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रूस से निपटने के लिए यूरोप में तैनात हैं B-61 परमाणु बम, जानें कितना है खतरनाक

रूस और यूक्रेन का युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है। इस युद्ध में अब परमाणु बम के इस्तेमाल का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। चिंता जताई जा रही है कि पुतिन टैक्टिकल न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल कर सकते हैं। परमाणु युद्ध के खतरे के बीच नाटो के सदस्य पोलैंड के राष्‍ट्रपति अंद्रेज डूडा ने अपने देश में परमाणु हथियारों की तैनाती की इच्छा जताई है। जर्मनी में परमाणु बम हैं। इससे पहले रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही जर्मनी ने अपने पुराने टॉर्नेडो बॉम्बर जेट को अमेरिकी F-35 विमानों से बदलने की घोषणा की थी। अमेरिकी F-35 फाइटर जेट न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम हैं।
रूस के कारण खरीदा F-35 : मार्च में जर्मनी की रक्षा मंत्री क्रिस्टीन लैंब्रेच ने कहा, ‘F-35 हमें हमारे नाटो सहयोगियों और यूरोप में अन्य भागीदारों के साथ सहयोग करने की एक अनूठी क्षमता प्रदान करता है।’ आधिकारिक बयान के मुताबिक जर्मनी 2030 तक अपने बेड़े को बदलने की योजना बना रहा है। जर्मनी के टॉरनेडो लड़ाकू जेट 1980 के दशक से सेवा में हैं, जिसे इटली और यूनाइटेड किंगडम के सहयोग से विकसित किया गया था। पहले जर्मनी ने F-18 लड़ाकू विमानों से टॉरनेडो लड़ाकू जेट को बदलना चाहा था। बाद में रूस की आक्रामकता को देखते हुए F-35 खरीदने का फैसला किया।
यूरोप में 100 परमाणु बम तैनात : लंबे समय से चले आ रहे नाटो समझौते के तहत ये स्टील्थ फाइटर जर्मनी की आवश्यक्ताओं को पूरा करेंगे। ये एयरक्राफ्ट अमेरिकी न्यूक्लियर ग्रेविटी बम को ले जाने में सक्षम हैं। दरअसल जर्मन सेना के पास स्वयं का परमाणु हथियार नहीं हैं। लेकिन शीत युद्ध के दौरान परमाणु निरोध प्रणाली के हिस्से के रूप में जर्मनी में अमेरिका ने 20 या उससे कम B-61 न्यूक्लियर ग्रेविटी बम तैनात किए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे यूरोप में 100 परमाणु बम तैनात हैं।