
आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन ने अपने कट्टर दुश्मन अजरबैजान को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर अजरबैजान को कुछ कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों को वापस करने के लिए राजी नहीं किया गया, तो आर्मेनिया युद्ध की ओर बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि आर्मेनिया उन जहगों की मांग कर रहा है, जिस पर उसने 1990 के दशक की शुरुआत से शासन किया है। पशिनियन ने यह बात अजरबैजान के कब्जे वाले क्षेत्र से भागकर आए आर्मेनियाई मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा। यह सभा उत्तरी आर्मेनिया के तावुश क्षेत्र में आयोजित की गई थी।
आर्मेनियाई पीएम ने दी धमकी – रूसी समाचार एजेंसी TASS ने आर्मेनियाई सरकार के बैठक के वीडियो को जारी कर कहा, “अब हम यहां से जा सकते हैं, आइए जाएं और अजरबैजान को बताएं कि नहीं, हम कुछ नहीं करने जा रहे हैं। इसका मतलब है कि सप्ताह के अंत में युद्ध शुरू हो जाएगा।” हाल के हफ्तों में पशिनियन ने कई बार कहा है कि वह गांवों को अजरबैजान को वापस देने के लिए तैयार हैं। ये शहर आर्मेनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे उस प्रमुख मार्ग से जुड़ा हुआ है जो उत्तर में जॉर्जियाई सीमा की ओर जाता है।
तीन दशकों से युद्ध लड़ रहे आर्मेनिया-अजरबैजान – अजरबैजान ने सितंबर में नागोर्नो-काराबाख पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। इस क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच तीन दशकों तक कई बार युद्ध हो चुका है। 2020 में भी दोनों देशों के बीच 3 महीने तक युद्ध हुआ था। इस युद्ध में आर्मेनिया को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। वहीं, अजरबैजान ने तुर्की और इजरायली हथियारों के दम पर एक बड़े भूभाग पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद से ही आर्मेनिया लगातार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ा रहा है। आर्मेनिया अपनी रक्षा के लिए रूस पर निर्भर था, लेकिन पुतिन की निष्क्रियता के कारण वह अब अमेरिका के करीब चला गया है।
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