
एक समुद्र तट पर पाए गए डायनासोर के पैरों के निशान से पता चला है कि ये विशालकाय जानवर 200 मिलियन (20 करोड़) साल पहले यहां इकट्ठा हुए थे। वैज्ञानिक लंबी गर्दन वाले डायनासोर के एक समूह के पैरों के निशानों का अध्ययन कर रहे हैं। 3डी मॉडल बनाने के लिए प्रिंट की गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है ताकि शोधकर्ता और ज्यादा आसानी और सटीकता से अध्ययन कर सकें।
नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के विशेषज्ञों ने अब इन चिह्नों पर अपने अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किए हैं, जो माना जाता है कि सैरोपोडोमोर्फ से संबंधित हैं। इन प्रजातियों में प्रसिद्ध डिप्लोडोकस शामिल हैं जो त्रैसिक काल (Triassic Period) के दौरान यहां मौजूद थे। पिछले साल कार्डिफ के पास पेनार्थ में वॉकर केरी रीस द्वारा खोजे जाने के बाद यह शोध किया गया था। म्यूजियम के प्रोफेसर पॉल बैरेट का कहना है कि पैरों के निशान की संख्या से यह संभव है कि इस साइट पर कई सैरोपोड्स इकट्ठा हुए थे।
सूरज की रौशनी में सूखकर बनते हैं जीवाश्म : ब्रिटेन और फ्रांस के वैज्ञानिकों की रिसर्च के नतीजे अब Geological Magazine में प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि इन आकृतियों के उभरे हुए किनारे हैं जिन्हें ‘Squelch Marks’ कहा जाता है, जहां डायनासोर अपना पैर कीचड़ में रखते हैं। ये निशान सूरज की रोशनी में सूख जाते हैं और फिर जीवाश्म में बदल जाते हैं। इससे पहले धरती पर राज करने वाले डायनासोर के पैरों के हजारों निशान पोलैंड में मिले थे।
पोलैंड में मिले थे जीवाश्म और हड्डियां : यहां डायनासोर की पपड़ीदार त्वचा को भी आसानी से देखा जा सकता था। विशेषज्ञों का कहना था कि डायनासोर के पैरों के इन निशान से 20 करोड़ साल पहले के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में नई जानकारी मिल सकती है। पोलैंड के भूगर्भ संस्थान नैशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इसे ‘खजाना’ करार दिया था। जीवाश्म बन चुके रास्ते और हड्डियां राजधानी वार्सा से 130 किमी दक्षिण में स्थित बोर्कोवाइस इलाके में एक खुली खदान में पाए गए थे।
भूगर्भविज्ञानी ग्रजेगोर्ज ने कहा, ‘डायनासोर द्वारा छोड़े गए पैर के निशान से आप डायनासोर के व्यवहार और आदतों का पता लगा सकते हैं…..हमारे पास डायनासोर के भागने, तैरने, आराम करने और बैठने के निशान हैं।’ मांस खाने वाले इन डायनासोर के सबसे बड़े पैरों के निशान 40 सेंटीमीटर या 15.7 इंच लंबा है।
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