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पाकिस्तान से संबंधों के लिए घुटने टेकने में लगा बांग्लादेश! 1971 के युद्ध का मुद्दा सुलझाने को भी तैयार, जानें


बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से लगातार भारत विरोधी ताकतें मजबूत हो रही हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अब पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते रखना चाहती है। इसके लिए वह 1971 के संघर्ष से जुड़े मुद्दों को हल करने को तैयार हैं। एक्सपर्ट्स इसे जल्दबाजी मान रहे हैं।
शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार है। वह अपने ऐतिहासिक नीति को बदलने में लगी है, जिसमें पाकिस्तान के साथ संबंधों को मजबूत करने का प्रयास भी शामिल है, जो कि लंबे समय से उसका प्रतिद्वंद्वी रहा है। देश की अंतरिम सरकार में सलाहकार नाहिद इस्लाम ने सोमवार को कहा कि प्रशासन पाकिस्तान के साथ 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध से जुड़े मुद्दों को हल करना चाहता है। नाहिद इस्लाम 26 वर्षीय छात्र कार्यकर्ता हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में सूचना और प्रसारण के सलाहकार के रूप में वह कार्य कर रहे हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लाम लंबे समय से पाकिस्तान के साथ चले आ रहे विवाद को सुलझाना चाहते हैं। इसी मंशा से सोमवार को उन्होंने बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ से मुलाकात की। इस्लाम ने कहा, ‘अवामी लीग (शेख हसीना की पार्टी) के लिए 1971 को इतिहास का अंतिम अध्याय माना जाता था। हालांकि हम (अंतरिम सरकार) इसे इतिहास की निरंतरता के तौर पर देखते हैं। हम पाकिस्तान के साथ 1971 के मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं।’
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? – कथित तौर पर अंतरिम सरकार अवामी लीग के मूलभूत सिद्धांतों में बदलाव पर विचार कर रही है। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के चेहरे और इसके पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों और संग्रहालयों की हाल ही में तोड़फोड़ हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक ढाका में राजनीतिक टिप्पणीकार प्रोफेसर नजमुल अहस कलीमुल्ला ने कहा, ‘कुछ नेताओं की ओर से खतरनाक मिसाल कायम की जा रही है। वे तेजी से पाकिस्तान के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह दिखाता है कि यह जल्दबाजी में हो रहा है।’
बांग्लादेश के बदलाव से खुश पाकिस्तान – बांग्लादेश में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन से पाकिस्तान संतुष्ट दिखाई दे रहा है। शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों के संबंध ठंडे बने रहे। रिश्ते तब और भी खराब हुए जब पाकिस्तान ने 1971 के संघर्ष के दौरान युद्ध अपराधों के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियां तोड़े जाने को लेकर कहा था कि जैसा आप करते हैं वहीं आपके साथ होता है। पाकिस्तान विरोधी आंदोलन चलाने वाले का हाल देख लो। शेख हसीना के कार्यकाल में पाकिस्तान उच्चायोग शांत रहा। उस पर 2018 के चुनावों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन का आरोप लगा था।