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कनाडा के बाद अब अमेरिका: विदेशों में कोवर्ट ऑपरेशन के आरोपों की भारत को क्या कीमत चुकानी होगी?


कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने के आरोप के बाद अमेरिका के लॉ एनफोर्समेंट ऑफिसरों के कथित खुलासे से नया मोर्चा खुल गया है। अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची जा रही थी जिसके पीछे भारतीयों का हाथ था। अधिकारियों ने अपने दावे के समर्थन में इलेक्ट्रॉनिक इंटरसेप्ट्स और पैसे की लेनदेन की एक तस्वीर जारी की। इस पर भारत ने जांच करने की बात कही। हालांकि दो विशेषज्ञ बताते हैं कि इस तरह के ऑपरेशनों से भारत की अंदरूनी राजनीति में सत्ताधारी दल को तो फायदा हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत को कोई बढ़त हासिल नहीं होने वाली। फिर सवाल उठता है कि अगर भारत खालिस्तानी आतंकियों का विदेशी जमीन पर सफाया करने की योजना पर आगे बढ़ रहा है तो खालिस्तानी समूहों पर इसका क्या असर होगा?
अमेरिका का आरोप और भारत का जवाब – अमेरिका का का दावा है कि कथित ड्रग रनर और हथियार तस्कर निखिल गुप्ता ने पन्नू की हत्या करने के लिए एक गुप्त एजेंट को पेमेंट किया। अधिकारियों ने कहा कि गुप्ता लगातार एक भारतीय अधिकारी के संपर्क में था, जिसने गुजरात में एक आपराधिक मामले से गुप्ता को छुटकारा देने के बदले कथित साजिश को अंजाम देने को कहा था। अमेरिकी अधिकारियों ने उस भारतीय अधिकारी की पहचान नहीं बताई और उसे सीसी-1 के कोड नेम से संबोधित किया है। इसके जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि आरोप चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी अदालत में एक व्यक्ति के खिलाफ दायर मामले के संबंध में, जो कथित तौर पर उसे एक भारतीय अधिकारी से जोड़ता है, यह चिंता का विषय है। हमने कहा है और मुझे दोहराते हैं कि यह सरकारी नीति के विपरीत है।’