
रिसर्चर्स यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के Gaia टेलिस्कोप की मदद से एक विस्तृत मैप तैयार कर रहे थे जब उन्होंने इस क्षेत्र को खोज निकाला। इसे Cepheus Spur नाम दिया है। आकाशगंगा (Milky Way) के Orion arm (जहां हमारा सौर मंडल है) और तारामंडल Perseus के बीच यह बेल्ट जैसा क्षेत्र मिला है।
ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट्स को हमारी आकाशगंगा में ऐसा क्षेत्र मिला है जहां उबलते नीले सितारे फटने की कगार पर हैं। रिसर्चर्स यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के Gaia टेलिस्कोप की मदद से एक विस्तृत मैप तैयार कर रहे थे जब उन्होंने इस क्षेत्र को खोज निकाला। इसे Cepheus Spur नाम दिया है। आकाशगंगा (Milky Way) के Orion arm (जहां हमारा सौर मंडल है) और तारामंडल Perseus के बीच यह बेल्ट जैसा क्षेत्र मिला है। इसमें सूरज से तीन गुना बड़े सितारे मिले हैं और ये नीले दिखते हैं।
जीवन के लिए जरूरी : ऐस्ट्रोनॉमर्स ने इन विशाल नीले सितारों को OB कहा है क्योंकि ये नीली वेवलेंथ की रोशनी पैदा करते हैं। ये पूरी गैलेक्सी में सबसे दुर्लभ, गर्म, विशाल और कम जीवनकाल वाले सितारे हैं। इनके अंदर होने वाले न्यूक्लियर रिएक्शन उन्हें सूरज से 6 गुना ज्यादा गर्म बनाते हैं। ये सुपरनोवा विस्फोट से मर जाते हैं और इसमें गैलेक्सी में दूर तक जीवन के लिए जरूरी एलिमेंट्स जाते हैं। ये सितारे दुर्लभ होते हैं और 400 अरब सितारों वाली गैलेक्सी में 2 लाख से भी कम ऐसे सितारे हो सकते हैं।
गैलेक्सी का सबसे सक्रिय हिस्सा : यह जानकारी स्पैनिशन ऐस्ट्रोबायॉलजी सेंटर के रिसर्चर माइकलैंजिलो ने लाइव साइंस को दी। उन्होंने बताया कि ये सितारे हेवी एलिमेंट्स बनने के लिए जरूरी होते हैं और इसलिए इन्हें जरूरी केमिकल्स का स्रोत माना जाता है। इनकी वजह से हमारे ग्रह की जियोकेमिस्ट्री इतनी जटिल है कि बायोकेमिस्ट्री पैदा हो सकी। रिसर्चर्स ने बताया कि जहां भी नीले सितारे मिलते हैं, वहां गैलेक्सी का सबसे सक्रिय और ‘जीवित’ क्षेत्र मिलता है।
ऐसा पता की दूरी : रिसर्चर्स अपने स्टार मैप को धरती से दूरी के आधार पर बना रहे थे। इसे Stellar parallax कहते हैं। सूरज का चक्कर काटते हुए धरती की अलग-अलग पोजिशन से सितारों को ऑब्जर्व किया जाता है। इससे सितारों तक की दूरी कैलकुलेट की जा सकती है। इस तकनीक से Gaia के डेटा को मिलाकर नए सितारों को नए क्षेत्र में खोजा जा सका है जिसे अब तक खाली समझा जा रहा था। माइकलैंजिलो ने बताया कि कई महीनों की मेहनत के बाद यह खूबसूरत मैप पहली बार देखा गया।
पता चलेगा आकाशगंगा का इतिहास : वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि वया क्षेत्र स्पाइरल गैलेक्टिक डिस्क का हिस्सा है जिसमें हमारी गैलेक्सी का ज्यादातर मटीरियल है और यह भी कि यह सिर्फ सितारों का पैटर्न नहीं है। इन्हें एक ही दिशा में लगातार चलते हुए ऑब्जर्व किया गया है। उन्होंने यह भी संभावना जताई है कि इसकी पोजिशन के आधार पर आकाशगंगा के इतिहास का पता चल सकता है। इनसे पहले की गैलेक्सीज से टक्कर का पता चल सकता है। अब इन्हें सटीक मैप में जोड़ा जाएगा जिससे गैलेक्सी के बारे में और जानकारी मिल सके।
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