
धरती से ऐस्टरॉइड की टक्कर पहले हो चुकी है और वैज्ञानिकों का आकलन दिखाता है कि यह फिर से हो सकता है। इसीलिए कई देशों की स्पेस एजेंसियां इस टक्कर से धरती और मानव सभ्यता को बचाने का रास्ता खोजने में लगी हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ऐसे कई तरीकों पर काम भी कर रही है लेकिन हाल ही में उसकी एक एक्सरसाइज में पता लगा कि फिलहाल ऐसी कोई तकनीक हमारे पास नहीं है जिससे किसी ऐस्टरॉइड से धरती को बचाया जा सके।
एक हफ्ते का समय : इस स्टडी में रिसर्चर्स ने एक काल्पनिक स्थिति तैयार की। इस सिम्यूलेशन की मदद से यह देखने की कोशिश की गई कि अगर कोई खतरनाक ऐस्टरॉइड धरती पर आ रहा हो, तो उससे बचने की तैयारी के लिए कितना समय लगेगा। यह काल्पनिक ऐस्टरॉइड 3.5 करोड़ मील की दूरी से धरती की ओर आता और एक्सपर्ट्स के पास इससे निपटने के लिए एक हफ्ते का समय था। इस सिम्यूलेशन की शुरुआत में यह यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में गिरता दिख रहा था और आखिर में जर्मनी और चेक रिपब्लिक के बीच।
फिलहाल कोई तकनीक नहीं : स्टडी का हिस्सा रहे वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि फिलहाल इतने कम समय में ऐस्टरॉइड से टक्कर बचाने के लिए दुनिया में कोई तकनीक नहीं है। उन्होंने साफ किया कि ऐसी किसी स्पेस रॉक से बचने के लिए कम से कम 6 महीने का वक्त चाहिए होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐस्टरॉइड को परमाणु जैसे हथियार से जरूर नष्ट किया जा सकता है ताकि असर कुछ कम हो सके। इससे भले ही टक्कर टाली न जा सके लेकिन नुकसान कम करने की संभावना रहेगी।
क्या है NASA का प्लान? : वहीं, NASA का प्लान जुलाई में ऐसा स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने का है जो पृथ्वी की ओर आने वाले ऐस्टरॉइड से टकराकर इसकी दिशा मोड़ देगा। यह टक्कर इतनी दूर होगी कि इससे पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा। डबल ऐस्टरॉइड रिडायरेक्शन टेस्ट (DART) Didymos नाम के ऐस्टरॉइड का चक्कर लगा रहे छोटे ऐस्टरॉइड पर आधा टन का प्रोजेक्टाइल छोड़ेगा। इसे Didymoon नाम दिया गया है।
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