
रियाद: जनवरी 2016 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सऊदी अरब के दौरे पर पहुंचे थे। उनके साथ उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी थीं। दौरा खत्म भी नहीं हुआ था कि मिशेल पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गईं। यूं तो पूर्व प्रथम महिला हमेशा खबरों में रहती थीं लेकिन इस बार मामला अलग था। अपने पति के बगल में खड़ी और ब्लू कलर की ड्रेस में सजी मिशेल सिर न ढंकने की वजह से आलोचना का विषय बन गई थीं। सऊदी अरब में जमकर उन्हें उनके इस रवैये की वजह से निशाना बनाया गया। इसके बाद सऊदी अरब में महिलाओं के लिए बने सख्त नियमों पर बातें होने लगीं। लेकिन अब 6 साल बाद इसी देश की चर्चा हो रही है और इस बार महिलाओं को मिलने वाली आजादी का जिक्र किया जा रहा है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने सुधार का जो कार्यक्रम शुरू किया उसका सीधा फायदा महिलाओं को मिलने लगा।
सऊदी अरब ने साल 2019 में प्रिंसेज रीमा बिंत बंदर बिंत सुल्तान बिन अब्दुलअजीज अल सौद को अमेरिका में अपना राजदूत नियुक्त कर बदलाव की तरफ इशारा कर दिया था। प्रिंसेज रीमा पहली महिला राजदूत हैं जो राजनयिक संबंधों को आगे बढ़ा रही हैं।हाल ही में सऊदी अरब ने दो महिलाओं को सरकार में सीनियर पोजिशंस से नवाजा है।
पुरुष कर्मियों के दबदबे वाले सऊदी में शिहाना अलाजजाज को सऊदी कैबिनेट में डिप्टी सेक्रेटरी का पद दिया गया। वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। इसके अलावा राजकुमारी हाइफा बिंत मोहम्मद अल सौद को देश का डिप्टी टूरिज्म मंत्री बनाया गया। इस नई खबर के साथ ही सऊदी अरब ने साबित कर दिया कि अब महिलाओं को प्रतिबंधों के साये में नहीं रहना होगा।
सरकार की योजना है कि निजी सेक्टर में भी देशवासियों की भागीदारी बढ़ाई जाए। पिछले कुछ सालों में अथॉरिटीज ने महिला ड्राइवरों पर से प्रतिबंध हटाया है। साथ ही अब देश में महिलाएं बिना पुरुष अभिभावक के आजादी के साथ कहीं भी आ-जा सकती हैं। इसी साल जून में इस देश में अरामको की एग्जिक्यूटिव रहीं शाहेला अलरोवाइली को सेंट्रल बैंक के बोर्ड में जगह मिली थी।
तो ये है असली वजह : वर्ल्ड बैंक की इस साल मार्च में वर्ल्ड बैंक की वीमेन बिजनेस एंड लॉ रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा गया कि सऊदी महिलाएं अब श्रम बाजार में भी दाखिल होने लगी हें। साल 2019 से सरकार ने नए सुधाको लागू करना शुरू कर दिया है। इसके बाद महिलाओं को उन उद्योगों में भी नए मौके मिलने लगे जहां पर अभी तक सिर्फ पुरुषों का ही दबदबा था। एमबीएस के करीबियों का मानना है कि विजन 2030 की सफलता के लिए महिलाओं की भूमिका काफी अहम है।
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