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AstraZeneca-ऑक्सफर्ड कोरोना वायरस वैक्‍सीन को बड़ा झटका, दक्षिण अफ्रीका ने इस्‍तेमाल रोका


दक्षिण अफ्रीका ने ऐलान किया है कि वह ऑक्सफर्ड-AstraZeneca की कोरोना वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल को रोक रहा है। देश के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि एक नए अध्‍ययन में इस वैक्‍सीन के दक्षिण अफ्रीकी कोरोना वायरस स्‍ट्रेन पर कम असरदार पाए जाने के बाद ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल को रोका गया है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के दो वायरस विशेषज्ञों सरकार को आगाह किया था कि ऑक्‍सफर्ड की कोरोना वैक्‍सीन पर रोक जरूरी है। इसी वैक्‍सीन का भारत में बड़े पैमाने पर टीकाकरण में इस्‍तेमाल किया जा रहा है।
इन विशेषज्ञों ने कहा कि वे अब वैक्‍सीन के शोध के लिए एक नई पद्धति का पालन करेंगे। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ सालिम अब्‍दुल क‍रीम ने कहा, ‘ऑक्‍सफर्ड की कोरोना वैक्‍सीन पर फिलहाल कुछ समय के लिए रोक लगाने की जरूरत है ताकि उसके प्रभाव के बारे में सूचना हमें मिल जाए।’ उन्‍होंने कहा कि हमें इसे शुरू करने के लिए एक नए तरीके की जरूरत है।
दक्षिण अफ्रीका में पाए गए वेरियंट पर कम असरदार : इससे पहले शोध में पाया गया था कि कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया के लिए उम्मीद बनी ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-AstraZeneca की वैक्सीन दक्षिण अफ्रीका में पाए गए वेरियंट पर कम असरदार है। शुरुआती डेटा में ये नतीजे पाए गए हैं। यह ट्रायल सिर्फ 2,026 लोगों पर किया गया था और इसमें कम गंभीर बीमारी के प्रति सीमित असर देखा गया। इन लोगों को म्यूटेट हो चुके वायरस से इन्फेक्शन हुआ था। कंपनी का कहना है कि अब नए वायरस के लिए इसी वैक्सीन को तैयार किया जाएगा और जल्द ही यह तैयार हो जाएगी।
दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ द विटवॉटर्सरैंड और ऑक्सफर्ड की स्टडी के दौरान किसी की मौत नहीं हुई और न ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। अभी स्टडी के नतीजे पब्लिश नहीं हुए हैं। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि इस छोटे पहले चरण के ट्रायल में शुरुआती डेटा में B.1.351 दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट के कारण कम गंभीर बीमारी के खिलाफ सीमित असर देखा गया है। हालांकि, अभी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती किए गए लोगों पर इसके असर को स्टडी नहीं किया जा सका है।
ब्राजील को महंगा पड़ रहा Coronavirus को हल्के में लेना, इन देशों के साथ ‘टॉप’ पर पहुंचा : ब्राजील में COVID-19 संक्रमण के कुल 3,33,937 मामले सामने आए हैं और कुल 21,145 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां संक्रमण के मामले रूस के आसपास हैं, जो कि जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के मुताबिक विश्व में संक्रमण के सर्वाधिक मामलों वाला दूसरा देश है। ब्राजील में शनिवार तक 24 घंटे में 1,001 संकमित मरीजों की मौत हुई।
इस लातिन अमेरिकी देश में संक्रमण का प्रकोप बहुत अधिक है। इस बीच यहां यह बहस चल रही है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में ढील दी जाए या फिर और सख्त पाबंदियां लगाई जाए। इससे पहले देश के राष्ट्रपति बोल्सनारो कोरोना को लेकर काफी बेपरवाह रहे हैं। उन्होंने कई बार इसके कारण होने वाली मौतों को लेकर खास चिंता नहीं जताने के संकेत दिए और यहां तक कि संवेदनहीन बयान भी दिए।
ब्राजील की तरह ही अमेरिका में भी इस आपदा की शुरुआत में कड़े कदम नहीं उठाए गए और ढीले-ढाले रवैये से काम किया गया। इस कारण देश में सबसे ज्यादा 16,47,043 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 97,687 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले खुद लॉकडाउन का विरोध करते रहे और वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते रहे। यहां तक कि लॉकडाउन के कारण होने वाले नुकसान को लेकर उन्होंने ऐसे राज्यों के गवर्नर्स को भी घेरा जहां कड़े प्रतिबंध लगाए जा रहे थे।
