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चंद्रयान लैंडर के बाद ब्लू रंग का विक्रम-1 चर्चा में, स्पेस की दुनिया में क्या बदलने वाला है


चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के बारे में आपने खूब सुना होगा। वही जो अपने साथ ‘मास्टर’ प्रज्ञान को लेकर चांद पर उतरा था। रोवर और लैंडर दोनों इस समय चांद पर आराम कर रहे हैं। इस बीच, धरती पर विक्रम-1 की चर्चा होने लगी है। यह थोड़ा ब्लू कलर का है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसका अनावरण किया है। दरअसल, विक्रम-1 आधुनिक ‘भीम’ रॉकेट है। कार्बन-फाइबर स्ट्रक्चर और दमदार क्षमता वाला यह रॉकेट कक्षा में कई सैटलाइटों को पहुंचा सकता है। स्पेस सेक्टर के स्टार्टअप स्काईरूट एयरोस्पेस ने स्वदेश में बने अपने विक्रम-1 रॉकेट को दुनिया को दिखाया है। अगले साल की शुरूआत में यह ‘भीम’ रॉकेट उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। यह भारत के प्राइवेट सेक्टर की रॉकेट बनाने की क्षमता को भी दिखाता है।
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​विक्रम-1 क्या है​
​विक्रम-1 क्या है​
विक्रम-1 सात मंजिला ऊंचा मल्टी-स्टेज रॉकेट है।
कई उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाने की क्षमता के साथ यह दुनिया के एलीट क्लब में शुमार हो गया है।
विक्रम-1 लगभग 300 किलोग्राम पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने की क्षमता रखता है।
यह पूरी तरह से कार्बन-फाइबर ढांचे वाला रॉकेट है, जो कई उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकता है।
पिछले साल 18 नवंबर को विक्रम-एस रॉकेट के सफल लॉन्च के बाद विक्रम-1 स्काईरूट का दूसरा रॉकेट होगा, जिसे 2024 की शुरूआत में लॉन्च करने की योजना है।
SKYROOT ने अपनी वेबसाइट पर विक्रम-1, विक्रम-2, विक्रम-3 के बारे में जानकारी दी है। सबकी पेलोड क्षमता, आर्किटेक्चर और फ्लेक्सिबिलिटी कमाल की है।
​​10 साल में 20,000 रॉकेट लॉन्च?​
​​10 साल में 20,000 रॉकेट लॉन्च?​
विक्रम-1 में ‘विक्रम’ भारत के स्पेस प्रोग्राम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम से लिया गया है। स्काईरूट ने बताया है कि विक्रम सीरीज के स्पेस लॉन्च वीकल को छोटे सैटलाइट मार्केट के लिए तैयार किया गया है।
स्काईरूट के मुताबिक आने वाले एक दशक में 20,000 से ज्यादा छोटे सैटलाइट लॉन्च किए जाने वाले हैं। विक्रम को इस काम को विशेषज्ञता, टिकाऊपन और कम खर्चे में पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
विक्रम कई ऑर्बिट में रॉकेट पहुंचा सकता है, दूसरे ग्रहों पर भी जा सकता है। कंपनी का दावा है कि जल्द ही सैटलाइट लॉन्च करना कैब बुक करना जितना आसान होने वाला है।
साउथ हैदराबाद के जीएमआर एयरोस्पेस और इंडस्ट्रियल पार्क में स्टार्टअप का नया मुख्यालय बना है। केंद्रीय मंत्री ने 60,000 वर्ग फुट में फैले स्काईरूट मुख्यालय का दौरा किया और इसे देश के सबसे बड़े निजी रॉकेट विकास केंद्र के तौर पर बताया।