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ऑपरेशन सिंदूर से सीखे अमेरिका, लापरवाह बना रहा तो लड़ाई में रौंद देगा चीन, एक्सपर्ट बोले भारत ने दिखाया कैसे लड़ी जाती है जंग?


अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट जॉन स्पेंसर ने लिखा है कि मॉडर्न वॉरफेयर में ऑपरेशन सिंदूर ने अमेरिका की रक्षा तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है और अगर अमेरिका लापरवाह बना रहता है तो युद्ध की स्थिति में चीन उसे रौंद कर रख देगा। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के अमेरिका के लिए ‘वेक अप कॉल’ करार दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिका के डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये भारत के लिए ‘वेकअप कॉल है’, जबकि अमेरिका के लिए नींद से जागने का वक्त है। वॉर इंस्टीट्यूट में पढ़ाने वाले डिफेंस एक्सपर्ट जॉन स्पेंसर ने लिखा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया को एक झलक मिली है कि मॉडर्न वॉरफेयर कैसा हो सकता है। दुनिया आगे जाकर किस तरह की जंग में फंसने वाली है। उन्होंने लिखा है कि अमेरिका को दुनिया एक सुपरपावर के तौर पर देखती है और जब दुनिया सुपरपावर जैसे शब्दों का इस्तेमाल करती है तो हमारे मन में अमेरिका को लेकर एक अजेय शक्ति की तस्वीर उभरती है, जिसमें हजारों-हजार टैंक, अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, न्यूक्लियर पनडुब्बियां और दुनिया का सबसे विशालकाय रक्षा बजट। लेकिन हकीकत ये है कि अमेरिका का डिफेंस कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। उसकी रक्षा व्यवस्था चरमरा रही है और अगर अचानक उसे चीन से जंग लड़ना पड़ जाए तो युद्ध में चीन उसे रौंद सकता है, क्योंकि अमेरिका की तैयारी किसी लायक नहीं है।
जॉन स्पेंसर ने अमेरिका की बदहाल डिफेंस व्यवस्था के लिए कई फैक्टर्स को आधार बनाया है। उन्होंने लिखा है कि “युद्धों को बेहतर सैन्य क्षमताओं के साथ जल्दी और निर्णायक रूप से जीता जाना चाहिए। इसके लिए एक डिफेंस इको-सिस्टम की जरूरत है, जिसे ना सिर्फ काफी तेज रफ्तार से बनाया गया हो, बल्कि हर वक्त युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। भारत ने अभी साबित किया है कि मॉडर्न वॉरफेयर कैसा हो सकता है।”
अमेरिका की डिफेंस इंडस्ट्री में भारी गड़बड़ियां – जॉन स्पेंसर ने लिखा है कि अमेरिकी की डिफेंस इंडस्ट्री सालों से इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए तैयार ही नहीं है। अगर उसे कुछ इनोवेशन करना होता है तो उसके लिए भारी भरकम बजट की डिमांड की जाती है, लागत कम करने की कोई कोशिश नहीं होती है और ये सालों साल तक चलने वाली बोझिल प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है। उन्होंने लिखा है कि बेशक अमेरिका की डिफेंस कंपनियां बेहतरीन सिस्टम बनाती हैं, लेकिन वो काफी ज्यादा कीमत पर और काफी ज्यादा वक्त में बनाया गया सिस्टम होता है। अमेरिका के पास कम समय में प्रभावी हथियार बनाने की क्षमता नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अमेरिका के पास आधुनिक युद्ध में जाने के लिए अनुकूल वातावरण नहीं है। उदाहरण के लिए अमेरिका के पास हर साल सिर्फ 24 से 48 PAC-3 मिसाइलें बनाने की क्षमता है, जबकि चीन और उत्तर कोरिया जैसी शक्तियां हजारों बैलिस्टिक मिसाइलें तैयार कर रही हैं।
उन्होंने लिखा है कि अमेरिका ने जितनी संख्या में Javelin और Stinger मिसाइलें यूक्रेन में भेजी हैं, उसकी भरपाई करने में 3 साल से ज्यादा वक्त लग जाएंगे। इसके अलावा अमेरिका की 155mm तोपों के गोले बनाने की क्षमता यूक्रेन को दिए जाने के बाद लगभग खाली हो चुकी है।