
पाकिस्तान की एक अदालत ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया और इस्लामाबाद में एक रैली के दौरान एक महिला न्यायाधीश के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी करने के मामले में उनके खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में उन्हें 31 अगस्त को पेश होने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मोहसिन अख्तर कयानी, न्यायमूर्ति बाबर सत्तार और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की सदस्यता वाली इस्लामाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने इमरान से 31 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उसके सामने पेश होने को कहा।
अदालत ने बीते शनिवार को इस्लामाबाद में अपने भाषण के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी को ‘धमकी’ देने पर 69 वर्षीय इमरान के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए सोमवार को एक बड़ी पीठ का गठन किया था।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कयानी ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान की टिप्पणी को ‘अनुचित’ करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों को नियंत्रित करने पर जोर देते हुए कहा कि मामला केवल इस्लामाबाद उच्च न्यायालय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि संदेश उच्चतम स्तर तक जा रहा है।
न्यायमूर्ति कयानी ने कहा, “इमरान लगातार न्यायपालिका और पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं। इस पर विराम लगना चाहिए।”
न्यायमूर्ति मियांगुल ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
इमरान ने शनिवार को एफ-9 पार्क में आयोजित एक रैली में इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक और पुलिस उप-महानिरीक्षक के खिलाफ मामला दर्ज कराने की धमकी देते हुए कहा था, “हम आपको बख्शेंगे नहीं।”
उन्होंने न्यायपालिका पर अपनी पार्टी के प्रति ‘पक्षपातपूर्ण’ रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
इमरान ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेबा चौधरी को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। चौधरी ने इस्लामाबाद पुलिस के अनुरोध पर इमरान के सहयोगी शहबाज गिल को दो दिन हिरासत में लेने की मंजूरी दे दी थी।
गिल को पिछले हफ्ते देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
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