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इन 5 वजहों से इंडियन पैरेंटिंग की कायल है दुनिया, लेकिन बच्‍चों को इस स्‍टाइल पर आता है गुस्‍सा

बच्‍चे की परवरिश करने का हर पैरेंट का तरीका अलग होता है। हालांकि, सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ एक सामान्य पालन-पोषण शैली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं – जैसे कि इंडियन पैरेंटिंग स्‍टाइल। कोई भी पैरेंटिंग स्‍टाइल परफेक्‍ट नहीं होता है और हर चीज के अच्‍छे और बुरे पहलू होते हैं। अक्‍सर भारतीयों को इंडियन पैरेंटिंग स्‍टाइल को लेकर काफी शिकायतें रहती हैं लेकिन आपको बता दें कि इसके कुछ फायदे भी होते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि इंडियन पैरेंटिंग स्‍टाइल के क्‍या फायदे होते हैं।
इंफॉर्मेशन पर कंट्रोल रखना – भारतीय माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चे द्वारा उपभोग की जाने वाली जानकारी को नियंत्रित करने के लिए बहुत सख्त होते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका बच्चा गलत भाषा या अश्लील सामग्री के संपर्क में न आए और विशेष रूप से इंटरनेट या टेलीविजन से दूर रहे। उनका मानना है कि हर चीज के लिए एक सही उम्र होती है और बच्चों को तब तक सुरक्षित रखने की जरूरत है जब तक कि वे जटिल मामलों को समझने के लिए पर्याप्त परिपक्व न हो जाएं।
तमीज रखनी है – भारतीय माता-पिता आमतौर पर अशिष्ट व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करते हैं। एक भारतीय परिवार में बच्चे झगड़े के दौरान भी अपमानजनक नहीं हो सकते हैं। यहां पर बच्‍चे गुस्‍से में बस घर का दरवाजा जोर से बंद कर सकते हैं। इंडियन पैरेंट्स का पैरेंटिंग टिप यही है कि भाई या बहन कोई भी एक-दूसरे के प्रति अपमानजनक नहीं हो सकता है।
शिक्षा का महत्‍व- जब शिक्षा की बात आती है तो भारतीय माता-पिता सुपर सख्त होते हैं। वे अपने बच्‍चों को क्‍लास बंक करने की अनुमति नहीं देते हैं और यदि आपको एक्‍स्‍ट्रा ट्यूशन क्‍लासेस की जरूरत होती है, तो वे मोटी फीस देने को भी तैयार रहते हैं। वे आपके होमवर्क और परीक्षा की तैयारी पर निगरानी रखते हैं और पढ़ाई में आपकी मदद भी करते हैं। बच्चे अक्सर अपने माता-पिता को बाद में उन्हें आत्म-अनुशासन सिखाने के लिए धन्यवाद देते हैं।
अध्‍यात्‍म का पाठ – भारतीय पैरेंटिंग स्‍टाइल का अध्‍यात्‍म और धर्म एक अभिन्‍न हिस्‍सा है। कई भारतीय पैरेंट्स कम उम्र में ही बच्‍चे को मंदिर ले जाते हैं या रोज सुबह घर पर ही पूजा करना सिखाते हैं। भगवान से प्रार्थना करने और पौराणिक कथाएं सुनाने को लेकर माना जाता है कि इससे बच्‍चे उच्‍च विचारों और मूल्‍यों को सीखते हैं। भारत में धर्म का ज्ञान होना बहुत जरूरी है क्‍योंकि यहां पर अनेक धर्मों के लोग एकसाथ रहते हैं। ऐसे में माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्‍चा हर धर्म का सम्‍मान करना सीखे।
दोस्‍तों की कंपनी – दोस्‍तों और संगत को लेकर इंडियन पैरेंट्स काफी सख्‍त होते हैं। अगर बच्‍चे का कोई दोस्‍त स्‍वार्थी है या उसे बिगाड़ रहा है, तो वो उसे बताने में हिचकिचाते या शर्माते नहीं हैं। बच्‍चों को अपने मां-बाप की ये आदत भले ही ना पसंद आए लेकिन बाद में उन्‍हें ये समझ आ ही जाता है कि इंसान को पहचानने में उनके माता-पिता एकदम सही थे और वो भी अपने पैरेंट्स की मदद से सही लोगों की पहचान करना सीख जाते हैं।