
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के खिलाफ प्रतिबंधित स्रोत से वित्तपोषण मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक सदस्य अकबर एस बाबर ने 2014 में पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) में मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने पार्टी पर विभिन्न विदेशी दानदाताओं से प्राप्त धन में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। हालांकि, पार्टी ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि धन प्रतिबंधित स्रोतों से नहीं हासिल किया गया।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सिकंदर सुल्तान राजा के नेतृत्व वाली पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी की, लेकिन फैसला देने के बजाय घोषणा की कि ईसीपी अन्य राजनीतिक दलों के खिलाफ भी इसी तरह के मामलों पर सुनवाई पूरी करना चाहेगा। उन्होंने फैसला सुनाने की कोई समय सीमा नहीं बतायी, लेकिन प्रतिवादियों से कहा कि जरूरत पड़ने पर उन्हें तलब किया जाएगा।
इससे पहले, बाबर के वित्तीय विशेषज्ञ, अरसलान वर्दाग ने अदालत को बताया कि पीटीआई को अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से धन प्राप्त हुआ था और यह दलील दी कि पार्टी के पास 11 खाते थे, जिसके बारे में उसने खुलासा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि पीटीआई ने विदेशों से कई दानदाताओं के स्रोत का खुलासा नहीं किया। हालांकि, उन्हें सीईसी ने याद दिलाया कि पीटीआई के वकील अनवर मंसूर खान ने दानदाताओं के विवरण मुहैया नहीं कराने के बारे में अपनी दलीलें दी थीं कि वित्तपोषण के समय कानून के तहत इस तरह के विवरण की आवश्यकता नहीं थी।
जब बाबर ने ईसीपी प्रमुख को यह बताने की कोशिश की कि मिसाल कायम करने के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, तो सीईसी ने कहा कि मतदाताओं का विश्वास बहाल करके लोकतंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।
पीटीआई के फारुख हबीब ने ईसीपी से पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के खिलाफ इसी तरह के मामलों में सुनवाई पूरी करने का आह्वान किया।
मामले में फैसला महत्वपूर्ण है क्योंकि ईसीपी गंभीर अनुचित कृत्यों की स्थिति में पार्टी पर प्रतिबंध लगा सकता है और उसकी धनराशि को भी जब्त कर सकता है।
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