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बच्‍चे के मार्क्‍स के पीछे भागने के बजाय, उससे प्‍यार से कहें ये बातें; अपने आप डबल हो जाएंगे नंबर


अगर आपका बच्‍चा भी स्‍कूल जाता है और आप जानना चाहते हैं कि वो पढ़ाई में कैसा है या उसकी ब्रेन पॉवर कैसी है, तो यह जानने का सबसे अच्‍छा तरीका है उसकी रिपोर्ट कार्ड देखना है। कुछ बच्‍चों के नंबर बहुत अच्‍छे होते हैं तो वहीं कुछ बच्‍चों के नंबर खराब आते हैं। जब बच्‍चे के नंबर खराब आते हैं तो माता-पिता अक्‍सर निराश हो जाते हैं।
स्‍कूल में मिलने वाले मार्क्‍स इस बात का सबूत होते हैं कि आपका बच्‍चा पढ़ाई में कैसा है और स्‍कूल में किस तरह परफॉर्म कर रहा है। लेकिन अगर आप सिर्फ बच्‍चे के नंबरों और मार्क्‍स के बारे में सोचते हैं तो इसका बुरा असर बच्‍चे के संपूर्ण विकास पर पड़ सकता है। टाइम ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक लेख में प्राइवेट प्रैक्टिस प्रोफेशनल काउंसलर ब्रेंट स्विटजर ने बताया है कि बच्‍चे भी स्‍कूल में परफॉर्मेंस को लेकर पैरेंट्स की एंग्‍जायटी को अपने अंदर ले लेते हैं।
कुछ पैरेंट्स अपने बच्‍चे की पढ़ाई और नंबरों में इतना अंदर घुसे रहते हैं कि वो इसे खुद अपनी सक्‍सेस और फेलियर समझ लेते हैं। लेकिन क्‍या अपने बच्‍चे पर इतना बोझ डालना सही है? अगर आप भी अपने बच्‍चे पर पढ़ाई का बोझ डाल रहे हैं और उस पर अच्‍छे नंबर लाने का प्रेशर बना रहे हैं तो जरा एक बार फिर सोच लीजिए।
​बच्‍चों से पूछें : आप अपने बच्‍चे से पूछें कि ग्रेड्स को लेकर वो क्‍या सोचता है। आप खुद ही ये तय कर लेते हैं कि उसके नंबर अच्‍छे आएं हैं या बुरे और उससे इसे लेकर कोई राय नहीं लेते हैं। अगर आप बच्‍चे के ग्रेड को लेकर गुस्‍सा, निराश हैं तो इससे बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास डगमगा सकता है और उसका पढ़ाई और लर्निंग के साथ रिश्‍ता खराब हो सकता है।
ग्रेड्स से मन हटाएं : आपको अपने बच्‍चों के ग्रेड्स से मोह रखना छोड़ना होगा। एग्‍जाम और खासतौर पर रिजल्‍ट को लेकर आप बच्‍चे पर ज्‍यादा प्रेशर ना बनाएं। एक कॉन्फिडेंट बच्‍चे की परवरिश में आपको बच्‍चे के अंदर ये विश्‍वास डालना होगा कि आप उस पर भरोसा करते हैं।
​क्‍या रोक रहा है : आप बच्‍चे की यह जानने में मदद करें कि वो क्‍या चीज है जो उसे सफल होने से रोक रही है। अगर आपके बच्‍चे के अच्‍छे नंबर नहीं आए हैं तो उसे इस पर भाषण देने की बजाय यह सोचने की कोशिश करें कि बच्‍चे को कहां दिक्‍कत आ रही है।
​इमोशनल इंटेलिजेंस : मैथ वर्ड प्रॉब्‍लम सुलझाने के अलावा आप बच्‍चे की जिंदगी की परेशानियों में भी झांक कर देखें। बच्‍चे का सोशल और इमोशनल इंटेलिजेंस में पास होना भी जरूरी है। इमोशनल इंटेलिजेंस क्‍या है, यही सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि इसमें बच्‍चा खुद अपनी भावनाओं को समझ पाता है, उन्‍हें व्‍यकत कर पाता है और दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखा पाता है।
​एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज : किताबों से बाहर भी एक दुनिया है और आपको अपने बच्‍चे को एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज भी सिखानी हैं। बच्‍चों को इसमें बहुत मजा आता है और कुछ तो उनकी दिलचस्‍पी की होती हैं। आप अपने बच्‍चे को पढ़ाई से परे डांसिंग, पेंटिंग या सिंगिंग में सफल होते देख सकते हैं।