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रक्षाबंधन से पहले थाली में जाने वाला था ‘जहर’, 300 kg नकली घी जब्त, 5 सेकंड में चेक करें असली घी


एक किलो घी 170 रुपये में तैयार होता है और उसे 600 रुपये में बेचते थे। FSSAI कहना है कि नकली घी खाने से सेहत को कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं। नकली घी मी फैट की मात्रा अधिक होती है और ऐसे घी की लंबे समय तक सेवन से शरीर में अन्हेल्दी फैट्स से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
भारत में खाने-पीने की चीजों में मिलावट आम है और फेस्टिवल सीजन में यह धंधा चरम पर होता है। रक्षाबंधन का पर्व जल्दी ही आने वाला है और इस दिन मिठाई की डिमांड बढ़ जाती है। जाहिर है मिठाई और पकवानों के लिए कारोबारियों की घी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। डिमांड पूरी करने के लिए कारोबारी चीजों में मिलावट करते हैं।
मिलावट की एक बड़ी खबर आगरा में सामने आई है, जहां रक्षाबंधन से पहले मिठाइयों और घेवर में इस्तेमाल होने वाले नकली घी पर बड़ी कार्रवाई की गई। खाद्य विभाग ने एहन एक गोदाम पर छापा मारकर 300 किलो नकली देसी घी बरामद किया।
नकली घी के सैंपल ले लिए गए हैं और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। आरोपी नकली घी को रिफाइंड, वनस्पति घी और पाम ऑयल मिलाकर तैयार करते थे। एक किलो घी 170 रुपये में तैयार होता है और उसे 600 रुपये में बेचते थे। अधिकारीयों का कहना है कि नकली घी खाने से सेहत को कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं।
घी में किस चीज की मिलावट की जाती है? – कारोबारी घी की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने के लिए स्टार्च की मिलावट करते हैं। स्टार्च एक कार्बोहाइड्रेट है, जो गेहूं, चावल, मक्का, आलू और शकरकंद जैसी चीजों से मिलता है। मिलावट करने वाले घी में स्टार्च इसलिए मिलाते हैं ताकि उसकी मात्रा बढ़ाई जा सके और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। घी मी सस्ते वेजिटेबल ऑयल्स जैसे पाम ऑयल, जानवरों की चर्बी, सिंथेटिक केमिकल्स जैसे पैराफिन वैक्स या डिटर्जेंट आदि की मिलावट की जाती है जिससे घी की बनावट और दिखावट बेहतर लगे।
मिलावटी घी से होने वाले नुकसान – घी में स्टार्च मिलाने से घी के असली पोषण गुण खत्म हो जाते हैं। ऐसा घी खाने से गैस, पेट फूलना और दस्त जैसी समस्याएं दे सकता है। इतना ही नहीं, आलू या गेहूं से बने स्टार्च से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है।
किडनी और नर्वस सिस्टम को नुकसान – एक्सपर्ट मानते हैं कि हाइड्रोजेनेटेड फैट्स और प्रिजर्वेटिव्स भी घी में मिलाए जाते हैं। कुछ नकली घी में हैवी मेटल्स तक पाए जाते हैं, जो किडनी और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पैराफिन या डिटर्जेंट जैसे जहरीले केमिकल्स पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं।
लंबे समय तक नकली घी खाने के नुकसान – लगातार जहरीले पदार्थों के सेवन से लिवर पर दबाव बढ़ता है और फैटी लिवर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। मिलावटी घी शरीर को जरूरी विटामिन और मिनरल्स नहीं लेने देता क्योंकि इसमें पोषण की कमी होती है।
हार्ट अटैक का खतरा – नकली घी मी फैट की मात्रा अधिक होती है और ऐसे घी की लंबे समय तक सेवन से शरीर में अन्हेल्दी फैट्स से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इतना है नहीं, कुछ केमिकल्स हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जिससे थायरॉइड और वजन बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
घर पर ऐसे करें घी की पहचान – पहला तरीका- FSSAI ने बताया (ref.)आधा चम्मच घी एक कांच की साफ शीशी में डालें। इसमें 3 बूंद आयोडीन सॉल्यूशन डालें। अगर रंग नहीं बदले तो घी असली है। अगर रंग नीला हो जाए, तो समझ लें घी में स्टार्च की मिलावट है।दूसरा तरीका- थोड़ा सा घी गर्म करें। अगर वह तुरंत पिघलकर भूरा रंग बनाए तो घी असली है। आयोडीन की कुछ बूंदें डालें। अगर रंग बैंगनी हो जाए तो मिलावट है। एक चम्मच घी को गर्म पानी में डालें। शुद्ध घी पूरी तरह घुल जाएगा। हाइड्रोक्लोरिक एसिड टेस्ट में लाल रंग आने पर मिलावट की पुष्टि होती है।