इस्लामाबादः पाकिस्तान में हाेने वाला सार्क शिखर सम्मेलन रद्द हाे गया है। टीवी सूत्राें से अा रही खबराें के अनुसार, भारत के दक्षेस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार करने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी कहा कि वे नवंबर में इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेंगे, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है।
पाकिस्तान ने क्या कहा?
भारत के शरीक होने से इनकार करने की स्थिति में नवंबर में होने वाले दक्षेस सम्मेलन को टाला जा सकता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने बताया, ‘‘दक्षेस नियमों के मुताबिक यदि कोई एक देश भी शरीक होने से इनकार करता है तो सम्मेलन नहीं हो सकता।’’
शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने के भारत और तीन अन्य दक्षेस सदस्य देशों (अफगानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश) द्वारा संगठन के अध्यक्ष नेपाल को सूचना दिए जाने के बाद सम्मेलन का आयोजन होने की संभावना नजर नहीं आने पर उनका बयान आया है।
उरी हमले के बाद उठाया कदम
भारत ने जम्मू एवं कश्मीर के उरी हमले के बाद यह कदम उठाया, जिसमें 20 जवान शहीद हो गए थे। भारत ने क्षेत्र में आतंकवादी हमलों के लिए ‘एक देश’ को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार को कहा था कि सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद और दक्षेस के सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल के कारण इस्लामाबाद में 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन के सफलतापूर्वक आयोजन का माहौल नहीं रह गया है।
भारत के बायकॉट का क्या होगा असर?
– 1985 में बने इस गुट के नए नियमों के मुताबिक, सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है, नहीं तो आयोजन स्थगित करना पड़ेगा। 1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है। इस सम्मेलन में भारत के नहीं जाने से आयोजन की सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाएंगी।
– भारत के इस कदम का चार अन्य सदस्य देशों का साथ देने का मतलब है कि भारत दक्षिण एशिया में अपनी मजबूत कूटनीतिक पकड़ बना रहा है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश तो खुद भी आतंकवाद से जूझ रहे हैं, लेकिन भूटान और श्रीलंका जैसे छोटे देशों का भारत के साथ खड़ा होना भारत की ताकत को दिखाता है। श्रीलंका का भी कहना है कि भारत की भागीदारी के बगैर सार्क सम्मेलन मुमकिन नहीं है।
– जीडीपी के मुताबिक, सार्क की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। दुनिया की पूरी आबादी का 21 फीसदी हिस्सा भी इन सार्क देशों में ही है। भारत की सार्क में स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2011 मं भारत में आई आर्थिक मंदी का असर भी सीधे तौर पर सार्क पर पड़ा था। क्योंकि सार्क की 80 फीसदी इकोनॉमी भारत के हिस्से में है।