
बढ़ते वायु प्रदूषण की वज़ह से लोग कई बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इसके चलते खांसी, दमा, सांस लेने में परेशानी, अस्थमा जैसी कई समस्याओं के मरीज आए दिन बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो आपको ज्यादा केयर की जरूरत है। अगर आप वायु प्रदूषण के संपर्क में थोड़ी देर के लिए भी आती है तो प्रेग्नेंसी में परेशानियां आ सकती है और अबॉशन का खतरा भी बढ़ सकता है। एक स्टडी में पता चला है कि वायु प्रदूषण से दमा से लेकर बच्चे के जन्म तक सारी स्वास्थ्य से जुड़ी खतरनाक बीमारियां हो सकती है।
स्टडी में हुआ खुलासा
एक स्टडी में पता चला है कि ज्यादा आबादी में रहने वाली महिलाएं जब वायु प्रदूषण के संपर्क में आती है तो उनमें कम आबादी में रहने वाली प्रेग्नेंट महिलाओं के मुकाबले अबॉशन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। इस अध्ययन में 1300 महिलाएं शामिल थीं जिन्होंने गर्भपात के बाद डॉक्टरी मदद के लिए इमरजेंसी डिपार्टमेंट का रुख लिया था। वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हवा में तीन तरह के कैमिकल्स – अतिसूक्ष्म कणों (पीएम 2.5), नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन की मात्रा बढ़ जाती है तो इससे अबॉशन का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। इस शोध में यह भी पता चला कि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए नाइट्रोजन ऑक्साइड बहुत खतरनाक होता है।
2018 के हैरान करने वाले आंकड़े
भारत में पिछले साल तंबाकू के इस्तेमाल के मुकाबले वायु प्रदूषण से लोग ज्यादा बीमार हुए और इसके चलते प्रत्येक आठ में से एक व्यक्ति ने अपनी जान गंवाई। इस अध्ययन में यह कहा गया कि हवा के बहुत छोटे-छोटे कण (पीएम 2.5) धूूंध के स्तर को बढ़ाते हैं।
पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण 12.4 लाख लोगों की मौत हुई थी उनमें आधे से ज्यादा लोग 70 की उम्र से कम थे, इसमें कहा गया कि भारत की 77 प्रतिशन आबादी हर रोज घर के बाहर के वायु प्रदूषण के खतरनाक संपर्क में आती है।
अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में वायू प्रदूषण के कारण 18 फीसदी लोगों ने समय से पहले या तो अपनी जान गवां ली थी या गंभीर बीमारियों के शिकार हो गए थे, इसमें भारत का आंकड़ा 26 फीसदी था।
कैसे करें बचाव
प्रेग्नेंट महिलाओं को वायु प्रदूषण से बचने के लिए घर से बाहर कम ही निकलना चाहिए। वहीं घर पर भी वायु प्रदूषण से बचने के लिए मार्किट में कई तरह के ऑप्शन्स है, उनका इस्तेमाल करना चाहिए।
वायु प्रदूषण से हमारे फेफड़ो पर असर पड़ता है जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इससे दमा, ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर, टीबी और निमोनिया जैसे कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आप दमा से पीड़ित हैं तो आखिरी छह हफ्ते का वक्त काफी गंभीर होता है। ऐसे में एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
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