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कमाल है! : अब गोबर भी बिक रहा ऑनलाइन

2016_8$largeimg213_Aug_2016_055725370कमाल है! : गोशाला के उत्पाद पहुंचे इ-कॉमर्स वेबसाइट्स पर

इंटरनेट पर सिमटती जा रही दुनिया में कपड़े, खिलौने, किताबें और कई सारी चीजों के बाद अब गोबर भी ऑनलाइन बिक्री  के लिए उपलब्ध है. इ-कॉमर्स वेबसाइट्स पर गोबर से बने उपले-कंडे बिकने लगे हैं. यही नहीं, गाय से जुड़े उत्पाद घर बैठे आप तक पहुंचाने वाली कई कंपनियां भी बाजार में आ चुकी हैं.

देश में राजनीति की बात हो, लोकप्रियता की बात हो या व्यापार की बात, भारतीय गाय को इन सबके बीच खास जगह हासिल हुई है. यही वजह है कि पिछले कई दिनों से राजनीतिक दलों ने गाय का इस्तेमाल वोट बैंक बढ़ाने के लिए शुरू किया है. राजनीति और लोकप्रियता के बाद कारोबार के लिहाज से भी गाय ने नया मुकाम हासिल किया है. इसकी बानगी है कि गाय के गोबर से लेकर उससे बना उपला, जिसे गोइठा और कंडा भी कहते हैं, ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर अपनी जगह बना चुका है.

ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स इन कंडों को भी शानदार पैकिंग में होम डिलीवरी कर रही हैं. ईबे, शॉपक्लूज, वेदिक गिफ्ट शॉप, अमेजन आदि कई साइट्स पर कंडे बिक रहे हैं, जहां ऑर्डर करने पर कुछ ही दिनों में उसकी डिलीवरी हो जायेगी. यही नहीं, ग्राहकों की सहूलियत के लिए कई साइट्स पर इन उपलों के आकार और वजन का भी ब्यौरा मौजूद है़ इन साइट्स पर एक दर्जन उपलों का मूल्य एक सौ रुपये से लेकर तीन सौ रुपये तक है.

दो दर्जन मंगवाने पर इन पर डिस्काउंट भी दिया जा रहा है. त्यौहारी मौसम में इन उपलों पर कई डिस्काउंट ऑफर भी दिये जाते हैं. यहां आपको उपलों की कीमत भले ही थोड़ी ज्यादा लगे, लेकिन इसके आध्यात्मिक इस्तेमाल को देखते हुए यह कीमत कुछ भी नहीं. हममें से कई लोग यह जरूर जानते होंगे कि गांव में मिट्टी के घर को लीपने के लिए गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी गोबर की बड़ी उपयोगिता है. धार्मिक कार्यों में गाय के गोबर से स्थान को पवित्र किया जाता है. गाय के गोबर से बने उपले से हवन कुंड की अग्नि जलायी जाती है. आज भी गांवों में महिलाएं सुबह उठ कर गाय के गोबर से घर के मुख्य द्वार को लीपती हैं.

इंटरनेट पर आपको ऐसी कई वेबसाइट्स मिल जायेंगी, जो सिर्फ गौ-उत्पाद आपके द्वार तक पहुंचाने की सुविधा देती हैं. इन्हीं में से एक है ‘गौक्रांति डॉट ओआरजी’ इस साइट पर आपको गाय का गाेबर और उससे बने उपले, साबुन, भगवान की मूर्तियां, ऑर्गैनिक पेंट, हवन के लिए धूप के अलावा परिष्कृत गौमूत्र भी उपलब्ध है. यह कंपनी अपना कच्चा माल गुजरात से लेकर भोपाल तक की लगभग 15 गौशालाओं से मंगवाती है़   कुछ इसी तरह का काम ‘होली काउ फाउंडेशन’ भी करता है़   नोएडा और नजफगढ़ की दो गोशालाओं के साथ काम करनेवाला यह संगठन अपने गोउत्पाद ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों मंचों पर मुहैया कराता है़

गोबर से बने उपलों का उपयोग विभिन्न मांगलिक कार्यों में किया जाता है. यही वजह है कि ऑनलाइन बाजार में इसकी खासी मांग बढ़ी है. वैसे बताते चलें कि उपले बेचनेवाली कुछ साइट्स पर इसके महत्व के बारे में भी बताया गया है.

साथ ही यह भी बताया गया है कि कंडों की राख को बरतन धोने में कैसे उपयोग में ला सकते हैं. ग्रामीण इलाकों में प्राय: महिलाओं द्वारा तैयार किये जानेवाले इस जलावन को गाय के गोबर को सूखी घास में मिला कर गोल और चपटा आकार देकर उसे धूप में सुखा लिया जाता है. इसका इस्तेमाल सदियों से घरेलू ईंधन के रूप में किया जाता रहा है. कई ऐसे पकवान हैं, जो उपलों पर ही बनते हैं.

गाय के गोबर के उपलों का व्यापार अब वैश्विक आकार ले चुका है और खुदरा विक्रेताओं के पास इसकी डिलीवरी के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर आ रहे हैं. तेजी से शहरी होती जा रही देश की आबादी के लिए अब यह सब दुर्लभ होता जा रहा है. यही वजह है कि देश और देश के बाहर खास अवसरों पर इन उपलों की मांग बढ़ रही है.

यह बात अलग है कि ये उपले बाजार में या आपके पड़ोस में ग्वाले से मिलने वाले उपलों से महंगी कीमत पर मिलेंगे. अपनी असली कीमत से करीब पांच गुना ज्यादा दाम पर मिलने वाले ऑनलाइन गोबर के कंडे ग्राहकों से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट के लिए फायदे का सौदा हैं. इनसे कंपनियों को काफी मुनाफा हो रहा है.

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