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Coronavirus Vaccine की 8 करोड़ खुराकें दुनिया को बांटेगा अमेरिका, 75% Covax को: जो बाइडेन


वाइट हाउस ने दुनिया के साथ कोविड-19 टीके शेयर करने की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की योजना का गुरुवार को अनावरण किया। बाइडेन प्रशासन की इस योजना के तहत 75 प्रतिशत अतिरिक्त खुराकें संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से चलाई जा रही ‘Covax’ पहल के जरिए आपूर्ति की जाएंगी। इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बात की है। अमेरिका की पहल के तहत भारत को भी मदद दी जाएगी।
वाइट हाउस ने पहले इस बारे में कहा था कि उसका इरादा टीके की आठ करोड़ खुराकें जून अंत तक दुनिया के साथ साझा करने का है। बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि 25 प्रतिशत अतिरिक्त खुराकें आपात स्थिति और सहयोगी देशों को सीधे भेजने के लिए सुरक्षित रखी जाएंगी।
भारत को भी मिलेगी मदद : अमेरिका ये खुराकें महामारी के कारण खराब हालात होते देख रहे भारत और पड़ोसी कनाडा जैसे देशों को देगा। पहली 2.5 करोड़ खुराकों में से 1.9 करोड़
कोवैक्स को जाएंगी। इनमें से 60 लाख दक्षिण और मध्य अमेरिका, 70 लाख एशिया और 50 लाख अफ्रीका को। बाइडेन ने बताया कि 60 लाख से ज्यादा खुराकें कनाडा, मेक्सिको, भारत और कोरिया के साथ शेयर की जाएंगी।
वैक्सीन निर्माता अक्सर उम्मीद करते हैं कि बीमारी से बचने के अलावा उनके वैक्सीन स्टेराइल इम्युनिटी (Sterile Immunity) हासिल करेंगे। Sterile Immunity का मतलब है कि वैक्सीन लगवा चुका शख्स कभी वायरस के संपर्क में नहीं आएगा या न ही इसका आगे प्रसार करेगा।
उदाहरण के तौर पर हम पोलियो की वैक्सीन को ले लें,जिससे काफी हद तक इस बीमारी को समाप्त कर दिया है। हम सभी जानते हैं कि अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में पोलियो की भयानक बीमारी खत्म होने की कगार पर है। लेकिन जिन्हें इसका टीका नहीं लग पाया है वे अब भी इस रोग से ग्रसित हैं।
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, वैक्सीन लगने के बाद पोलियो वायरस आंतों के मार्ग से होते हुए मल में बह जाता है। लेकिन इसके बाद ये पूरी तरह से नष्ट नहीं होता बल्कि विषाक्त रूप में आता है। वहीं, ऐसी भी रिपोर्ट्स आई हैं कि पोलियो की दवा वायरस को मनुष्य के शरीर में बढ़ने से पूरी तरह नहीं रोकती लेकिन यह इस बीमारी की रोकथाम में अत्यधिक प्रभावी है। क्योंकि इससे ऐसी एंटीबॉडी बनती हैं जो वायरस को मस्तिष्क और मेरुदण्ड (Spine) को संक्रमित करने से रोकते हैं।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड कम्युनिकेबल डिजीज (Disease Control and Prevention) ने हाल ही में मास्क पहनने के बारे में अपने दिशा-निर्देशों में बदलाव किए तो लोगों के जेहन में तमाम तरह के सवाल उठने लगे। जैसे जिन लोगों को पहले ही COVID-19 का टीका लग चुका है, उनमें से कितने सुरक्षित या असुरक्षित हैं? क्या टीका लगवा चुके दूसरे से संक्रमित होंगे? जिनके शरीर में mRNA वैक्सीन (फाइजर-बायोटेक और मॉडर्न) का डोज पहुंच चुका है उनके संक्रमित होने और दूसरों तक संक्रमण फैलाने की संभावना कम होती है।
कोरोना वैक्सीन लगावते ही हाथ में जलने लगती है लाइट, जानें इस दावे पर क्या कहते हैं डॉक्टर : जॉनसन एंड जॉनसन/जेनसेन वैक्सीन के लाभों के बारे में अधिक जानने के लिए अध्ययन चल रहे हैं। हालांकि, शोध ये भी कहता है कि जब तक कि वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन जारी है तब टीकाकरण कराने के बाद भी SARS-CoV-2 संक्रमण के जोखिम को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
स्टडी के अनुसार, वर्तमान में इम्युनो कॉम्प्रोमाइज यानी जिनके इम्यून सिस्टम कमजोर हैं उनके टीके की प्रभावशीलता पर सीमित डेटा है। अध्ययनों में पाया गया कि टीके की पहली खुराक लेने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों में बिना टीका लगवाए संक्रमित पाए मरीजों की तुलना में शरीर में विषाणु का स्तर कम पाया गया।
आपको बता दें कि यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने 13 मई, 2021 को मास्क पहनने के बारे में अपने दिशा-निर्देशों में बदलाव कर घोषणा की कि जो कोई भी वैक्सीन की पूरी डोज ले चुका है वह बिना मास्क पहने बाहरबाहल निकल सकता है। साथ ही वह छोटी-बड़ी इनडोरइंडोर और आउटडोर एक्टिविटीज में भी भाग ले सकता है।
ब्लैक फंगस के बीच कोविड के नए वेरिएंट का खुलासा, हवा में तेजी से फैलता है वियतनाम वायरस
इम्यूनोलॉजी एक्सपर्ट्स कहता है कि संक्रामक रोग के खिलाफ रक्षा करने वाली वाले वैक्सीन वायरस को फैलाने की दर भी कम करेंगी। लेकिन यह पता लगाना निश्चित तौर पर मुश्किल है कि क्या टीका लगवा चुका व्यक्ति इस वायरस को नहीं फैला रहा है। कोविड-19 एक खास चुनौती पेश करता है क्योंकि बिना लक्षण वाले मरीज (asymptomatic) भी बीमारी फैला सकते हैं। ऐसे में उनके संपर्क में आए लोगों का उचित तरीके से पता न लगाने और जांच न होने का मतलब है कि बिना लक्षण वाले मरीजों की पहचान करना मुश्किल है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, एक अध्ययन में पाया गया कि मॉडर्ना का एमआरएनए कोविड-19 रोधी टीका मुंह और नाक के द्रव्य में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। ये एंटीबॉडी विषाणु को शरीर में घुसने से रोक देंगे। इसका मतलब होगा कि टीका लगवा चुका व्यक्ति श्वास लेने के समय गिरने वाली बूंदों से वायरस नहीं फैलाएगा। तो क्या वैक्सीनेट हो चुके लोग श्वसन की बूंदों के माध्यम से वायरस नहीं फैला सकेंगे। हालांकि, इस पर अभी स्टडी जारी है।
अमेरिका में वैक्सीन की मांग कम : अमेरिका में टीके की मांग कम होने के बीच यह बहुप्रतीक्षित योजना शुरू की गई है। अमेरिका में 63 प्रतिशत से ज्यादा वयस्कों को टीके की कम से कम एक खुराक लग चुकी है, वहीं दुनिया में टीके को लेकर गैरबराबरी दिख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बात की, वैश्विक स्तर पर टीका साझा करने के लिए अमेरिकी रणनीति के तहत भारत को टीके की आपूर्ति को लेकर दिए गए आश्वासन की सराहना की।