
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बीच भारत और चीन एक साथ आते दिख रहे हैं। भारत ने जहां अपनी तरह के दुर्लभ मामले में चीन को डीजल का निर्यात किया है। वहीं दूसरी ओर चीन ने भी अपने रुख में नरमी लाते हुए भारत को यूरिया के निर्यात में ढील दे दी है। यही नहीं भारत और चीन के बीच जल्द ही सीधी उड़ान शुरू हो सकती है। कोरोना के बाद से ही भारत ने चीन के साथ सीधी उड़ान पर रोक लगा दी थी। यही नहीं पीएम मोदी शंघाई सहयोग सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इस साल चीन भी जा रहे हैं। वहीं भारत जल्द ही ब्रिक्स का अध्यक्ष बनने जा रहा है तो ऐसी संभावना है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी भारत के दौरे पर आ सकते हैं। माना जा रहा है कि भारत, चीन, रूस और ब्राजील समेत ब्रिक्स देश डोनाल्ड ट्रंप पर नकेल कसने के लिए आपस में सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं। आइए समझते हैं पूरा मामला…
डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन चुनिंदा नेताओं में थे जो सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने गए थे। इसके बाद भी ट्रंप के टैरिफ वार और पाकिस्तानी सेना प्रमुख की खुशामद से दोनों देशों के बीच रिश्ते रसातल में पहुंचते दिख रहे हैं। ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है। वहीं साल 2020 में हुई गलवान हिंसा के बाद अब भारत और ब्रिक्स सदस्य देश चीन के बीच आर्थिक रिश्ते एक बार फिर से पटरी पर आते दिख रहे हैं। भारत ने चीनी नागरिकों को टूरिस्ट वीजा देने का ऐलान किया है। ट्रंप के टैरिफ से भारत और चीन दोनों ही जूझ रहे हैं। ये दोनों देश रूस से जमकर तेल खरीदते हैं। इसको लेकर ट्रंप भड़के हुए हैं।
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