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भारत के लिए खतरे की घंटी… बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अल-कायदा से जुड़े एबीटी गुट के चीफ को किया रिहा


अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। रहमानी को एक ब्लॉगर कार्यकर्ता की हत्या के लिए उकसाने और आतंकी संगठन अल कायदा और भारतीय उपमहाद्वीप में उसकी शाखा अल कायदा (एक्यूआईएस) के समर्थन के लिए दोषी ठहराया गया था। 11 साल से वह जेल में था।
बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के हालिया कदम ने भारतीय उपमहाद्वीप में सुरक्षा के लिए चिंताएं पैदा कर दी हैं। दरअसल बांग्लादेश की सरकार ने अल कायदा से जुड़े आतंकवादी समूह अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। रहमानी को 2013 में एक ब्लॉगर की हत्या में शामिल होने के लिए जेल में डाल दिया गया था। बीते 11 साल से वह जेल में था लेकिन बीते महीने, 26 अगस्त को उसे पैरोल पर छोड़ा गया है। रहमानी का आतंकी और आपराधिक गतिविधियों का लंबा इतिहास रहा है। आतंकवाद को बढ़ावा देना, हत्या और बैंक डकैतियों को मामले रहमानी पर हैं।
कॉमनवेल्थयूनियन की रिपोर्ट कहती है कि साल 2013 में बने संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम ने बांग्लादेश के अंदर अल-कायदा की कट्टरपंथी विचारधाराओं को बढ़ाने के लिए काम किया है। 2013 और 2015 के बीच यह समूह पांच ब्लॉगर्स और एक प्रोफेसर की हत्याओं के लिए जिम्मेदार माना गया था। ये सभी लोग धर्मनिरपेक्ष विचारों और अल्पसंख्यक अधिकारों के तरफदार थे। 2015 में तत्कालीन शेख हसीना सरकार ने एबीटी को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। इसके बाद रहमानी को आतंकवाद विरोधी अदालत ने सजा सुनाई गई थी। इसके बाद ये संगठन काफी कमजोर हो गया था लेकिन रहमानी की रिहाई से साफ है कि यूनुस सरकार कट्टरपंथी गुटों के प्रति उदारता का रुख अपना रही है।
एबीटी भारत के लिए हो सकता है खतरा – रहमानी के संगठन एबीटी का भारतीय क्षेत्र में विस्तार का प्रयास रहा है। ऐसे में उसकी रिहाई भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है। हाल के वर्षों में, भारतीय सुरक्षा बलों ने कई एबीटी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। मई 2024 में असम पुलिस ने गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर दो एबीटी आतंकियों को पकड़ा था, ये दिखाता है कि भारत इस संगठन के निशाने पर रहा है। कई रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि एबीटी ने पूर्वोत्तर भारत में आतंकी अभियानों की योजना बनाने के लिए पाकिस्तान से चलने वाले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे गुट के साथ सहयोग किया है।
रहमानी की रिहाई के साथ-साथ भारत में एबीटी के संचालन प्रमुख इकरामुल हक उर्फ अबू तल्हा सहित 500 कैदियों का भागना इस चिंता को बढ़ाता है। 6 अगस्त, 2024 को शेरपुर में भीड़ ने उच्च सुरक्षा वाली जेल पर हमला करते हुए इनको भगा दिया गया था। ये बांग्लादेश में अस्थिरता और चरमपंथी तत्वों के बढ़ते प्रभाव को भी दिखाता है। शेख हसीना की सरकार ने बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक हद तक स्थिर वातावरण बनाते हुए कट्टरपंथियों के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया था। इसके उलट वर्तमान अंतरिम सरकार की कार्रवाइयां परेशान करने वाले बदलाव का संकेत देती हैं, जो ना केवल बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और अल्पसंख्यक आबादी को बल्कि व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता को भी खतरे में डाल रही है।