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अनुच्‍छेद 370 पाकिस्‍तान: पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्‍बानी ने भारत को बताया ‘दुष्‍ट’, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कश्‍मीर पर दिया ज्ञान


इस्‍लामाबाद: सोमवार को भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अनुच्‍छेद 370 पर आए फैसला पाकिस्‍तान के लिए बड़ा झटका है। इस फैसले पर पाकिस्‍तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्‍बानी खार ने टिप्‍पणी की है। हिना की मानें तो भारत अपने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मदद से संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्‍तावों को नजरअंदाज करने की कोशिश में है। हिना के फैसले को भारत का ‘दुष्‍ट’ रवैया तक बता डाला है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से भी सोमवार को फैसले पर प्रतिक्रिया दी गई थी। इस प्रतिक्रिया में पाकिस्‍तान की निराशा साफ झलकती है।
भारत का दुष्‍ट व्‍यवहार – अभी तक मुल्‍क पांच अगस्‍त 2019 को भारत सरकार के आदेश से उबर भी नहीं सका था कि 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। हिना ने एक्‍स (ट्विटर) पर लिखा है, ‘कई देश अब भारत के ‘दुष्‍ट’ बर्ताव का अनुभव कर रहे हैं। संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों और कश्मीर पर अपने अंतरराष्‍ट्रीय दायित्वों को खत्म करने के लिए अपने घरेलू सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का प्रयोग करने का भारत का प्रयास शर्मनाक है।’ उन्‍होंने आगे लिखा, ‘यह भी याद दिलाना होगा कि भारत ही कश्मीर का मामला संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में ले गया था।’ हिना ने यूएनएससी के प्रस्‍ताव पर भारत को ज्ञान भी दिया और बताया कि आखिर इसमें क्‍या कहा गया है।
पाकिस्‍तान बोला-हम नहीं मानते – हिना से पहले विदेश मंत्री जलील अब्‍बास जिलानी ने भी इसी तरह का बयान दिया था। उन्‍होंने कहा था कि पाकिस्‍तान, भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हरगिज नहीं मानता है। उनकी मानें तो भारत के पास कश्‍मीर पर एकतरफा फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं है। जिलानी ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा था कि भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले की कोई भी कानूनी मान्‍यता नहीं है। उनका कहना था कि जम्‍मू कश्‍मीर एक अंतरराष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त विवाद है जो पिछले सात दशकों से सुरक्षा परिषद के एजेंडे का हिस्‍सा है। जम्‍मू कश्‍मीर का अंतिम और निर्णायक स्थिति सुरक्षा परिषद के प्रस्‍ताव के तहत ही होगी जो कश्‍मीर के लोगों की उम्‍मीदों के मुताबिक ही होगा।
क्‍या कहा सुप्रीम कोर्ट ने – सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 370 दो मकसदों की पूर्ति के लिए लाया गया था। सबसे पहले, इसने एक अंतरिम व्यवस्था प्रदान करने वाले संक्रमणकालीन उद्देश्य को पूरा किया, जब तक कि राज्य की संविधान सभा का गठन नहीं हो गया और यह विलय पत्र में निर्धारित मामलों के अलावा अन्य मामलों पर संघ की विधायी क्षमता पर निर्णय ले सकती थी, और संविधान की पुष्टि कर सकती थी।