
जब भी शादी की बात आती है तो सबसे पहले कुंडली मिलान के बारे में सोच विचार किया जाता है। इसके लिए लड़के और लड़की दोनों के ही वर्ण मिलाए जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि दोनों एक दूसरे के लिए बने है या नहीं। शादी विवाह के मामले में कुंडली मिलान को बेहद की खास माना जाता है। कई लोगों का मानना है कि अगर किसी के 36 में से 36 गुण मिलते हैं तो ऐसा होना बहुत ही शुभ रहता है। लेकिन, ऐसा नहीं है। कुंडली मिलान से लोग सिर्फ गुण मिलना ही समझते हैं लेकिन, शादी के लिए और भी कई चीजों को देखा जाता है। तो आइए जानते हैं क्या है कुंडली मिलान से जुड़ी कुछ खास बांतें।
कितने प्रकार के होते हैं गुण – गुण मिलान में कुल 8 गुण देखे जाते हैं। हर गुण का अपने एक अलग अंक होता है। इसके आधार पर ही यह तय किया जाता है कि कुल कितने गुण मिलते हैं। सबसे पहले जानते हैं 8 गुण क्या है और उनके अंक क्या हैं। वर्ण जिसका अंक 1, वश्य जिसका अंक 2, तारा का अंक 3, योनि का अंक 4 होता है। इसी तरह ग्रह मैत्री 5 अंक, गण 6 अंक, भकूट 7 अंक, नाड़ी 8 अंक इन सभी को मिलाकर कुल 36 गुण बनते हैं।
कितने गुण मिलने पर उत्तम रहता है विवाह
1. अगर किसी व्यक्ति के 18 से कम गुण मिलते हैं तो ऐसा विवाह के सफल होने की संभावना बहुत कम होती है।
2. वहीं, अगर किसी व्यक्ति के 18 से 25 गुण मिलते हैं तो ऐसा होने विवाह के लिए अच्छा माना जाता है।
3. वहीं, अगर 25 से 32 गुण मिलते हैं तो यह विवाह के लिए उत्तम माने जाते हैं। कहा जाता है कि ऐसा विवाह सफल होते हैं। वन
4. अगर किसी के 32 से 36 गुण मिलते हैं तो ऐसे होने बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसा विवाह सफल रहता है।
36 गुण मिलना सफल शादी की निशानी ? – गुण मिलान तो कुंडली मिलाने का एक छोटा सा हिस्सा है। सिर्फ गुण मिलने से किसी की शादी का सफल होना या असफल होने तय नहीं माना जाता है। आपने देखा होगी की कई बार 36 के 36 गुण मिलने के बाद भी व्यक्ति की शादी सफल नहीं होती। ऐसा इसलिए क्योंकि गुण के अलावा कुंडली में बाकी ग्रहों की स्थिति भी देखी जाती है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि विवाह स्थान के स्वामी की क्या स्थिति है। कुंडली में 7वें घर विवाह स्थान होता है। कुंडली में 7वें घर से आपको यह भी पता लगा सकता है कि आपका जीवनसाथी स्वभाव से कैसा होगा।
मंगल दोष की जांच कराना बेहद जरुरी – जब भी शादी के लिए कुंडली मिलाएं तो मंगल दोष की जांच कराना सबसे ज्यादा जुड़ी है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल लग्न भाव से पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में होता है ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। दरअसल, अगर किसी मांगलिक की शादी अगर किसी बिना मांगलिक से हो जाए तो ऐसी शादी के टूटने की संभावना ज्यादा रहती है।
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