भौतिक सुख मिले लेकिन भोजन नहीं मिला। कहा जाता है कि कर्ण को सोने की थाली में खाने के लिए सोने की अशर्फियां ही परोसी जाती थीं। तब दानवीर कर्ण ने इंद्रदेव से जाकर इसका कारण पूछा।
भोजन में परोसा गया स्वर्ण : तब इंद्र ने कहा, “तुम दानवीर थे लेकिन तुमने अपने पूरे जीवन में सिर्फ सोने का ही दान दिया था। स्वर्ग में मनुष्य की आत्मा को वही खाने के लिए दिया जाता है, जिसे वो धरती पर दान करता है। तुमने मोह वश कभी अपने पूर्वजों का श्राद्ध-तर्पण भी नहीं किया इसलिए तुम्हें ऐसा खाना दिया जा रहा है।
मृत्यु के बाद 16 दिनों के लिए धरती पर वापस आए थे कर्ण : तब कर्ण ने कारण समझकर यमराज से 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर वापिस भेजने का अनुरोध किया, ताकि वह ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन दान कर सकें। यमराज ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उन्हें एक पखवाड़े के लिए पृथ्वी पर भेज दिया। जब कर्ण वापस लौटा तो उसका स्वागत प्रचुर भोजन से किया गया। यह ब्राह्मण भोज का प्रतीक है और जीवन के बाद तृप्ति प्राप्त करने के लिए गरीबों को भोजन कराना एक प्रभावी अनुष्ठान है।
श्राद्ध में क्यों करवाया जाता है ब्राह्मण भोज? : पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान पितर स्वयं ब्राह्मण के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। वहीं, इससे पितर प्रसन्न होकर रक्षा कवच की तरह परिवार की सुरक्षा करते हैं। हालांकि पितर किसी भी रूप में घर आ सकते हैं इसलिए अगर इन दिनों में कोई भी भिक्षा मांगने घर आए तो उसे खाली हाथ ना भीजें। इसके अलावा जानवरों, कौएं, गाय, कुत्तों आदि को भोजन जरूर करवाएं।
यही कारण है कि पितृपक्ष में संत, ब्राह्मण, गुरुजन, रोगी, वृद्ध या जरूरतमंदों की जितनी हो सके सेवना करनी चाहिए आप भोजन करवाना चाहिए। आप भी पितृ पक्ष के दौरान भगवान और अपने पूर्वजों से अपने पिछले कर्मों को शुद्ध करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए ईमानदारी से प्रार्थना करें।
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