
लंबे समय तक हिंसा और संघर्ष के बाद आर्मीनिया और अजरबैजान मानवीय संघर्षविराम के लिए तैयार हो गए हैं। 29 दिन तक जंग के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने सीजफायर के पालन पर मुहर लगाई है। आधी रात से दोनों देशों के बीच संघर्षविराम प्रभाव में आ गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्र प्रमुखों को बधाई देते हुए दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए अपने विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो की पीठ थपथपाई।
बता दें कि नागोरनो-करबाख क्षेत्र के लिए युद्ध के बीच आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच दशकों पुराना संघर्ष है। दोनों देशों के बीच 29 सितंबर से एक बार फिर जंग छिड़ गई थी।
मुझे मेरी टीम पर गर्व है- ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयेव को बधाई। दोनों सीजफायर के पालन के लिए मान गए हैं जो आधी रात से प्रभाव में आ गया है। कई जीवन बच जाएंगे। मुझे मेरी टीम माइक पॉम्पियो, स्टीव बेगन और नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल पर इस डील के लिए गर्व है।’
27 सितंबर से शुरू हुई थी जंग
इससे पहले नागोरनो-करबाख की सेना ने अजरबैजान की सेना पर शनिवार शाम को मरतुनि और आस्केरन के क्षेत्रों में नागरिकों पर गोलाबारी करने का आरोप लगाया था। आजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इसके जवाब में आरोप लगाया था कि आर्मीनियाई सेना ने आजरबैजान के टेरटर, अगदम और अघजाबेदी क्षेत्रों में गोलाबारी की। नागोरनो-करबाख क्षेत्र के लिए 27 सितंबर को दोबारा से जंग शुरू हो गई थी। दोनों देशों के बीच मध्यस्थता के लिए रूस और अमेरिका ने अपनी तरफ से प्रयास किए थे।
पॉम्पियो ने युद्धविराम की वकालत की थी
बता दें कि नागोर्नो-काराबाख को लेकर अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच युद्ध चल रहा था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस इलाके का अजरबैजान का कब्जा माना जाता है, लेकिन यहां बड़ी संख्या में आर्मीनियाई मूल के लोग रहते हैं। पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ युद्धविराम के लिए बातचीत की थी।
अमेरिका से पहले रूस ने की थी मध्यस्थता की कोशिश
अमेरिका से पहले रूस की तरफ से दो बार मध्यस्थता से संघर्षविराम की कोशिश गई थी लेकिन दोनों ही बातचीत का परिणाम नहीं निकला।शनिवार तक दोनों देशों के बीच जंग में मरने वाले आर्मीनियाई लोगों की संख्या 36 से बढ़कर 963 हो गई। जबकि अजरबैजान की तरफ से उसके 65 आम नागरिक मारे गए हैं और 298 जख्मी हैं। हालांकि अजरबैजान की सेना ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
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