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ब्रिटेन: नहीं रहे कोरोना काल के हीरो कैप्टन Tom Moore, 100 साल की उम्र में चल-चलकर जुटाए थे $4.5 करोड़


कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ जंग में उतरे 100 साल के रिटायर्ड कर्नल टॉम मूर ने उस वक्त मिसाल पेश की थी जब ब्रिटिश अस्पतालों के लिए उन्होंने 4.5 करोड़ डॉलर जुटाए थे। उन्हें ‘कैप्टन हीरो’ कहा गया और इस देश का सबसे बड़ा सम्मान नाइटहुड भी दिया गया, लेकिन इस घातक वायरस ने उनकी जिंदगी नहीं बख्शी। कर्नल टॉप का मंगलवार को निधन हो गया।
कर्नल मूर का निमोनिया का इलाज चल रहा था और पिछले महीने वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव पाए गए थे। उन्हें सांस की तकलीफ होने पर अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी हालत बिगड़ती रही। आखिरकार मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। कर्नल मूर ने अपने गार्डन के चक्कर लगाकर चैरिटी के जरिए नैशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के लिए पैसे जुटाए थे।
जज्बा बना था मिसाल : यहां तक कि उन्हें प्रिंस विलियम तक ने डोनेशन दिया था। वह मीडिया और सोशल मीडिया पर छाए रहे और लोग उनकी इच्छाशक्ति की मिसाल देते रहे। उनके जज्बे और जिंदादिली के लोग कायल हो गए। महारानी एलिजाबेथ ने आइसोलेशन से बाहर आकर उन्हें नाइटहुड का सम्मान दिया था। टॉम सेना से कैप्टन के पद से रिटायर हुए थे और उन्हें सम्मानस्वरूप कर्नल की पदवी मिली थी।
कर्नल Moore ने अपनी उम्र का ख्याल किए बिना अपने गार्डन के अनगिनत चक्कर लगाए। यह एक फंडरेजर कैंपेन थे जिसकी मदद से वह 33 मिलियन पाउंड जुटाने में सफल रहे। इसके लिए न सिर्फ वह नैशनल हीरो बन गए बल्कि महारानी से सम्मान भी मिला। वेस्ट यॉर्कशायर में पैदा हुए कर्नल Moore सिविल इंजिनियर थे जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह सेना में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने कई कठिन मिशन में हिस्सा लिया और अक्टूबर 1941 में उनकी पोस्टिंग भारत में भी हुई थी। सेना छोड़ने के बाद उन्होंने सेल्समैन के तौर पर काम करना शुरू किया। अब तक उनका प्यार पर से भरोसा उठ चुका था।
कर्नल की उम्र 50 पार हो चुकी थी और वह प्यार की उम्मीद खो चुके थे। हालांकि, इसके बाद उनकी जिंदगी में ऐसा प्यार आने वाला था जो किस्मत वालों को मिलता है। वह Gravesend में काम के दौरान ऑफिस मैनेजर पामेला से मिले। पामेला उस वक्त 35 साल की थीं। टॉम उस वक्त को याद करते हुए कहते हैं, ‘Gravesend की ऑफिस मैनेजर काफी अकर्षक महिला थीं। वह मुझे बहुत सुंदर लगती थीं, किसी मॉडल की तरह। मुझे बहुत सी ट्रिप्स पर जाना होता था और ऑफिस मैनेजर के लिए मेरा आकर्षण मजबूत होता चला या और मैंने उनसे शादी कर ली।’
करीब 20 साल पहले पामेला की तबीयत खराब रहने लगी और Tom ने दो साल तक उनकी हर पल खूब सेवा की। उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो पामेला को मेडिकल केयर के लिए केयर होम में शिफ्ट किया गया। यहां भी Tom उनका पूरा ख्याल रखते रहे। वह हर रोज पामेला से मिलने जाते थे और अपने हाथ से खाना खिलाते थे और घंटों उनके पास बैठे रहते थे। करीब 14 साल पहले पामेला चल बसीं। Tom बताते हैं कि उनका शादीशुदा जीवन बहुत खुशी भरा था और दोनों छोटी-छोटी चीजें पसंद करते थे। वह हंसते हुए याद करते हैं, ‘पामेला को Marks & Spencer से ज्यादा कोई ट्रिप अच्छ नहीं लगती थी। वह उसकी सबसे पसंदीदा आउटिंग थी।’ दोनों की दो बेटियां हैना और लूसी हुईं। Tom अब हैना और उनके परिवार के साथ रहते हैं।
विश्व युद्ध के बाद कोरोना से जंग : वेस्ट यॉर्कशायर में पैदा हुए कर्नल Moore सिविल इंजिनियर थे जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वह सेना में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने कई कठिन मिशन में हिस्सा लिया और अक्टूबर 1941 में उनकी पोस्टिंग भारत में भी हुई थी। सेना छोड़ने के बाद उन्होंने सेल्समैन के तौर पर काम करना शुरू किया। वह Gravesend में काम के दौरान ऑफिस मैनेजर पामेला से मिले। दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा और उन्होंने शादी कर ली।