कोरोना वायरस ने सबसे पहले एशिया में चीन को अपना निशाना बनाया था। अब एशिया में सबसे ज्यादा मामले रूस में मौजूद हैं। यहां अब तक 335,882 लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं जबकि 3,388 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां मामले तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और अब तक वायरस अपने चरम पर नहीं पहुंचा है। रूस में सबसे ज्यादा खराब हालात राजधानी मॉस्को में हैं। हालांकि, देश में इन्फेक्शन के मामलों को देखते हुए मरने वालों की संख्या पर काफी नियंत्रण है।
यूरोप में इस वक्त सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले स्पेन में हैं। यहां अब तक 281,904 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं और 28,628 लोगों की मौत हो चुकी है। प्रधानमंत्री पेड्रो संशेज ने दावा किया है कि अब हालात सुधर रहे हैं और जुलाई से विदेशी पर्यटक देश में आ सकेंगे। उनका कहना है कि सबसे बुरा वक्त खत्म हो चुका है। हालांकि, उन्होंने साफ किया है कि वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। इसलिए अभी एहतियात बरतने होंगे।
यूरोप में कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा जानें ब्रिटेन में ली हैं। यहां अब तक 254,195 कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं और 36,393 लोगों की मौत हो चुकी है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। खासकर काम पर जाने के लिए साइकल जैसे तरीकों का इस्तेमाल करने की अपील की जा रही है।
यूरोप में कोरोना वायरस का सबसे पहले सबसे बड़ा शिकार इटली बना था। यहां अब तक 228,658 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं जबकि 32,616 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां कोरोना वायरस लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को देखते हुए ढील दी गई। हालांकि, इसके बाद अलग-अलग प्रांतों के मेयर इस बात से नाराज नजर आए कि लोग वायरस को फैलने से रोकने के लिए कदम नहीं उठा रहे हैं।
फ्रांस में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या 182,219 पर पहुंच गई है और 28,289 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, अब देश में बिजनस और स्टोर्स खोले जा रहे हैं। साथ ही धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत भी दे गई है। इससे पहले धार्मिक स्थलों को 2 जून को खोला जाना था। साथ-साथ लोगों ने मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अहमियत को भी समझा है और उसका पालन किया जा रहा है।
नोवावैक्स की वैक्सीन नए स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं : इस स्टडी में शामिल वॉलंटिअर्स की औसतन उम्र 31 साल रही जिसमें आमतौर पर लोग इन्फेक्शन का शिकार नहीं होते हैं। महामारी के इतने महीने में कोरोना वायरस हजारों बार म्यूटेट हुआ है लेकिन वैज्ञानिकों को तीन वेरियंट्स को लेकर चिंता है जो पहले से ज्यादा संक्रामक हैं। इनमें ब्रिटेन के केंट, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के वेरियंट शामिल हैं। इनमें से दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट वैक्सीन के खिलाफ प्रतिरोधी मालूम पड़ रहा है और दुनिया के कई हिस्सों में पाया जा चुका है।
वहीं, जॉनसन ऐंड जॉनसन और नोवावैक्स ने भी बताया है कि उनकी वैक्सीनें नए स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं हैं। इसी तरह मॉडर्ना नए वेरियंट के लिए बूस्टर शॉट तैयार कर रही हैं जबकि Pfizer-BioNTech की वैक्सीन भी कम असरदार मिली है। ब्रिटेन ने ऑक्सफर्ड की वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें खरीदी हैं और लाखों लोगों को वैक्सिनेट किया जा रहा है। दूसरी ओर, सफर न करने वाले लोगों में वेरियंट के 11 मामले सामने आने से कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का खतरा पैदा हो गया है जिसके चलते टेस्टिंग तेज की जा रही है।