
सऊदी अरब ने रमजान के पवित्र महीने के दौरान एक व्यक्ति को मौत की सजा दी है। एक अधिकार समूह ने सोमवार को कहा कि वर्षों में ऐसा नहीं हुआ था। आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि मदीना क्षेत्र में यह मौत की सजा दी गई है। मदीना इस्लाम में दूसरा सबसे पवित्र शहर है। जिस व्यक्ति को मौत की सजा दी गई है, वह एक सऊदी नागरिक था, जिसे हत्या का दोषी ठहराया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक उसने पीड़ित की चाकू मार कर हत्या की और फिर उसे आग लगा दी।
बर्लिन के यूरोपीय सऊदी मानवाधिकार संगठन (ESOHR) ने एक बयान में कहा, ‘सऊदी अरब ने रमजान के दौरान एक नागिर को मारा है।’ संगठन ने सऊदी आंतरिक मंत्रालय के मौत की सजा से जुड़े आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2009 से किसी को भी पवित्र महीने में मौत की सजा नहीं दी गई है। ESOHR के मुताबिक इस साल 17 लोगों को मौत की सजा दी गई है। 2022 में सऊदी ने 147 लोगों को सजा दी थी। वहीं अगर 2021 की बात करें तो 69 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।
एक हजार से ज्यादा मौत की सजा – पिछले साल भी ड्रग्स से जुड़े अपराधों में मौत की सजा में बहाली देखने को मिली है। ड्रग्स के मामलों में पिछले तीन साल से मौत की सजा नहीं दी जा रही थी। ब्रिटिश स्थित रेप्रीव और ईएसओएचआर की ओर से इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, जिसके मुताबिक 2015 में किंग सलमान के सत्ता संभालने के बाद 1000 से ज्याद मौत की सजा दी जा चुकी है।
सिर कलम कर मौत की सजा – सऊदी अरब में अक्सर सिर कलम कर मौत की सजा दी जाती है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि हत्या के मामलों को छोड़कर या फिर बहुत सारे लोगों के जीवन को खतरे में डालने वाले मामलों के अलावा किंगडम ने मौत की सजा देने से छुटकारा पा लिया है। इससे पहले सऊदी ने मार्च में जॉर्डन के एक व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई थी। उसके परिवार का कहना था कि उसे ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार किया गया था और कस्टडी में टॉर्चर किया गया।
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