भारतीयों को शरण मिलने की बहुत कम संभावना के बावजूद वह यूके और यूएस में बने रहने में कामयाब रहे हैं। 2023 में यूके अपने शरण बैकलॉग को 28 फीसदी तक कम करने में कामयाब रह लेकिन 95,000 से अधिक आवेदन अभी भी पिछले दिसंबर में प्रारंभिक निर्णय का इंतजार कर रहे थे।
अमेरिका और ब्रिटेन में भारतीयों के आने और शरण की मांग करने वालों की बढ़ती संख्या ने इन देशों में इमिग्रेशन नीति पर ध्यान केंद्रित किया है, जो पहले से ही शरण की चाह रखने वाले लोगों की बड़ी संख्या के मामले निपटाने के बोझ से दबे हुए हैं। भले ही यूके और यूएस की सरकारें कुछ लोगों को ही ठहरने की अनुमति देती हैं लेकिन निष्कासन की कार्यवाही अनिश्चित काल तक खींच सकती है। इससे प्रवासियों को इन देशों में लंबे समय तक रहने की अनुमति मिल जाती है। द इंडियन एक्सप्रेस ने यूके के डेटा के आधार पर पाया है कि शरण चाहने वाले शीर्ष 15 देशों में भारतीयों को राहत मिलने की सबसे कम संभावना (6-9%) है। उसके बावजूद भारतीय यूएस और यूके में लंबे समय रुके रहते हैं।
इंड्यन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय शरण मिलने के मौकों के हिसाब से पड़ोसी देश चीन (18-24%), पाकिस्तान (53-55%) और ईरान (77-86%) से पीछे है। 2019-2023 के दौरान 300 से भी कम भारतीयों को ब्रिटेन में रहने की अनुमति दी गई, ये वे लोग हैं जो शरणार्थी की स्थिति के लिए योग्य नहीं हैं लेकिन उन्हें विभिन्न कारणों से रहने की अनुमति मिली। दिलचस्प बात ये है कि भारतीयों के पास शरण पाने की कम संभावना के बावजूद वे इन देशों में रहने में कामयाब हो जाते हैं। इसकी वजह वहां का कानूनी सिस्टम है।
यूके में ट्रिब्यूनल जा सकता है आवेदक – यूके का गृह कार्यालय अगर किसी को शरण देने से इनकार करता है तो आवेदक फर्स्ट-टियर ट्रिब्यूनल (आव्रजन और शरण चैंबर) में अपील कर सकता। ट्रिब्यूनल ने 2023 में अपील पर फैसला लेने में औसतन 11 महीने का समय लिया। इसके बाद अगला कदम ऊपरी ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाना है। इसके बाद आवेदक न्यायिक समीक्षा की मांग कर सकता है। 2023 में यूके ने अपने शरण बैकलॉग को 28 प्रतिशत तक कम करने में कामयाबी हासिल की लेकिन बीते साल दिसंबर में 95,000 से ज्यादा आवेदक शुरुआती फैसले का इंतजार कर रहे थे।
Home / News / ब्रिटेन और अमेरिका में भारतीयों को शरण मिलने के चांस चीन एवं पाकिस्तान से भी कम, फिर कैसे वर्षों रुक रहे लोग, जानें