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डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, भारत के दोस्त देश ने ग्रीनलैंड में सेना भेजने का दिया ऑफर, क्या अमेरिका से होगा टकराव?


ग्रीनलैंड को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों में टकराव बढ़ता जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को छीनने की धमकी दी है, जिसके बाद डेनमार्क की प्रधानमंत्री ग्रीनलैंड पर समर्थन हासिल करने के लिए यूरोपीय देशों के दौरे पर पर हैं। उन्होंने फ्रांसीसी राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर से मुलाकात की है।
ग्रीनलैंड को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने जब से ग्रीनलैंड को छीनने की धमकी दी है, अमेरिका के दोस्त देश ही उसके खिलाफ खड़े होने लगे हैं। डेनमार्क ने एक दिन पहले ग्रीनलैंड में विनाशक हथियारों को तैनात करने की घोषणा की थी और अब भारत के दोस्त फ्रांस ने भी ग्रीनलैंड में सैनिकों को भेजने का ऑफर दिया है। फ्रांस ने कहा है, कि उसने आर्कटिक क्षेत्र में सैनिकों को तैनात करने की संभावना पर चर्चा की है।
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले कहा था, कि अमेरिका को अपनी सुरक्षा और स्वतंत्र दुनिया के लिए ग्रीनलैंड की जरूरत है। उसके बाद से ही पूरा विवाद शुरू हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं, कि ग्रीनलैंड को अमेरिका के अधीन लाने के लिए आर्थिक प्रतिबंधों के साथ साथ सैन्य विकल्प भी खुले हुए हैं।
ग्रीनलैंड पर अमेरिका के खिलाफ यूरोपीय देश! – ग्रीनलैंड को लेकर अमेरिका के खिलाफ उसके ही यूरोपीय सहयोगी देश हो गये हैं। फ्रांस ने साफ शब्दों में कहा है, कि अमेरिकी राष्ट्रपति को यूरोपीय संघ की सीमाओं को खतरे में डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने देश के सुद रेडियो को दिए गये इंटरव्यू में कहा है, कि फ्रांस ने डेनमार्क के साथ आर्कटिक क्षेत्र में सेना भेजने की संभावना पर बात की है। उन्होंने कहा, कि फ्रांस ने सैनिकों की तैनाती के लिए बातचीत शुरू कर दी है, लेकिन डेनमार्क इस फैसले के साथ नहीं है। उन्होंने यह भी वादा किया, कि यूरोप अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा के लिए खड़ा होगा।
फ्रांस ने आर्कटिक में सैनिकों की तैनाती की बात उस वक्त की है, जब ग्रीनलैंड की रक्षा के लिए डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन यूरोपीय देशों का दौरा कर रही हैं। फ्रेडरिक्सन ने 28 जनवरी को पेरिस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था, कि उन्हें “काफी समर्थन” मिला है। इसके अलावा, उन्होंने उसी दिन जर्मनी में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और नाटो प्रमुख मार्क रूटे से भी मुलाकात की थी।
अमेरिका और फ्रांस के बीच छिड़ेगा विवाद? – ग्रीनलैंड पर डोनाल्ड ट्रंप की धमकी ने यूरोपीय देशों को एकजुट कर दिया है और सैनिक भेजने की पेशकश, अमेरिका और फ्रांस के बीच नये विवाद को जन्म दे सकता है। फ्रांसीसी विदेश मंत्री बैरोट ने कहा है, कि “यदि डेनमार्क मदद के लिए कहता है, तो फ्रांस वहां मौजूद होगा।” उन्होंने कहा, कि “यूरोपीय सीमाएं संप्रभु हैं, चाहे वह उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम हो… कोई भी खुद को हमारी सीमाओं के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दे सकता।”
फ्रांस और अमेरिका के बीच अकसर तनातनी होती रहती है और दोनों देश, सहयोगी होने के बाद भी अकसर एक दूसरे के खिलाफ खड़े होते रहे हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और डोनाल्ड ट्रंप के बीच भी अकसर नोंकझोंक होते रहे हैं। पेरिस जलवायु समझौते, ईरान परमाणु समझौते और व्यापार शुल्क जैसे मुद्दों पर दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े रहे हैं। हाल ही में मैक्रों ने गाजा के लोगों को मिस्र और जॉर्डन में “जबरन विस्थापित” करने के डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की आलोचना की थी।