
मुंबई में करीब एक दशक पहले हुए आतंकवादी हमले के पीड़ितों को याद करते हुए अमेरिका ने कहा है कि इस जघन्य अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए । यह भारत के इतिहास में, सर्वाधिक भयावह आतंकवादी हमलों में से एक था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से, समुद्री रास्ते से आए दस आतंकवादियों ने मुंबई में इस आतंकवादी हमले को अंजाम दिया था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने हमले की 11 वीं बरसी पर ट्वीट किया, ‘‘11 साल पहले आतंकवाद की कायर कार्रवाई में 6 अमेरिकी नागरिकों समेत 166 लोगों की जान चली गई थी।” ओर्टागस ने कहा, ‘‘आज हम मुंबई आतंकवादी हमले के पीड़ितों को याद करते हैं। हम, इस जघन्य अपराध के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के उनके परिजन की मांग के साथ हैं ।” भारतीय अमेरिकी तथा विभिन्न संगठन वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास के समक्ष, मुंबई आतंकवादी हमले में देश (पाकिस्तान) की भूमिका पर विरोध जताते हुए एक रैली निकालेंगे ।
विरोध रैली के आयोजकों ने कहा कि मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी पाकिस्तान में आजादी से घूम रहे हैं । पाकिस्तानी मूल के कनाडाई तारिक फतेह ने ट्वीट किया, ‘‘साल 2008 में आज ही के दिन लश्कर ए तैयबा के 10 पाकिस्तानी जिहादी आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे और 166 से अधिक निर्दोष लोगों को मार डाला। इनमें से कुछ ताज होटल में और कुछ यहूदी सेंटर में आतंकियों के हमले में मारे गए।”
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