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भारत और मालदीव में भड़की आग के बीच चीन निकल लिए मुइज्जू, फायदा होगा या देश को कर बैठेंगे कंगाल, जानें


भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास के बीच राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन की राजकीय यात्रा के लिए रवाना हुए। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आमंत्रण पर मुइज्जू की यह यात्रा हो रही है। मुइज्जू की यह यात्रा बेहद खास है। क्योंकि उन्होंने भारत को छोड़कर चीन को चुना है। दरअसल 2008 में बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत के बाद यह पहली बार है जब मालदीव का कोई राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहली यात्रा भारत में नहीं कर रहा। मुइज्जू चीन समर्थक और भारत विरोधी नेता माने जाते हैं। लेकिन इस यात्रा से उन्हें क्या मिलेगा?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत के साथ चल रहे तनाव को चीन भुनाने की कोशिश करेगा। मुइज्जू के मंत्रियों की ओर से भारत विरोधी बयान दिए गए हैं, जिसके बाद मालदीव जाने वाले भारतीय टूरिस्ट की संख्या में बड़ी गिरावट हो सकती है। भारतीयों की कम होती संख्या को चीन अपने नागरिकों से भरने की डील भी कर सकता है। यह संभव भी है क्योंकि 2023 में अचानक चीनी टूरिस्ट की संख्या मालदीव में बढ़ी है। 2022 में मालदीव में संख्या के लिहाज से चीन 27वें नंबर पर था, जो 2023 में अचानक तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।
श्रीलंका वाला होगा हाल! – इसके अलावा चीन भारी-भरकम निवेश भी मालदीव में कर सकता है। हालांकि जैसा चीन बाकी देशों के साथ करता आया है, वह किसी भी तरह का कर्ज या निवेश अपनी शर्तों पर करेगा। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि जिस तरह श्रीलंका और पाकिस्तान चीन के कर्ज के नीचे दब गए उसी तरह मालदीव के साथ भी होगा। इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि भारत विरोधी मुइज्जू के कार्यकाल के अंत में मालदीव कर्ज में डूब जाए। हालांकि इस बात की भी चिंता जताई जा रही है कि अगर मालदीव कर्ज में डूबता है तो उसे बचाने के लिए भारत को ही आगे आना पड़ेगा।
चीन समर्थक हैं मुइज्जू – मुइज्जू पहले भी कहते रहे हैं कि उनकी सरकार आने के बाद चीन से बेहतर संबंध होंगे। उन्होंने अपना पूरा चुनाव भारत विरोध के साथ लड़ा है। मुइज्जू की इस यात्रा के दौरान चीन और मालदीव के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। मुइज्जू की यात्रा से पहली चीन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘चीन और मालदीव की पुरानी दोस्ती है। राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से पिछले 52 वर्षों में दोनों देशों ने एक-दूसरे साथ सम्मान का व्यवहार किया है और एक दूसरे का समर्थन किया है।’