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हमास के इजरायल पर हमले से खतरे में भारत मध्य पूर्व यूरोप कॉरिडोर, ईरान ने जानबूझकर कराया अटैक?


इजरायल पर हमास के हमले से भारत को भी तगड़ा झटका लगने का डर सता रहा है। यही कारण है कि भारत ने मध्य पूर्व में अपने सभी साझेदारों के साथ संपर्क को बढ़ा दिया है। भारत यह भी समीक्षा कर रहा है कि इजरायल और हमास में संघर्ष से दुनिया पर क्या असर पड़ सकता है। हमास के इस हमले में ईरान एक विलेन की तरह उभरा है। माना जा रहा है कि इस हमले से सबसे ज्यादा फायदा ईरान को ही होने वाला है। खुद हमास ने भी स्वीकार किया है कि इजरायल पर हमले में ईरान ने सबसे ज्यादा मदद की थी, हालांकि तेहरान ने बाद में इससे पल्ला झाड़ लिया। इसके बावजूद ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी और वहां के सर्वोच्च धर्मगुरु अयातुल्लाह अली खामेनेई ने हमास के आतंकवादियों की पीठ थपथपाई। ईरानी राष्ट्रपति ने तो फिलिस्तीनी नागरिकों और हमास की मदद के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी बात की।
ईरान ने भारत मध्य पूर्व गलियारे को नुकसान पहुंचाने के लिए हमला कराया – फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसिज के रिसर्च फेलो हुसैन अब्दुल-हुसैन ने कहा कि इजरायल पर हमास के हमले का फिलीस्तीनियों से कोई लेना-देना नहीं था, बल्कि अमेरिका प्रायोजित भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई गई थी। भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा एक व्यापार मार्ग है, जो संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ने की योजना है। आईएमईसी चीन और ईरान के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ प्रतिस्पर्धा करेगा। उन्होंने दावा किया कि ऐसे हालात में ईरान ने इजराइल के साथ सऊदी अरब के सामान्यीकरण को रोकने के लिए हमास को इजरायल पर हमला करने का आदेश दिया।
खमेनेई के शीर्ष सहयोगी ने किया जिक्र – सैन अब्दुल-हुसैन ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के शीर्ष सहयोगी अली विलायती ने कहा, “जो लोग सोचते हैं कि वे इकाई (इजरायल) के साथ संबंधों को सामान्य करके और इस्लामी देशों के साथ अपने संबंधों को तोड़कर अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि वे मध्य पूर्व जैसे संवेदनशील क्षेत्र के माध्यम से व्यापार गलियारे बनाने जैसी अपनी भोली-भाली योजनाओं से इस क्षेत्र की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं।” अली विलायती ने आगे कहा, “ऐसी (योजनाओं) की प्रतिक्रिया से फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने साबित कर दिया है कि पश्चिमी उपनिवेशवाद ने जायोनीवादियों (इजरायली) के लिए एक सुरक्षित घर के रूप में जो बनाया है वह मकड़ी के जाल से भी कमजोर है।