
भगवान शिव से संबंधित बहुत सारे ग्रंथ हैं जिनमें उनके जीवन चरित्र, रहन-सहन, विवाह और उनके परिवार की उत्पत्ति के बारे में बताया गया है लेकिन शैव मत से संबंधित शिव पुराण में भगवान शंकर के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। शिवपुराण को पढ़ने और सुनने से अक्षय पुण्यों की प्राप्ति होती है लेकिन उसके लिए कुछ नियमों का पालन करना भी अावश्यक है तभी संपूर्ण फल मिलेगा अन्यथा पुण्य नाश कर देती हैं अनजाने में की गई गलतियां।
* कथा सुनने से पूर्व बाल, नाखून आदि काटें। तन शुद्ध करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
* मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था रखें। किसी के प्रति द्वेष भाव न रखें।
* ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत रखें।
* भूमि पर सोना चाहिए।
* किसी की निंदा, चुगली न करें अन्यथा पुण्य समाप्त हो जाते हैं।
* सात्विक भोजन खाएं। तामसिक पदार्थों का त्याग करें।
* किसी भी तरह का नशा न करें।
* कथा पूर्ण होने पर शिव पुराण और शिव परिवार का पूजन करें।
* कथा सुनने से पहले या बाद में रोगी, विधवा, अनाथ, गौ आदि का दिल दुखाने वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है और उसके सत्कर्मों का नाश हो जाता है।
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