
ब्रिटेन में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि कोविड-19 टीकों ने पहले साल के दौरान करीब दो करोड़ लोगों की जान बचाई। अगर समय से टीकों की आपूर्ति हो जाती तो इससे भी ज्यादा मौतों को रोका जा सकता था। इंग्लैंड में आठ दिसंबर 2020 को एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी, जिसके बाद वैश्विक टीकाकरण अभियान शुरू हुआ। अगले 12 से ज्यादा महीने में दुनिया में 4.3 अरब लोगों ने कोविड वैक्सीन की खुराक ली। शोधकर्ताओं ने 185 देशों के आंकड़ों का इस्तेमाल करके अनुमान लगाया कि टीकों ने भारत में कोविड-19 से 42 लाख मौतों को रोका, अमेरिका में 19 लाख, ब्राजील में 10 लाख, फ्रांस में 6.31 लाख और ब्रिटेन में 5.07 लाख लोगों की जान बचाई।
वैक्सीन के कारण रोकी जा सकीं मौतें : मॉडल आधारित अध्ययन का नेतृत्व करने वाले इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के ओलिवर वाटसन ने कहा कि टीकों की आपूर्ति को लेकर लगातार असमानताओं के बावजूद बड़े पैमाने पर मौतों को रोका जा सका। उन्होंने कहा कि टीके नहीं होने पर खतरनाक नतीजे होते। वाटसन ने कहा कि निष्कर्ष यह बताते हैं कि अगर हमारे पास ये टीके नहीं होते तो महामारी कितनी बदतर हो सकती थी। शोध पत्रिका लांसेट इंफेक्शियस डिजीज में बृहस्पतिवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2021 के अंत तक 40 प्रतिशत टीकाकरण कवरेज का लक्ष्य पूरा कर लिया होता, तो अतिरिक्त छह लाख मौतों को रोका जा सकता था।
वैक्सीन से 1.98 करोड़ लोगों की जान बची : अध्ययन के मुताबिक 1.98 करोड़ लोगों की जान बच गई। यह परिणाम इस अनुमान पर आधारित है कि समय अवधि के दौरान सामान्य से कितनी अधिक मौतें हुईं। कोविड-19 के सामने आए मौतों के हिसाब से उसी मॉडल के तहत टीकों की बदौलत 1.44 करोड़ लोगों की जान बच गई। लंदन के वैज्ञानिकों ने चीन को इस अध्ययन में शामिल नहीं किया क्योंकि वहां पर कोविड-19 से हुई मौतों और उसकी विशाल आबादी पर महामारी के प्रभाव के बारे में सटीक जानकारी नहीं है।
इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन में प्रकाशित हुआ अध्ययन : अध्ययन में उन पहलुओं को शामिल नहीं किया गया कि लॉकडाउन या मास्क पहनने के नियमों की वजह से कितने लोगों की जान बचाने में सफलता मिली। मॉडल आधारित एक अन्य शोध समूह का अनुमान है कि टीकों द्वारा 1.63 करोड़ मौतों को टाला गया। सिएटल के ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन’ का यह अध्ययन प्रकाशित नहीं हुआ है।
वैक्सीन की कमी से फैला था डेल्टा वेरिएंट : सिएटल स्थित संस्थान से जुड़े अली मोकदाद ने कहा कि जब मामले बढ़ते हैं तो ज्यादा लोग मास्क पहनते हैं। उन्होंने कहा कि टीके के अभाव में 2021 में डेल्टा लहर तेजी से फैली थी। मोकदाद ने कहा, ‘‘हम वैज्ञानिक के तौर पर संख्या को लेकर असहमत हो सकते हैं, लेकिन हम सभी सहमत हैं कि कोविड टीकों ने बहुत लोगों की जान बचाई।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website